Connect with us

ताज़ातरीन ख़बरें

गूगल डूडल ने ‘ग्रीनहाउस प्रभाव’ की खोज करने वाली वैज्ञानिक यूनिस न्यूटन फूटे के जन्मदिन का जश्न मनाया

1856 में अमेरिकी वैज्ञानिक और महिला अधिकार एक्टिविस्ट यूनिस न्यूटन फूटे पहली ऐसी विशेषज्ञ बनी थीं, जिन्होंने ग्रीनहाउस इफेक्ट खोजा था और पृथ्वी के क्लाइमेट में गर्मी बढ़ने के बारे में इसका संबंध समझा था

Read In English
गूगल डूडल ने 'ग्रीनहाउस प्रभाव' की खोज करने वाली वैज्ञानिक यूनिस न्यूटन फूटे के जन्मदिन का जश्न मनाया
1856 में अमेरिकी वैज्ञानिक यूनिस न्यूटन फूटे ने एक प्रयोग किया जिसके चलते 'ग्रीनहाउस प्रभाव' की खोज हुई

नई दिल्ली: 17 जुलाई का दिन अमेरिकी वैज्ञानिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता यूनिस न्यूटन फुट की जयंती के कारण उल्लेखनीय रहा. फूटे 1856 में ग्रीनहाउस प्रभाव और पृथ्वी की जलवायु के गर्म होने में इसकी भूमिका की खोज करने वाली पहली व्यक्ति थीं. गूगल ने फूटे के 204वें जन्मदिन को अनोखे और सूचनाप्रधान ढंग से मनाने का निर्णय लिया. उनकी विरासत क्या है, इस बात को रेखांकित करने के लिए गूगल ने 11 स्लाइड्स का एक इंटरैक्टिव डूडल तैयार किया, जिसमें ग्रीनहाउस के उस कांसेप्ट को समझाया गया था जिसके माध्यम से अब हमें क्लाइमेट चेंज को समझने में मदद मिलती है.

1819 में कनेक्टिकट में जन्मी फूटे ने ट्रॉय फीमेल सेमिनरी में पढ़ाई की. यह एक ऐसा स्कूल था, जो छात्रों को साइंस लेक्चर्स और केमिस्ट्री लैब्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करता था। और इस तरह विज्ञान फूटे के लिए आजीवन जुनून बन गया।

इसे भी पढ़ें: अगस्त तक जारी रहेगी भीषण गर्मी: विश्व मौसम विज्ञान संगठन सलाहकार

उन्होंने अपने ही स्तर पर प्रयोग किए थे. पारे के थर्मामीटरों को जब उन्होंने कांच के सिलेंडरनुमा उपकरणों में रखा, तो उन्होंने पाया कि जिन सिलेंडरों में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा थी, वो धूप में रखने पर सबसे ज्यादा उल्लेखनीय ढंग से गर्म पाए गए. इस तरह फुट को वह पहला वैज्ञानिक माना जाता है, जिन्होंने कार्बन डाइ ऑक्साइड के स्तर में बढ़ोत्तरी होने और वातावरण में गर्मी बढ़ने के बीच संबंध के बारे में बताया था. आज के समय में इसे ‘ग्रीनहाउस प्रभाव’ के नाम से जाना जाता है.

गूगल डूडल ने – सूरज के पीले, नारंगी और लाल रंग के साथ ही हरे और नीले जैसे प्रकृति के रंगों के कुछ शेड्स के माध्यम से फुट की वैज्ञानिक खोज को विस्तार से समझाया. स्लाइड शो बताता है “उन्होंने यह अवलोकन किया कि गर्म किए जाने पर कई तरह की गैसों और बाहरी हवा के तापमान के बीच क्या संबंध होता है. बाहरी वातावरण की हवा से तुलना करने पर उन्होंने पाया कि CO2 और पानी के वाष्प का तापमान अन्य की अपेक्षा ज्यादा बढ़ा और वापस ठंडा होने में भी इन्होंने समय ज्यादा लिया. जब सूरज के रेडिएशन को पृथ्वी अवशोषित करती है, तो उसमें से कुछ इन्फ्रारेड रेडिएशन के तौर पर पुनः उत्सर्जित हो जाते हैं. CO2 जैसी गैसें ताप को वापस पृथ्वी पर अवशोषित और परावर्तित कर देती हैं, इस तरह से ‘ग्रीनहाउस प्रभाव’ बनता है. समय के साथ, हमारे वातावरण में इन्हीं ग्रीनहाउस गैसों के बढ़ते स्तर के चलते पृथ्वी के तापमान में बढ़ोत्तरी होती जाती है.”

भले ही उनके शोध को लगभग 100 सालों तक बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया गया था, लेकिन फूटे जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर रुचि का बीज बोने वाली पहली महिला थीं. वर्तमान में, अनेक शोधार्थी उनके काम को इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ा रहे हैं कि पृथ्वी पर जीवन को और बेहतर करने के बारे में समझ और बढ़ सकेगी.

इसे भी पढ़ें:जलवायु परिवर्तन की कहानी, कवियों की जुबानी : मिलिए उन कवियों से जो ‘जलवायु परिवर्तन के दौर में प्यार’ की कविताओं से लाना चाहते हैं बदलाव

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Highlights: Banega Swasth India Season 9 Finale

Folk Music For A Swasth India

Folk Music

Reckitt’s Commitment To A Better Future

India’s Unsung Heroes

Women’s Health

हिंदी में पढ़ें