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केरल-दिल्ली फैक्टर: तीसरी कोरोना लहर पर कैसे काबू पाया जा सकता है? विशेषज्ञों ने बताया

भारत COVID-19 की तीसरी लहर के लिए कितना तैयार है? जहां देश की राजधानी में कोविड मामलों की संख्या में कमी आ रही है, वहीं केरल में मामलों में लगातार वृद्धि देखने को मिल रही है. जानते हैं विशेषज्ञ का इस बारे में कहते हैं…

केरल-दिल्ली फैक्टर: तीसरी कोरोना लहर पर कैसे काबू पाया जा सकता है? विशेषज्ञों ने बताया
Highlights
  • देश के कई राज्य तीसरी लहर की संभावित शुरुआत की और इशारा कर रहे: आईसीएमआर
  • केरल में COVID-19 मामलों में कुछ हफ्तों तक वृद्धि जारी रहेगी: विशेषज्ञ
  • दिल्ली में COVID मामले कम हो रहे हैं; लोगों को सावधान रहना चाहिए: विशेषज्ञ

नई दिल्ली: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा बताते हैं कि देश के जिन राज्यों को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का सामना नहीं करना पड़ा, वहां अब कोरोना मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जो तीसरी लहर के शुरुआती संकेतों को दिखा रहा है. स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मौजूदा COVID-19 मामलों में ज़्यादातर मामले केरल के हैं. केरल में लगातार बढ़ रहे कोविड मरीज़ो की संख्या इस बात की और इशारा करती है कि राज्य को कोविड को लेकर रणनीतिक योजनाबनाने की जरूरत है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में पिछले 24 घंटे में 1 सितंबर तक 41,965 कोविड मामले दर्ज किए गए, जो बीते दिन (30,941) की तुलना में 35.6 प्रतिशत अधिक है और 31 अगस्त को जहां 350 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी, वहीं एक सिंतबर को 460 कोविड मरीज़ों की मौत हो गई थी. देश में टीकाकरण की बात की जाए, तो स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में 65 करोड़ से अधिक लोगों को कोविड रोधी टीका लगाया जा चुका है, सरकार का उद्देश्य है कि सभी वयस्क आबादी को जल्दी से जल्दी कम से कम कोविड टीके की एक डोज लगा दी जाए.

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मौजूदा समय की गंभीरता को समझने के लिए एनडीटीवी ने विशेषज्ञों से बात की. केरल में कोविड के दैनिक मामलों में लगातार हो रही वृद्धि और कोविड मामलों में अगर ऐसे ही वृद्धि होती रही, इस बारे में गठिया और इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. पद्मनाभा शेंडी ने कहा कि, ‘यदि हम सप्ताह-दर-सप्ताह आंकड़ों को देखें, तो केरल में संक्रमित मरीज़ों की संख्या बढ़ रही है, मौजूदा समय में हम केरल में जो देख रहे हैं वह पिछले चार महीनों में सबसे अधिक है. फिलहाल केरल ऐसी स्थिति में है जहां एक व्यक्ति कम से कम पांच लोगों को संक्रमित कर रहा है. राज्य में एक दिन में 30 हजार मामले दर्ज हो रहे हैं. इसलिए, केरल के लिए शायद ये एक बहुत कठिन सप्ताह है. हालांकि, हमें यह भी देखना चाहिए कि इस राज्य में अबतक अधिकतम संख्या में लोगों को टीका लगाया गया है. आंकड़ों के मुताबिक, राज्य अपने 25% लोगों को डबल डोज और 71% लोगों को टीके की सिंगल डोज दे चुका है, इसलिए, अगर यहां मामले बढ़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ बीमार लोगों की संख्या में भी कमी आ रही है. यहां ऐसे लोगों की संख्या कम है, जिन्हें अस्पताल के बेड या आईसीयू की जरूरत पड़ रही हो, लेकिन समस्या यह है कि अगर मामले इस तरह से बढ़ते रहे, तो केरल हेल्थकेयर सिस्टम बुरी तरह से तनाव में आ सकता है.’

भविष्य में राज्य में COVID-19 मामलों में वृद्धि होना तय है, इस बात पर ज़ोर देते हुए डॉ. शेंडी ने कहा कि, पिछली बार, हमने कोरोनावायरस मामलों में चार बार वृद्धि की थी, लेकिन इस बार कोविड मामलों में दोगुना वृद्धि हो सकती है.

इस गंभीर समय में राज्य सरकार सीरो-सर्वेक्षण पर भी विचार कर रही है, मुझे लगता है कि यह कदम बहुत सही रहेगा, क्योंकि राज्य के कुछ जिलों में कम सीरो-प्रीवेलेंस हो सकता है और शायद परिणामों के बाद, यहां पर स्वास्थ्य से जुड़ी रणनीतियों में सुधार किया जा सकता है, या टीकाकरण की प्रकिया को और भी तेज़ किया जा सकता है. उम्मीद है कि 50 से 71 प्रतिशत लोगों में इस बार किसी तरह की COVID प्रतिरक्षा क्षमता होगी. केरल में, COVID-19 मामलों का ग्राफ तेज़ी से बढ़ा है, 21-28 अगस्त के बीच संक्रमित मामलों में हैरान कर देने वाली बढ़ोतरी देखने को मिली. जिसके तहत 30,000 से 32,000 नए कोविड मामले रोजाना दर्ज किए गए.

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दूसरी ओर, अगर दिल्ली की कोविड स्थिति की बात की जाए, तो शहर में 31 अगस्त को कोविड मौतों का आंकड़ा शून्य रहा, वहीं 31 नए मामले दर्ज किए गए. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, दिल्ली में कोविड-19 की स्थिति नियंत्रण में है. राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण दर 0.4 प्रतिशत है. सरकार ने छह महीने के भीतर सात अस्पतालों में 6,800 से ज़्यादा आईसीयू बेड लगाने का फैसला किया था.

कोविड महामारी की जटिल स्थिति में लोगों को कितना सतर्क रहना चाहिए और स्कूलों को खोला जाना कितना सही है इस बारे में बात करते हुए लिवर और पित्त विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. एसके सरीन ने कहा कि, ‘दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने योजनाबद्ध तरीके से स्कूल और विश्वविद्यालय खोलने का फैसला किया है, हालांकि यह एक अच्छा कदम है, लेकिन कहीं न कहीं यह कदम हम सभी के लिए चुनौती है कि कहीं बच्चों में यह संक्रमण न फैल जाए, साथ ही इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि कही बच्चों द्वारा कोविड संक्रमण घर तक न आ जाए. हमें इन सभी बातों को सुनिश्चित करने के लिए COVID से जुड़े सभी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करना चाहिए, साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूलों या विश्वविद्यालयों में कर्मचारियों, शिक्षकों को पूरी तरह से कोविड रोधी टीका लगाया जा चुका हो. लेकिन दूसरा डर इस बात का है कि दिल्ली में अभी तक आबादी का 100 फीसदी हिस्सा भी कोविड रोधी टीके की पहली खुराक नहीं ले पाया है. तीसरा डर इस बात का है कि जो लोग इस साल के जनवरी और मार्च में टीके की पहली डोज़ लगवा चुके हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का स्तर नीचे आना शुरू हो सकता है, इसलिए इन लोगों को ज्यादा सतर्क रहना चाहिए.

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उन्होंने आगे कहा कि हर जगह अब डेल्टा वैरिएंट का स्ट्रेन है. यह वैरिएंट वुहान का वास्तविक वायरस नहीं है, जिससे हम लड़ रहे हैं. बल्कि हम म्यूटेटेड स्ट्रेन से जूझ रहे हैं, जो हर किसी को कमज़ोर बनाता है. ऐसे समय के लिए मेरी सलाह यही है कि जिन लोगों ने टीके की दोनों खुराक नहीं ली है या जो लोग साल की शुरुआत में टीका लगवा चुके हैं उन्हें ज़्यादा सावधान रहने की ज़रूरत है. बाहर निकलते समय उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उन्होंने डबल मास्क लगाया हुआ है या नहीं और लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखना चाहिए. टीके की दूसरी खुराक लेने के बाद, रोग प्रतिरोधकता क्षमता को मजबूत होने में कम से कम चार सप्ताह तक इंतजार करना चाहिए, ऐसा न हो कि आप सोचने लगे की टीका लग गया है तो आप कुछ भी करने के लिए आजाद हैं, आपको हर सूरत में कोविड नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए.

त्योहारों का सीज़न आ रहा है, ऐसे में हमें और भी ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है, हमें पिछली बार की तरह ही घर पर रहकर सभी त्योहारों जश्न मनाना चाहिए. क्योंकि कोविड वायरस का नया (म्यूटेंट) रूप कभी भी आ सकता है.

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