ताज़ातरीन ख़बरें

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस व्हाट्सएप चैटबॉट ‘एक्सरेसेतु’ कोविड-19 मरीज़ का पता लगा सकता है

कोविड-19 की संभावना का विश्लेषण करने के लिए डॉक्टर ‘एक्सरेसेतु’ द्वारा छाती के एक्स-रे की तस्वीर साझा कर सकता है.

Published

on

Highlights
  • ‘एक्सरेसेतु’ के लिए आप +91 8046163838 फोन नंबर पर व्हाट्सएप कर सकते हैं
  • यह सेवा COVID के खिलाफ ग्रामीण भारत का समर्थन करने के लिए शुरू की गई थी
  • यह COVID की संभावना का पता लगाने के लिए फेफड़ों की स्थिति का आकलन करता है

नई दिल्ली: “मुझे याद है जब एक उपभोक्ता ने मुझसे ‘एक्सरेसेतु’, व्हाट्सएप आधारित स्क्रीनिंग सेवा के बारे में पूछा था कि कैसे ये COVID-19 रोगियों की तेजी से पहचान करने में सक्षम है, और हम इस सेवा में और सुधार कैसे कर सकते हैं?’ महाराष्ट्र के बारामती में एक डायग्नोस्टिक सेंटर में रेडियोग्राफर शुभम कल्याण ने कहा, ‘ काश यह सेवा 20-25 दिन पहले आ जाती, तो हम कई जिंदगियां बचा सकते थे. एआरटीपार्क (एआई एंड रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी पार्क) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उमाकांत सोनी ने कहा, “यह जानकर खुशी हुई कि लोगों को ‘एक्सरेसेतु’ से फायदा मिल रहा है, मगर ये सोचकर निराशा होती है कि हमने कितनी ज़िंदगियों को खो दिया.”

अप्रैल 2021 में जब देश में COVID-19 महामारी की दूसरी लहर की मार पड़ी, तो कई लोग अस्पताल में बिस्‍तर, ऑक्सीजन और COVID-19 के टेस्ट के लिए जूझ रहे थे. वहीं कुछ शहरों में टेस्ट कराने वालों की भारी संख्या की वजह से कई लोगों की आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट कई दिनों की देरी से आई, जिसकी वजह से उन्हें इलाज में देरी का सामना करना पड़ा.

इसे भी पढ़ें : दुनिया लैंगिक असमानता और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के शेडो पेंडेमिक से जूझ रही है: सुसान फर्ग्यूसन, भारत की संयुक्त राष्ट्र महिला प्रतिनिधि

वहीं, इस कठिन परिस्थिति के बीच, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु और हेल्थटेक स्टार्टअप निरमाई के सहयोग से एक गैर-लाभकारी फाउंडेशन, ARTPARK ने व्हाट्सएप पर ‘एक्सरेसेतु’ का संचालन शुरू किया, जो चेस्ट एक्स-रे की तस्वीरों के ज़रिए COVID-19 के संक्रमित मरीज़ की पहचान करने का काम करता है. इस पहल के बारे में बात करते हुए उमाकांत सोनी ने कहा कि,

यह विचार उन्हें COVID की पहली लहर के दौरान आया था, जब उन्होंने कुछ लोगों से सुना कि एक रेडियोलॉजिस्ट उनकी रिपोर्ट की जांच कर उनके लंग्स (फेफड़ों) का स्टेट्स बता सकता है. उन्होंने कहा कि हमारे पास 10 लाख लोगों के लिए एक रेडियोलॉजिस्ट है. इसलिए, हमने डॉक्टरों का एक व्हाट्सएप समूह बनाया, ताकि वहां एक्स-रे साझा किए जा सकें और उनकी रिपोर्ट तैयारी का जा सके. इससे पहले कि हम आगे कुछ करने का सोच पाते, हम 250 सदस्यों की समूह सीमा तक पहुंच गए. तब हमें लगा कि यह समाधान लंबे समय के लिए नहीं है. इसलिए, जब महामारी की दूसरी लहर आई, तो हमने एक व्हाट्सएप चैटबॉट बनाया और मई 2021 के आखिरी सप्ताह तक पूरी प्रक्रिया को स्वचालित कर दिया.

‘एक्सरेसेतु’ कैसे मुक्त में COVID-19 संक्रमित मरीज़ का पता लगाता है?

कोई भी डॉक्टर या टैक्नीशियन www.xraysetu.com पर जाकर वेबसाइट पर ‘फ्री एक्सरेएटू बीटा’ बटन पर क्लिक कर सकता है. इसके बाद उपयोगकर्ता को दूसरे पेज पर रीडायरेक्ट किया जाएगा, जिसमें वह वेब या स्मार्टफोन एप्लिकेशन के जरिए व्हाट्सएप आधारित चैटबॉट के साथ संलग्न होने का ऑप्शन चुन सकता है. इस सेवा को पाने का दूसरा तरीका यह है कि आप इस फोन नंबर +91 8046163838 पर व्हाट्सएप मैसेज भेज सकते हैं.

1. डॉक्टर छाती के एक्स-रे को एक्स-रे व्यूवर पर रखकर उसकी तस्वीर लेगा.

2. इसके बाद डॉक्टर व्हाट्सएप के जरिए ‘एक्सरेसेतु’ पर तस्वीर साझा कर सकते हैं.

3. इसके बाद टैक्नीशियन तस्वीर की समीक्षा और अनामीकरण करता है (विवरण या विवरण की पहचान को हटाना) और फिर इसे ‘एक्सरेसेतु’ एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) सेवा के लिए भेजता है.

4. ‘एक्सरेसेतु’ एआई सेवा लंग्स (फेफड़ों) में अद्वितीय कोविड फीचर का पता लगाने के लिए निर्मित विशेष मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके एक्स-रे का विश्लेषण करती है.

5. इसके बाद छाती की तस्वीर के आधार पर कोविड, निमोनिया की संभावित एक दो पेज की रिपोर्ट, एनोटेशन के साथ स्वचालित रूप से कुछ मिनटों के भीतर तैयार हो जाती है.

6. इस रिपोर्ट को डॉक्टर तक पहुंचाने और आगे के उपचार की योजना बनाने के लिए व्हाट्सएप के जरिए साझा किया जाता है.

इसे भी पढ़ें : जन-जन तक स्वास्थ्य सेवाएं, दिल्ली ने नए कॉम्पैक्ट ‘मोहल्ला क्लीनिक’ लॉन्च किए

इस तरह से, देश भर के डॉक्टरों और टेक्नीशियनों द्वारा साझा की गई 1.25 लाख से ज्यादा एक्स-रे तस्वीरों की रिपोर्ट, यहां तक कि विश्व स्तर पर इसके टेस्ट को भी मान्य किया गया है. इसका अविष्कार करने वालों के अनुसार, एआई सेवा में 98.86 प्रतिशत की संवेदनशीलता दर (बीमारी वाले लोगों की पहचान करने की क्षमता) और एक विशिष्टता दर (रोग के बिना उन लोगों की पहचान करने की क्षमता) 74.74 प्रतिशत है.

वर्तमान में, यह सेवा केवल अंग्रेजी भाषा में और 7 से 9 बजे तक की समय अवधि के साथ उपलब्ध है. इस सेवा को केवल स्वास्थ्य पेशेवरों को उपयोग करने की सलाह दी जाती है. इसके बारे में अधिक बात करते हुए सोनी ने कहा,

इस प्रक्रिया में बहुत ज़्यादा बातचीत शामिल नहीं है, इसलिए इसकी भाषा उतना बड़ा मुद्दा नहीं है. रिपोर्ट को एक मानक प्रारूप में साझा किया जाता है, जिसे कोई भी विशेषज्ञ समझ सकता है. क्योंकि एक्स-रे रिपोर्ट बहुत जटिल हैं और हम नहीं चाहते कि लोग खुद ही इन रिपोर्टों का आकलन करके काउंटर दवाएं लेने लगें, इसलिए हम उन्हें सलाह देते हैं कि वो अपने डॉक्टर से इस सेवा का उपयोग करने के लिए कहें.

‘एक्सरेसेतु’ एआरटीपार्क द्वारा वित्त पोषित एक मुफ्त सेवा है जिसे कर्नाटक सरकार और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्त पोषित किया जाता है.

इसे भी पढ़ें : कोविड-19 के बीच एएनएम, आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ता ने बखूबी निभाई अपनी जिम्मेदारी

हमें ‘एक्सरेसेतु’ की आवश्यकता क्यों है?

यह सेवा ग्रामीण भारत की स्वास्थ्य देखभाल जरूरतों को पूरा करने के लिए शुरू की गई थी, जहां स्वास्थ्य सेवा देने वालों और स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे दोनों की कमी है, वहीं सुविधाओं के अभाव में लोगों को अक्सर प्रारंभिक सेवाओं के साथ छोड़ दिया जाता है. COVID-19 के संबंध में इस पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए सोनी ने कहा कि,

दूसरी लहर के दौरान, सार्स-सीओवी-2 मजबूत हो गया और सीधे फेफड़ों को प्रभावित कर रहा था, जिसका पता आरटी-पीसीआर परीक्षण में नहीं लगाया जा सका. अगर आप अपने फेफड़ों की स्थिति का सही आकलन नहीं कर सकते हैं, तो समय के साथ वो एक समझौते की तरह हो जाएगा, जिसके बदले आपको अधिक से अधिक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ने लगेगी. और यही हमने ग्रामीण क्षेत्रों में देखा -ऑक्सीजन की कमी के चलते जनहानि हुई. इसके अलावा देश के कई हिस्सों में रेडियोलॉजिस्ट भी नहीं हैं. एक महामारी के दौरान रेडियोलॉजिस्ट दौरा होना, जिसका मतलब है कि विशेषज्ञ 15 दिनों में एक बार एक गांव का दौरा करेंगे, लेकिन आप उपचार के लिए इतने लंबे समय का इंतजार नहीं कर सकते.

वहीं ‘एक्सरेसेतु’ के अविष्ताकारक कई भाषाओं में सेवा शुरू करने की योजना हैं. वर्तमान में यह सेवा COVID-19 के अलावा 14 अन्य फेफड़ों की बीमारियों का पता लगाने में सक्षम है. इसमें निमोनिया, फाइब्रोसिस, एफ्यूजन शामिल हैं – अन्य बीमारियों के बीच फेफड़ों और छाती में ऊतकों के बीच तरल पदार्थ का निर्माण होना.

इसे भी पढ़ें : केरल-दिल्ली फैक्टर: तीसरी कोरोना लहर पर कैसे काबू पाया जा सकता है? विशेषज्ञों ने बताया

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version