नई दिल्ली: अभिनेत्री, निर्माता, पर्यावरण-निवेशक और सतत विकास लक्ष्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव की वकील दिया मिर्जा ने कहा कि यदि व्यक्तिगत प्रयासों को शामिल किया जाए तो गरीबी समाप्त करने, साफ पानी एवं स्वच्छता तक पहुंच बनाने और जलवायु परिवर्तन को ठीक करने तक के सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लक्ष्यों (SDGs) को हासिल किया जा सकता है. न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए)-एसडीजी शिखर सम्मेलन में दुनिया भर के नीति निर्माताओं और नेताओं के साथ शामिल मिर्जा ने सम्मेलन के दौरान कहा,
एसडीजी को प्राप्त करने के हर व्यक्ति को जिम्मेदारी लेनी होगी. व्यक्तियों के पास हर जगह और हर किसी के लिए एक स्वस्थ, प्रगतिशील और शांतिपूर्ण दुनिया के वादे को पूरा करने की असाधारण शक्ति है.
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उन्होंने कहा, सतत विकास लक्ष्य (SDGs) को ‘लोगों का लक्ष्य’ कहा जाता है. मिर्जा ने सरकारों और नीति निर्माताओं को नागरिकों के साथ जुड़ने, उनकी बात सुनने और उन्हें कार्रवाई में शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने उच्च-स्तरीय बैठक में बताया कि लोग एसडीजी के बारे में क्या जानते हैं और क्या सोचते हैं यह समझना सबसे महत्वपूर्ण शुरूआती बिंदु है.
उन्होंने कहा कि नीतिगत स्तर पर हस्तक्षेप जरुरी है, लेकिन फर्क व्यक्तिगत प्रयासों से ही पड़ेगा.
हमें नीतिगत स्तर पर बड़े बदलावों की जरूरत है, लेकिन इसके साथ ही हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए व्यक्तिगत प्रयासों की भी जरूरत होगी क्योंकि पर्यावरण में आई असमानता का सबसे प्रभाव महिलाओं और बच्चों समेत हममें से सबसे कमजोर लोगों पर पड़ता है.
इससे पहले, सितंबर 2022 में न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए 77) के 77वें सत्र में, मिर्जा ने चर्चा की थी कि कैसे भारत मिशन लाइफ (LiFE) अभियान (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) एसडीजी को प्राप्त करने में योगदान दे सकता है. पिछले अक्टूबर में ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में घोषणा की गई.
यह अभियान लोगों की व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को समझाने और उन्हें जलवायु परिवर्तन को लेकर सबसे आगे लाने पर केंद्रित है. यह ‘यूज एंड डिस्पोज’ इकॉनमी यानि कि बिना सोचे समझे और विनाशकारी उपभोग की जगह ‘सर्कुलर इकॉनमी’ यानि कि समझदारी से चीजों के इस्तेमाल को बढ़ावा देता है.
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