नई दिल्ली : कचरे को गीले और सूखे में अलग करना बेंगलुरु के होसुर सरजापुर रोड (HSR) कॉलोनी के लोगों के लिए एक मूलमंत्र जैसा है, जो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट राउंड टेबल (SWMRT) का हिस्सा हैं. एसडब्ल्यूएमआरटी एक सामूहिक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) की एक पहल है, जिसके जरिये पब्लिक हेल्थ, सुरक्षित भोजन, स्वच्छ हवा और पानी और समावेशी ढंग से जीवन में सुधार के लिए नागरिकों और नगर पालिकाओं की सहभागिता से कचरे के कुशल प्रबंधन की मिसाल पेश की जा रही है. वहां रहने वाला प्रत्येक परिवार अपनी रसोई और बगीचे के कचरे के प्रबंधन की जिम्मेदारी निभा रहा है और ये लोग 2016 से ऐसा करते आ रहे हैं.
ठोस कचरे के निपटान के प्रयासों में तेजी लाने और खाद बनाने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने के लिए SWMRT ने विभिन्न नागरिक समूहों, नीति निर्माताओं और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के साथ मिलकर स्वच्छाग्रह के नाम से एक शहरव्यापी नागरिक जागरूकता अभियान शुरू किया. इस अभियान के तहत SWMRT का लक्ष्य दस लाख बेंगलुरु वासियों को घर के कचरे से जैविक खाद बनाने का संकल्प दिलाना है.
इस अभियान के तहत SWMRT ने स्वच्छाग्रह कालिका केंद्र की स्थापना की, जो एक थीम पार्क के रूप में भारत का पहला अपशिष्ट प्रबंधन शिक्षण केंद्र बन गया, जहां लोग खाद बनाकर अपनी रसोई और बगीचे के कचरे के प्रबंधन का सही तरीका जान और सीख सकते हैं. केंद्र में खाद बनाने की लगभग 20 विधियां सिखाई जाती हैं. जो लोग यहां आते हैं वे एक ऐसी खाद बनाने की विधि चुन सकते हैं, जो उनकी स्थितियों के मुताबिक सबसे बेहतर हो. केंद्र लोगों को यह भी सिखाता है कि कैसे इस खाद का उपयोग करके स्वास्थ्य के लिए उत्तम रसायन मुक्त साग-सब्जियां उगाने के लिए किया जा सकता है.
यह बताते हुए कि व्यक्तियों को अपशिष्ट प्रबंधन कैसे सिखाया जाता है, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट राउंड टेबल की सदस्य शांति तुम्मला ने कहा,
हम अपार्टमेंट्स में रहने वाले लोगों को यहां आने और सीखने के लिए आमंत्रित करते हैं. वे खाद बनाने की पूरी प्रक्रिया सीखते हैं, जिससे उन्हें आत्मविश्वास मिलता है और यदि आवश्यक हो, तो हम इसमें उनका सहयोग करते हैं. केंद्र में प्रशिक्षण लेने के बाद कॉलोनी के कई लोगों ने खाद बनाना शुरू कर दिया है. हम डिसेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग को प्रोत्साहित करते हैं क्योंकि जब सैकड़ों टन की भारी मात्रा में कचरा एक स्थान पर आता है, तो समस्या इससे पैदा होती है. समस्या को कम करने के लिए डिसेंट्रलाइज्ड वेस्ट प्रोसेसिंग यानी विकेंद्रीकृत अपशिष्ट प्रसंस्करण ही सबसे कारगर रास्ता है. हमें इसके लिए स्वच्छाग्रह जैसे शिक्षण केंद्रों की आवश्यकता है.
स्वच्छाग्रह अभियान का एक बड़ा मकसद लैंडफिल पर कचरे के बोझ को कम करना और लोगों को खाद से ‘ग्रीन स्पॉट’ बनाना शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करना है. इस दृष्टिकोण का उद्देश्य लोगों को अपने शहर, अपने अपार्टमेंट परिसर और अपने घरों को हरा-भरा बनाने में अपना समय व योगदान देने के लिए प्रेरित करना भी है.
एसडब्ल्यूएमआरटी के सदस्य वासुकी अयंगर ने कहा,
हमारा इरादा रसोई के उपयोगी कचरे को लैंडफिल में ले जाने से बचाना है. हम इसे लैंडफिल ले जाने से रोक कर इसे खाद में बदल सकते हैं, जो पार्कों में और सड़कों के किनारे लगे पेड़ों को पोषण देने का काम कर सकता है, जिन्हें इसकी सख्त जरूरत है. यह वास्तव में इन भूखे पेड़ों को खाना खिलाने जैसा है.
अयंगर ने कहा कि यह प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपना कुछ समय और ऊर्जा सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित करे.
हमें ज्यादा से ज्यादा स्वयंसेवकों की जरूरत है. हमें समाज के लिए कुछ समय देने की आवश्यकता है और यह तभी किया जा सकता है, जब हम अपने व्यक्तिगत और सामाजिक कार्य के शेड्यूल को व्यवस्थित करना सीखें. हर हफ्ते यदि आप चार से छह घंटे निकाल लेते हैं, तो इससे बड़ा फर्क देखने को मिल सकता है.
उम्मीद है कि स्वच्छाग्रह कालिका केंद्र में दिया जा रहा यह छोटा सा प्रशिक्षण लोगों को अपने कस्बों और शहरों से कूड़े के पहाड़ों को हटाने के कठिन प्रयासों में योगदान में सक्षम बना सकता है.
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