नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन से निपटने और इसके समाधान के बारे में बच्चों को शिक्षित करने के लिए उन्हें पर्यावरण के बारे में बताना-सिखाना बेहद जरूरी है. इसी मूल विचार को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड के उत्तरकाशी कस्बे स्थित अथली में सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में एक क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल डेटॉल की ओर से लॉन्च किया गया है. डेटॉल के स्वच्छता पाठ्यक्रम ने सफलतापूर्वक साबित कर दिया है कि बच्चे किसी भी समुदाय में बदलाव के सबसे सशक्त माध्यम का काम करते हैं. बच्चों से बेहतर कोई चेंजमेकर नहीं हो सकता . इसलिए बच्चों को जलवायु परिवर्तन के बारे में पढ़ाने से उनके माता-पिता और पूरे परिवार के व्यवहार में बदलाव लाने में मदद मिलेगी, जिससे अंततः पूरे समुदाय में व्यवहार परिवर्तन आएगा.
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बच्चों को शिक्षित करने और उनके माध्यम से परिवर्तन लाने के बारे में बात करते हुए रेकिट के निदेशक, SOA विदेश मामले और भागीदारी रवि भटनागर ने कहा,
जैसा हमारे माननीय प्रधानमंत्री कहते हैं, दुनिया का हर छठा व्यक्ति भारतीय है. इसलिए जब भारतीय आगे बढ़ते हैं तो कहीं न कहीं सारी दुनिया भी आगे बढ़ती है. भारत सुधरेगा, तो दुनिया भी सुधरेगी. मुझे पूरा विश्वास है कि एनडीटीवी की मदद से हमारी यह आवाज बहुत तेज और दूर तक जाएगी. इस चार धाम से हमें कई नए क्लाइमेट चैंपियन किड्स मिलेंगे और मुझे यकीन है, इस साल जब COP (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज) होगा, तो इन चार धामों के बच्चे हमारे भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे.
सस्टेनेबल और क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल फ्रेमवर्क के स्तंभों के रूप में पहचाने जाने वाले तीन सी कैंपस, करिकुलम और कोलेबरेशन हैं. जलवायु के प्रति जागरूक एक स्कूल परिसर, बच्चों को जलवायु के बारे में बताने-सिखाने वाला पाठ्यक्रम और पर्यावरण संरक्षण के लिए सहयोग की भावना, यह तीनों मिलकर एक प्रभावी बदलाव लाएंगे. हवा की बेहतर गुणवत्ता के लिए स्कूलों में हरित क्षेत्र (ग्रीन कवर) को बढ़ाने के अलावा, स्कूल में सौर पैनल, लगाए गए हैं. साथ ही कम पानी बहाने वाली टोटियां इस्तेमाल की गई हैं, जिससे पानी की बर्बादी कम हुई है, और लाइट व पंखे चलाने में बिजली की खपत में भी कमी आई है.
बच्चों को STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स) शिक्षा, और शारीरिक और डिजिटल खेलों के माध्यम से जलवायु के प्रति जागरूक व सचेत बनाया जाएगा. अपशिष्ट प्रबंधन यानी वेस्ट मैनेजमेंट एक लगातार जारी रहने वाला काम है, जिसे बेहतर बनाया गया है.
इस अनूठी की पहल की आवश्यकता के बारे में उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रुहेला, ने कहा,
यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम कुछ ऐसे साधनों को अपनाएं, जिनमें कम बिजली की खपत हो, ताकि हमारा कार्बन फुटप्रिंट कम हो और बिजली की तरह ही राज्य के लिए जल प्रबंधन भी बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उत्तराखंड में बहुत सारे गांव ऐसे हैं, जो धीरे-धीरे जल संकट की ओर बढ़ते जा रहे हैं.
स्कूल सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धि में तेजी लाने की दिशा में काम किया जा रहा है. स्कूल पीएम के मिशन लाइफ और लाइफस्टाइल फॉर द एनवायरनमेंट के ग्लोबल अभियान से प्रेरित है, जो भविष्य की पीढ़ी को अधिक लंबा और परिपूर्ण जीवन जीने में मददगार साबित होगा.
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