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भारत में ‘मिशन LiFE’ थीम पर मनाया जाएगा विश्व पर्यावरण दिवस 2023: आइए जानते हैं इसके बारे में

जलवायु परिवर्तन से लड़ने और एक सस्टेनेबल भविष्य की ओर बढ़ने के लिए पीएम मोदी ने ‘मिशन LiFE’ की घोषणा साल 2021 में ग्लासगो में हुए COP26 इवेंट में की थी

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World Environment Day 2023 To Be Celebrated On ‘Mission LiFE’ Theme By India: All You Need To Know
द्वारा: अनिशा भाटिया | एडिट: सोनिया भास्कर

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में ग्लासगो में हुए 26 वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) में मिशन LiFE की घोषणा करते हुए कहा, “मिशन LiFE में LiFE शब्द का मतलब ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ से है. यानी पर्यावरण के लिए जीवन जीने की शैली. आज हम सभी को लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट को साथ लेकर बढ़ने की जरूरत है. यह अभियान पर्यावरण के लिए जन आंदोलन का रूप ले सकता है.”

मिशन LiFE क्या है?

यह एक वैश्विक पहल के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एवं जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने और स्थायी जीवन को बढ़ावा देने का भारत का तरीका है. यह पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए “विवेकहीन और विनाशकारी खपत के बजाय सचेत और सोच-समझकर उपयोग” के लिए एक जन आंदोलन का निर्माण करता है. भारत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDCs) में LiFE को शामिल करने वाला पहला देश है. ये एक क्लाइमेट एक्शन प्लान है, जो उत्सर्जन में कटौती और जलवायु प्रभावों के अनुकूल बनाता है. इसके लॉन्च के समय अभियान के महत्व को समझाते हुए पीएम मोदी ने कहा,

“भारत जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए एक अपनी परंपराओं, संरक्षण और संयम के मूल्यों के आधार पर जीने के एक स्वस्थ और टिकाऊ तरीके को जन आंदोलन के तौर पर आगे बढ़ाएगा और उसका प्रचार भी करेगा.”

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि इस साल अभियान का महत्व बताने के लिए भारत विश्व पर्यावरण दिवस 2023 को मिशन LiFE की अवधारणा पर जोर देगा और इसे बार-बार दोहराया जाएगा.

जैसा कि दुनिया 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने करने के लिए तैयार है, आइए जानते हैं क्या है मिशन LiFE पहल

मिशन LiFE अभियान का उद्देश्य

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और नीति आयोग के अनुसार, अभियान का उद्देश्य निम्नलिखित कार्य करवाना हैं :

1. व्यक्ति और समुदाय एक ऐसी जीवन शैली अपनाएं जो प्रकृति के अनुकूल हो और जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे.

2. प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए भारत में पर्यावरण के अनुकूल संस्कृति और पारंपरिक प्रथाओं का पालन करना. पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, वैश्विक औसत 4.5 टन की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति औसत कार्बन फुटप्रिंट प्रति वर्ष 1.8 टन है.

3. ये अभियान एक प्रयास है कि LiFE के विजन के प्रभाव को नापा जा सके. इसका मकसद है कि 2022-2028 के दौरान कम से कम एक अरब भारतीयों और अन्य ग्लोबल सिटीजंस को पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए जुटाया जा सके.

4. अभियान का लक्ष्य 2028 तक कम से कम 80 प्रतिशत भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी स्थानीय निकायों को पर्यावरण के अनुकूल बनाना है.

मिशन LiFE – चरणबद्ध कार्यान्वयन

ये मिशन नीति आयोग द्वारा इनक्यूबेट, क्यूरेट और पायलट किया जा रहा है और बाद में इसे केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाना है.

2022-23 वर्ष के दौरान, मिशन LiFE का मकसद है कि व्यक्तियों, समुदायों और संस्थानों को अपने दैनिक जीवन में सरल पर्यावरण-अनुकूल कामों के लिए प्रेरित करके डिमांड में कमी लाना है. LiFE की कुछ क्रियाकलापों में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

  • एलईडी बल्ब/ट्यूब लाइट का प्रयोग करें
  • जहां तक संभव हो पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करें
  • जहां भी संभव हो लिफ्ट के बजाय सीढ़ियां का उपयोग करें
  • लाल बत्ती और रेलवे क्रॉसिंग पर वाहन के इंजन बंद कर दें
  • स्थानीय या छोटे आवागमन के लिए साइकिल का प्रयोग करें
  • उपयोग के बाद सिंचाई पंपों को बंद कर दें
  • पेट्रोल या डीजल वाहनों की तुलना में सीएनजी या इलेक्ट्रिक वाहनों को प्राथमिकता दें
  • बाजरा जैसी कम पानी वाली फसलों की खेती करें
  • फसल विविधीकरण का अभ्यास करें. चावल और गेहूं की खेती से दलहन और तिलहन फसल प्रणाली की ओर बढ़ें
  • आंगनबाड़ी, मध्यान्ह भोजन और सार्वजनिक वितरण योजना के माध्यम से आहार में बाजरे को शामिल करें
  • घर में खाने के कचरे को कम्पोस्ट करें
  • घरों, स्कूलों, कार्यालयों में किचन गार्डन या टेरेस गार्डन बनाएं
  • घरों में सूखे और गीले कचरे को अलग-अलग करने की आदत डालें
  • कंपोस्टिंग, खाद और मल्चिंग के लिए कृषि अवशेष या पशु अपशिष्ट का प्रयोग करें

प्रमुख परफॉर्मेंस इंडीकेटर्स और लक्ष्य

सरकार ने मिशन LiFE अभियान, 2022-28 के लिए भी ‘की परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स’ और उससे संबंधित लक्ष्य भी चित्र में दिखाए अनुसार रखे हैं.

प्रभाव

मिशन LiFE अभियान के लाभ पर भारत सरकार का कहना है कि यदि 2022-23 से 2027-28 के बीच एक अरब भारतीय मिशन LiFE के मुताबिक दिनचर्या अपनाते हैं तो इससे पर्यावरण की स्थिति में काफी सुधार हो सकता है.

क्यों है मिशन LiFE समय की मांग

कई अध्ययनकर्ताओं और शोधकर्ताओं ने समय समय पर इन तथ्यों को उजागर किया है कि थ्रो अवे कल्चर(किसी चीज को उपयोग कर फेंकने की प्रथा) से एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था (सामग्री या उत्पादों के दोबारा उपयोग पर आधारित एक आर्थिक प्रणाली) में बदलाव लाना आवश्यक है. यहीं से मिशन LiFE जैसा अभियान सामने आया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन को देखते हुए अगर समय रहते जरूरी कदम नहीं उठाया गया तो 2 डिग्री तापमान में बढ़ोत्तरी से पड़ने वाले सूखे के कारण विश्व के 800 मिलियन से लेकर 3 बिलियन लोगों को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है.

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अनुसार यदि सही समय रहते सही कदम नहीं उठाया गया तो 2050 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था की जीडीपी में 18% तक का नुकसान हो सकता है.

हालांकि, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए विश्व स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं. लेकिन इनमें से अधिकांश प्रयास व्यक्तिगत प्रयास हैं. जिनके साथ समाज और समुदाय दोनों की भागीदारी की जरूरत है. जब इन दोनों की सोच बदलेगी तब अपने आप ही पर्यावरण पर उनका प्रभाव नजर आने लगेगा.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के अनुसार, यदि दुनिया भर में 8 अरब लोगों में से 1 व्यक्ति भी अगर अपने दैनिक जीवन में पर्यावरण के अनुकूल व्यवहारों को अपनाता है, तो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन में 20 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है. 2020 की यूएनडीपी रिपोर्ट ‘द नेक्स्ट फ्रंटियर: ह्यूमन डेवलपमेंट एंड द एंथ्रोपोसीन’ में यह भी कहा गया है कि, ” फिलहाल धरती पर लोग एनर्जी का पहले से बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं. कोविड महामारी के दौरान रिकॉर्ड ब्रेकिंग टेम्परेचर और बढ़ती असमानता को ध्यान में रखते हुए एनर्जी का सदुपयोग करने का समय आ गया है क्योंकि एनर्जी की खपत और बढ़ते कार्बन प्रभाव के आंकड़े अब किसी से छिपे नहीं रह गए हैं.”

एलेन मैकआर्थर फाउंडेशन द्वारा भारत सरकार के सहयोग से तैयार की गई रिपोर्ट में व्यापार और विकास को लेकर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीटीएडी) में ये कहा गया है कि भारत के लिए सर्कुलर इकोनॉमी 2030 तक 14 लाख करोड़ की अतिरिक्त कॉस्ट सेविंग कर सकती है.

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