नई दिल्ली: नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन में पब्लिशड एक सर्वे के अनुसार, कैनाइन कम्पैनियन शिप के कई फायदे हैं और डिप्रेशन और एंग्जाइटी से राहत, तनाव कम करने और किसी के हार्ट हेल्थ में सुधार करने में ये फायदेमंद होते हैं. जानवरों के बारे में ऐसा क्या है जो इंसान की नसों को शांत करता है? चंडीगढ़ के बिजनेसमैन सिमरत पाल सिद्धू, जिन्हें न्यूटन सिद्धू के नाम से भी जाना जाता है, ने एनडीटीवी को स्टेला (एक ट्राई पूडल), एक थेरेपी डॉग से मिलवाया. जब आप उदास महसूस कर रहे हों तो स्टेला आपकी साथी हो सकती है, यह एंग्जाइटी अटैक का पता लगा सकती है, हार्ट रेट पर नज़र रख सकती है.
उन्होंने स्टेला को COVID-19 महामारी के दौरान ट्रेनिंग देना शुरू किया, और बाद में उसे अपने पड़ोस के सीनियर सिटीजन से मिलवाया. डॉग संग बातचीत करने पर लोगों ने पॉजिटिव रिस्पॉन्स दिया.
एक घटना मुझे अपने पड़ोस की एक बुजुर्ग माताजी की याद दिलाती है, जो पेशे से एक आर्टिस्ट हैं. मेरी मां ने मुझे बताया कि वह डिप्रेशन से जूझ रही थीं और इसी वजह से उन्होंने पेंटिंग करना बंद कर दिया था. एक दिन, मैं स्टेला को अपने साथ उनके घर ले गया, और जल्द ही डॉग रेगुलर विजिटर बन गया. यह सब इस पूडल डॉग के कारण था कि महिला ने फिर से पेंटिंग करना शुरू कर दिया.
सिद्धू की कंपनी, ईएसडी इंडिया, पंजाब सरकार के साथ पंजाब के मोहाली जिले के डेराबस्सी में पंजाब होम गार्ड्स कैनाइन ट्रेनिंग एंड ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट नामक एक ज्वाइंट वेंचर चलाती है, जो नशीले पदार्थों और विस्फोटकों का पता लगाने के लिए ट्रेंड डॉग देती है. ये कुत्ते सिक्किम, मणिपुर, जम्मू और कश्मीर, केरल आदि में अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस बलों में रहे हैं.
जब देश कोरोनोवायरस महामारी की चपेट में था, सिद्धू और उनके ग्रुप ने पालतू जानवरों के ट्रीटमेंट के लिए कुछ डॉग को ट्रेंड करना शुरू किया. उन्होंने कहा,
हम सुरक्षा के लिहाज से डॉग को ट्रेंड कर रहे हैं, लेकिन COVID-19 महामारी के दौरान, हम इस विचार के साथ इसलिए आए, क्योंकि मैंने कई डॉग को देखा था, जो लोगों को चिंता, अवसाद और अटैक से निपटने में मदद कर रहे थे.
डॉग के साथ बातचीत करने के हेल्थ बेनिफिट के बारे में बोलते हुए सिद्धू ने कहा कि जानवर मरीजों की सांस सूंघकर डायबिटीज, लंग कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर आदि का पता लगा सकते हैं. सिद्धू ने कहा,
कुत्तों द्वारा डायबिटीज का पता लगाने के लिए हम मरीज की लार और पसीना लेते हैं. और उस पर डॉग इम्प्रिंटिंग शुरू करते हैं. कुत्ते लगभग 18,000 अलग-अलग सेंट की पहचान कर सकते हैं. तो, अगर आपका शुगर लेवल नीचे जा रहा है, आपको पसीना आने लगता है, तो कुत्ता भौंकेगा.
उन्होंने कहा कि इस तरह की पहचान के लिए कुत्तों को ट्रेंड करना काफी मुश्किल काम था, जिसमें 7-8 महीने लगते थे, लेकिन यह मददगार साबित हुआ.
लोंगों ने लंबे समय से महसूस किया है कि महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कुत्ते कई तरीकों से सहायक हो सकते हैं. स्टेला एंग्जाइटी और डिप्रेशन, आइसोलेशन आदि से निपटने में लोगों की मदद करने के लिए जरूरी सेवा दे रही है.