नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने 14 सितंबर को एनडीटीवी के साथ विशेष रूप से केंद्र सरकार की तरफ से हेल्थ केयर के लिए उठाए गए अलग-अलग कदमों पर चर्चा करते हुए कहा, “भारत के लिए स्वास्थ्य एक सेवा है, न कि व्यापार”. डॉ. मंडाविया ने कहा कि जब से दुनिया कोरोना वायरस महामारी की चपेट में आई है, तब से स्वास्थ्य क्षेत्र को प्रमुखता मिली है. हाल के जी-20 शिखर सम्मेलन में भी मेडिकल इमरजेंसी की तैयारियों को चाक-चौबंद रखने को काफी तरजीह दी गई. शिखर सम्मेलन के दौरान भारत की शीर्ष स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के बारे में बात करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,
हमने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान तीन प्राथमिकताओं पर चर्चा की. पहली चिकित्सा संबंधी उपायों के बारे में यानी संबंधित बीमारियों की दवाओं और टीकों को सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाना. दूसरी प्राथमिकता, डिजिटल हेल्थ मिशन थी यानी डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल से देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बेहतर बनाना. तीसरे नंबर पर कोरोना वायरस जैसी महामारी के लिए भविष्य में स्वास्थ्य आपातकालीन तैयारियों और प्रतिक्रिया (रिस्पॉन्स) को मजबूत करने पर फोकस किया गया. इन तीनों ही क्षेत्रों पर जी20 देशों ने विचार किया.
हेल्थ सेक्टर के डिजिटलीकरण में भारत की प्रगति
डिजिटल तकनीक को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने में भारत की प्रगति के बारे में बात करते हुए डॉ. मंडाविया ने कहा,
आज हम डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी में अग्रणी हैं. कोरोना महामारी ने दुनिया के सामने इसका बेहतरीन उदाहरण पेश किया है. उस समय, जब अन्य देश कोविड वैक्सीन के लिए लोगों का रजिस्ट्रेशन करने और लिखित प्रमाण पत्र देने में उलझ कर रह गए थे, भारत ने पंजीकरण, पहचान के सत्यापन, वैक्सीनेशन की शेड्यूलिंग, टीकाकरण की रिपोर्ट और प्रमाण पत्र जारी करने तक के काम को-विन (Co-Win) ऐप के जरिये कर दिखाए. इससे यह सबकुछ इतना आसान हो गया कि लोगों को बस ऐप खोल कर अपने टीकाकरण की स्थिति दिखानी थी.
डॉ. मांडविया ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) हासिल करने के लिए डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं की दिशा में एक कदम के रूप में राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म के महत्व पर भी प्रकाश डाला.
ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म मरीजों को डॉक्टरों और चिकित्सा विशेषज्ञों तक वर्चुअल एक्सेस की सुविधा प्रदान करके समाज के अंतिम छोर पर बैठे लोगों तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचा रहा है.
निपाह वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए भारत की तैयारी
डॉ. मंडाविया ने हाल ही में केरल में निपाह वायरस के प्रकोप के बारे में भी बात की. भविष्य में किसी भी बीमारी के प्रकोप से निपटने की भारत की तैयारियों को लेकर उन्होंने कहा,
हमने कोरोना वायरस संकट से अपनी कमजोरियों और अपनी ताकत दोनों को ही अच्छी तरह से समझ लिया है. कोविड के दौरान हमने दूर-दराज के इलाकों में भी संक्रमित व्यक्ति का पता लगाने के लिए निगरानी प्रणाली को मजबूत बनाया है. हमारी निगरानी प्रणाली भारत के किसी भी हिस्से में किसी भी प्रकार की बीमारी के प्रकोप का पता लगाने के लिए काफी मजबूत है. एकत्र किया गया डेटा सीधे हमारे कमांड और कंट्रोल सेंटर में आता है, जिसके बाद हम कार्रवाई करते हैं और हाल ही में केरल में निपाह वायरस के प्रकोप के मामले में भी ऐसा ही हुआ. इस सप्ताह की शुरुआत में कोझिकोड जिले में दो अप्राकृतिक मौतों की सूचना मिलने के तुरंत बाद हमने कारण की पहचान करने के लिए विशेषज्ञों की एक केंद्रीय टीम भेजी. बीमारी की पहचान के तुरंत बाद केंद्र के मार्गदर्शन से केरल स्वास्थ्य विभाग ने कोझिकोड, कन्नूर, वायनाड और मलप्पुरम जिलों में अलर्ट जारी किया और दिशा-निर्देश जारी किए.
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डॉ. मंडाविया ने कहा कि निपाह वायरस का संक्रमण कोरोना वायरस की तरह तेजी से नहीं फैलता है. इसके संक्रमण के लक्षणों में तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, बुखार, चक्कर आना और मतली शामिल हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पुष्टि की कि सरकार ने आने वाले दिनों में संक्रमण के प्रसार पर अंकुश लगाने की तैयारी कर ली है। उन्होंने कहा,
मैं अपने नागरिकों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि जिस तरह से हम कोरोना महामारी से सफलतापूर्वक निपटे, वैसे ही हम भविष्य में किसी भी महामारी या संक्रमण का सामना करने के लिए तैयार हैं.
हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमियां दूर करने की हुई पहल
डॉ मंडाविया ने कहा कि भारत ने सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे यानी पब्लिक हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए एक अखिल भारतीय योजना, आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के माध्यम से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच हेल्थ केयर के बुनियादी ढांचे के अंतर को पाटने की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है.
‘आयुष्मान भव’ के साथ स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ी
नए स्वास्थ्य अभियान आयुष्मान भव के बारे में बात करते हुए डॉ. मंडाविया ने कहा,
आयुष्मान भव पहल 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 73वें जन्मदिन से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक ‘सेवा पखवाड़ा’ के रूप में शुरू की जाएगी. इसमें कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियां होंगी, जो देश भर में स्वास्थ्य सेवाओं और देखभाल तक लोगों की पहुंच बढ़ाने और जागरूकता लाने में मदद करेंगी.
इस पहल के साथ सरकार अलग-अलग स्वास्थ्य मेलों और आयुष्मान सभाओं के माध्यम से सात करोड़ परिवारों तक पहुंचेगी, जो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी), गांवों और पंचायतों में आयोजित किए जाएंगे. इसमें शामिल गतिविधियों का विवरण देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,
जन आरोग्य मेला सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों और व्यक्तिगत भागीदारी की मदद से देश के 1,70,000 स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) में आयोजित किया जाएगा. जिसमें सभी गांवों और कस्बों के मरीजों को चिकित्सा देखभाल प्रदान की जाएगी. साथ ही गंभीर रोगियों को विशेष अस्पतालों में रेफर किया जाएगा.
इसके अलावा तीसरे स्तर की (तृतीयक) स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कई मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल मेले आयोजित किए जाएंगे.
इन मेलों में विशेषज्ञ डॉक्टर आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों की मुफ्त जांच और इलाज करेंगे.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि आयुष्मान भव पहल के तहत सरकार का लक्ष्य प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के तहत पात्र लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड प्रदान करना है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई जा सके.
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