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मन की बात: पीएम मोदी ने किया कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने का आह्वान

सितंबर में मनाए जाने वाले पोषण माह से पहले, पीएम मोदी ने मन की बात के अपने नए सीजन में कुपोषण की समस्या की ओर देश का ध्यान आकर्षित किया

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पीएम मोदी ने 'मन की बात' में कहा, कुपोषण के खिलाफ इस लड़ाई में सभी को शामिल होना होगा
Highlights
  • मन की बात के 92वें एपिसोड में पीएम मोदी ने कुपोषण पर चर्चा की
  • पीएम ने लोगों से कुपोषण से लड़ने को कहा
  • कुपोषण से मुकाबला करने में भी बाजरा बहुत फायदेमंद होता है: पीएम मोदी

नई दिल्ली: 28 अगस्त को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो प्रोग्राम “मन की बात” के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया. सितंबर के महीने में मनाए जाने वाले पोषण माह से पहले, पीएम मोदी ने कुपोषण की समस्या की ओर देश का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने असम के बोंगई गांव में चलाए जा रहे “प्रोजेक्ट संपूर्ण” के बारे में बात करते हुए शुरुआत की, जो बच्चों में कुपोषण के मौजूदा मुद्दे से जुड़ा हुआ है. कार्यक्रम के माध्यम से मात्र एक वर्ष में क्षेत्र के 90 प्रतिशत बच्चों से कुपोषण का उन्मूलन किया गया है.

मन की बात के 92वें एपिसोड में पीएम मोदी ने बताया कि कैसे बोंगई गांव की महिलाएं लड़ाई लड़ रही हैं. उन्‍होंने कहा,

इसके तहत एक आंगनबाडी केंद्र से स्वस्थ बच्चे की मां हर सप्ताह एक कुपोषित बच्चे की मां से मिलती है और पोषण संबंधी सभी जानकारियों पर चर्चा करती है. यानी एक मां दूसरी मां की दोस्त बन जाती है, उसकी मदद करती है और उसे पढ़ाती है.

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पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश के दतिया जिले से एक और सफलता की कहानी साझा की जहां गीत, संगीत और भजन के माध्यम से लोगों को अच्छे पोषण के बारे में शिक्षित किया जाता है. दतिया जिले के “मेरा बच्चा अभियान” के बारे में बात करते हुए, पीएम मोदी ने कहा,

इसके तहत जिले में भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया, जिसमें पोषण गुरु कहे जाने वाले टीचर्स को बुलाया गया. एक मटका (बर्तन) कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, जिसमें महिलाएं मुट्ठी भर अनाज आंगनवाड़ी केंद्र में लाती हैं और इस अनाज के साथ शनिवार को ‘बाल भोज’ (बच्चों के लिए दावत) का आयोजन किया जाता है. इसके अलावा आंगनबाडी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है और कुपोषण में कमी आई है. झारखंड में भी कुपोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अनोखा अभियान चल रहा है. झारखंड के गिरिडीह में सांप-सीढ़ी का खेल तैयार किया गया है. खेल के माध्यम से बच्चे अच्छी और बुरी आदतों के बारे में सीखते हैं.

आगे अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि वह कुपोषण से जुड़े अभिनव और सफल प्रयोग साझा कर रहे हैं क्योंकि आने वाले महीने यानी सितंबर में हर व्यक्ति को इस अभियान से जुड़ना है. उन्होंने कहा कि कुपोषण के खिलाफ पूरे देश में कई रचनात्मक और विविध प्रयास किए जा रहे हैं.

टेक्नोलॉजी का बेहतर उपयोग और जनभागीदारी भी पोषण अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है. देश में लाखों आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को मोबाइल टूल देने से लेकर आंगनवाड़ी सेवाओं की पहुंच की निगरानी के लिए एक पोषण ट्रैकर भी शुरू किया गया है. उत्तर पूर्व के सभी आकांक्षी जिलों और राज्यों में 14 से 18 साल की बेटियों को भी पोषण अभियान के दायरे में लाया गया है.

उन्होंने कहा, दिलचस्प बात यह है कि कुपोषण की बीमारी का समाधान उपरोक्त कुछ कदमों तक ही सीमित नहीं है. इस लड़ाई में कई अन्य पहल भी अहम भूमिका निभाती हैं. पीएम मोदी ने कहा,

जल जीवन मिशन को ही लें – इस मिशन का भारत को कुपोषण मुक्त बनाने में भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है. सामाजिक जागरूकता के प्रयास कुपोषण की चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. मैं आप सभी से आगामी पोषण माह में कुपोषण को मिटाने के प्रयासों में भाग लेने का आग्रह करूंगा.

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मार्च 2021 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने सर्वसम्मति से भारत द्वारा बांग्लादेश, केन्या और नेपाल सहित अन्य देशों के साथ 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष’ के रूप में चिह्नित करने के लिए एक प्रस्ताव को अपनाया. 2023 में लगभग चार महीने बचे हैं, पीएम मोदी ने अपने श्रोताओं को बाजरे के कई लाभों के बारे में बताया. उन्‍होंने कहा,

बाजरा किसानों और खासकर छोटे किसानों के लिए फायदेमंद है. वास्तव में, इसकी फसल बहुत कम समय में तैयार हो जाती है, और इसके लिए ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती है.

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बाजरे के हेल्‍थ बेनिफिट्स को साझा करते हुए, इसके सेवन को बढ़ावा देने के लिए, पीएम मोदी ने कहा,

बाजरे में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर और मिनरल्स होते हैं. कई लोग इसे सुपरफूड भी कहते हैं. सिर्फ एक ही नहीं, बाजरा के कई फायदे हैं. ये मोटापा कम करने के साथ-साथ डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल से जुड़ी बीमारियों के खतरे को भी कम करते हैं. इसके साथ ही ये पेट और लीवर की बीमारियों को रोकने में भी मददगार होते हैं. हमने अभी कुछ समय पहले कुपोषण का जिक्र किया था. बाजरा कुपोषण से लड़ने में भी बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि ये ऊर्जा के साथ-साथ प्रोटीन से भी भरपूर होते हैं.

पीएम मोदी ने किसानों से बाजरा अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने बाजरा के साथ काम करने वाले उन स्टार्ट-अप की सराहना की, जिन्‍होंने मिलेट कुकीज, मिलेट पेनकेक्स और डोसा, और मिलेट एनर्जी बार्स जैसे ऑप्‍शन दिए. उन्होंने यह कहकर निष्कर्ष निकाला,

इस फेस्टिव सीजन में हम ज्यादातर डिशेज में बाजरे का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. आप अपने घरों में बने ऐसे डिशेज की फोटो सोशल मीडिया पर जरूर शेयर करें, जिससे लोगों में बाजरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिले.

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