श्रीनगर: कश्मीर के डल लेक के लाटी मोहल्ले में रहने वाले मोहम्मद अफजल उस भयानक घटना के बारे में बताते हैं जिसका सामना उन्हें और उनके परिवार को आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की कमी की वजह से करना पड़ा था. अफजल का भाई, अकबर कई सालों से कैंसर से जूझ रहा था, लेकिन फरवरी के महीने में, अचानक उसके ऑक्सीजन का लेवल बहुत कम हो गया, और उसे तत्काल इलाज की जरूरत थी. लेकिन आपातकालीन सेवाओं की कमी के वजह से उसकी जान चली गई. 40 साल के अफजल ने उस घटना को याद करते हुए कहा, “हम जितनी जल्दी हो सका अस्पताल पहुंचे, लेकिन समय पर इलाज न मिलने की वजह से उसकी जान चली गई.”
यह कई अफजलों की कहानी है जो डल झील के अंदरूनी इलाकों में रहते हैं और जिनकी पहुंच इमरजेंसी हेल्थ केयर सर्विसेज यानी आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं तक नहीं है. इन लोगों को नजदीक के अस्पताल तक पहुंचने के लिए पहले 45 मिनट से ज्यादा समय तक नाव की सवारी करनी पड़ती है और फिर लगभग 15 मिनट तक पैदल चलना पड़ता है. आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं की कमी स्थानीय लोगों को पेश आने वाली गंभीर चुनौतियों में से एक है. हालांकि, जम्मू-कश्मीर स्थित बॉर्डरलेस वर्ल्ड फाउंडेशन उनकी मदद के लिए सामने आया है.
इस NGO ने अक्टूबर की शुरुआत में एक एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस बोट दलपरी लॉन्च की जो न केवल स्थानीय लोगों बल्कि झील देखने आने वाले पर्यटकों की भी मेडिकल इमरजेंसी में मदद करेगी. एडवांस मेडिकल इक्विपमेंट और प्रशिक्षित पैरामेडिक्स के साथ, दलपरी ये सुनिश्चित करती है कि इमरजेंसी के वक्त मरीजों को समय पर अच्छी मेडिकल केयर मिल सके.
इस पहल के बारे में बात करते हुए बॉर्डरलेस वर्ल्ड फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष अधिक कदम ने कहा,
हमने डल के लोगों से कई कहानियां सुनी हैं – कि कैसे समय पर मेडिकल सर्विस मिलना या छोटी से छोटी मेडिकल हेल्प मिलना उनके लिए कितना मुश्किल था. मेडिकल इमरजेंसी में इन लोगों को 40 मिनट से ज्यादा की नाव से यात्रा करनी पड़ती है. इसलिए, हमने डलपरी को शुरू करने के बारे में सोचा.
कदम ने बताया कि डलपरी की मदद से, फाउंडेशन डल झील और उसके आसपास के 45 से अधिक मोहल्लों तक पहुंचेगा.
एंबुलेंस में मौजूद हैं एडवांस इक्विपमेंट
यह एम्बुलेंस बेसिक और एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस है, जिसमें एयरवे इक्विपमेंट, कार्डियक मॉनिटर, एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर, ब्लड प्रेशर मॉनिटर करने की मशीन, पल्स ऑक्सीमीटर, इमरजेंसी बैग और बॉक्स, ऑक्सीजन डिलीवरी सर्विस और भी बहुत कुछ शामिल है. नाव में छह लोगों की एक टीम है, जिसमें एक डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, लैब तकनीशियन, पायलट और एक लाइफगार्ड शामिल होता है. कदम ने बताया कि यहां के निवासियों को डलपरी सेवाओं तक पहुंचने के लिए एक स्थानीय नंबर दिया गया है.
24 घंटे काम करती है डलपरी
यह सुनिश्चित करने के लिए कि दिन या रात के किसी भी वक्त मेडिकल हेल्प उपलब्ध है, DALPARI चौबीसों घंटे काम करती है. डल झील में इसकी मौजूदगी भीड़भाड़ और संकरी सड़कों से पैदा होने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद करती है, जिससे मेडिकल सर्विसेज यानी चिकित्सा सेवाओं तक तेजी से पहुंच संभव हो पाती है.
डलपरी के जरिए फाउंडेशन का मकसद मेडिकल इमरजेंसी के दौरान रिस्पॉन्स टाइम को कम करना है, खासकर डल झील के दूरदराज के इलाकों में. इस पहल से न केवल स्थानीय लोगों को फायदा होगा है बल्कि पर्यटकों को भी सुरक्षा मिलेगी.