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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने किया आह्वान “सभी स्वास्थ्य योजनाओं का व्यापक और संपूर्ण कवरेज हो”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने अपील की है कि, “राज्य एक विजन डॉक्यूेंट बनाएं, जो हमारे राज्यों के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिहाज से देश के अमृत काल में अगले 25 सालों के लिए हमारी कोशिशों को राह दिखाने वाला रोडमैप साबित हो.”

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर की अध्यक्षता की

नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार (15 जुलाई) को इस बात पर खासा जोर दिया कि “सभी स्वास्थ्य योजनाओं के व्यापक और संपूर्ण कवरेज को सुनिश्चित किये जाने की जरूरत है ताकि कोई भी पात्र लाभार्थी लाभ से वंचित न रह जाये”. स्वास्थ्य मंत्री ने उम्मीद जतायी कि चिंतन शिविर से इस मामले में सुझाव मिल सकेंगे कि मौजूदा स्वास्थ्य रक्षा संबंधी सुविधाओं को कैसे मजबूत किया जाये और साथ ही देश भर में किस तरह की कवायद की जरूरत है. डॉ. मांडविया ने ये बातें दो दिवसीय स्वास्थ्य चिंतन शिविर के आयोजन की अध्यक्षता करते हुए कही. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की केंद्रीय परिषद की 15वीं कॉन्फ्रेंस देहरादून में 14 और 15 जुलाई को हुई.

आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. मांडविया ने मंथन करने वाले एक फोरम पर फोकस करने के बारे में कहा,

इस चिंतन शिविर से हमें स्वास्थ्य क्षेत्र के अनेक मुद्दों को गहराई से समझने का मौका मिल सकता है.

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के भविष्य के बारे में उन्होंने आगे कहा,

इस अमृत काल में हमें अपनी ही ज्ञान परंपरा से प्रेरणा लेते हुए अपना एक स्वदेशी स्वास्थ्य मॉडल विकसित करना चाहिए. हमें अनेक राज्यों और PM-JAY कार्डों की परिपूर्णता वाले राज्यों में कुष्ठ, टीबी, हंसिया कोशिका एनीमिया (Sickle Cell Anaemia) आदि रोगों के बोझ से मुक्ति पाने का हल खोजना चाहिए.

23 सितंबर 2018 को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना (PM-JAY) लॉन्च की गयी थी. इसका मकसद हर परिवार को हर साल द्वितीय या तृतीय श्रेणी केयर के तहत हॉस्पिटैलाइजेशन के लिए 5 लाख रुपये का हेल्थ कवर देना है. यह योजना देश के 12 करोड़ गरीब और असुरक्षित परिवारों की मदद के लिए है. PM-JAY के माध्यम से लाभार्थी अस्पतालों में बगैर कैश भुगतान के ही स्वास्थ्य सेवाएं पा सकते हैं. इसके अंतर्गत 3 दिन का प्री हॉस्पिटैलाइजेशन और डायग्नोस्टिक व दवाओं जैसे खर्च समेत 15 दिन का पोस्ट हॉस्पिटैलाइजेशन कवर होता है.

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आधिकारिक डैटा के अनुसार, 13 जुलाई 2023 तक आयुष्मान भारत PM-JAY के अंतर्गत अस्पताल में भर्ती होने के 5.36 करोड़ से ज्यादा आधिकारिक मामले रहे.

डॉ. मांडविया ने आगे कहा कि राज्यों को स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्च बढ़ाना होगा और इस प्रयास के लिए भारत सरकार से सहयोग सुनिश्चित करना होगा. उन्होंने कहा,

यह महत्वपूर्ण है कि हर नीति और आगे बढ़े, और इसे और उन्नत करने के लिए पिछली सीखों पर ध्यान दिया जाना चाहिए, जिससे कि देश के नागरिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.

इस दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन आयुष्मान भारत के विभिन्न पहलुओं पर सत्र आयोजित किये गये. इनमें आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM), हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM) जैसे कार्यक्रम शामिल थे. उन्होंने कहा,

राज्य एक विजन डॉक्यूेंट बनाएं जो हमारे राज्यों के नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिहाज से देश के अमृत काल में अगले 25 सालों के लिए हमारी कोशिशों को राह दिखाने वाला रोडमैप साबित हो.

डॉ. मांडविया ने यह भी सलाह दी कि देश के लिए भविष्योन्मुखी स्वास्थ्य नीतियां बनाये जाने के लिए राज्यों और केंद्र को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने राज्यों को अपने स्तर पर चिंतन शिविर आयोजित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया ताकि उनकी विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरतों और प्राथमिकताओं के लिहाज से स्थानीय स्तर पर हल निकाले जा सकें. स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नीतियां बनाने के सिलसिले में उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि नयी पीढ़ी की अपेक्षाओं और आइडिया को भी इसमें शामिल कर इसे ज्यादा से ज्यादा समावेशी बनाया जाये.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, “आयुष्मान ग्राम सभाएं” सभी गांवों में आयोजित करवाई जाएंगी. समाचार एजेंसी पीटीआई ने रिपोर्ट किया कि सभी गांवों में राज्यों और केंद्र की स्वास्थ्य योजनाओं के लाभ लोगों तक पहुंचाने के मकसद से ये सभाएं होंगी और जो गांव इन योजनाओं के लक्ष्य को पूर्ण रूप से हासिल कर लेंगे उन्हें “आयुष्मान गांव” घोषित किया जाएगा.

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के बारे में बात करते हुए डॉ. मांडविया ने कहा,

देश से टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए लोक भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण है. टीबी उन्मूलन के लिए हमारा नजरिया स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति भारतीय नजरिया दर्शाता है. मैं लोगों को प्रेरित करता हूं कि वे आगे आकर निक्षय मित्र बनें क्योंकि भारत को टीबी मुक्त बनाने का सफर अभी लंबा हो सकता है.

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उन्होंने राज्यों से टीबी उन्मूलन को प्राथमिकता पर रखने का और इसे और गति देने का भी आग्रह किया. उन्होंने राज्यों से यह आग्रह भी किया कि देश के दिव्यांग नागरिकों को सहारा दिया जाये और यह लक्ष्य दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करते हुए आसान बनाया जा सकता है.

स्वास्थ्य चिंतन शिविर में नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा,

पिछले दो दिनों में यहां मौजूद सभी के इनपुट के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक पवित्र प्रतिमान बनाया गया है और यह जरूरी है कि जो रिजॉल्यूशन हम आज यहां पास करें उसे अमल में लाया जाये ताकि जो लक्ष्य निश्चित किये गये हैं, उन्हें अगले साल तक हासिल किया जा सके.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देश के गरीब व जरूरतमंद तबके को स्वास्थ्य सुरक्षा देने वाली अटल आयुष्मान योजना की तारीफ की. उन्होंने कहा,

ई-संजीवनी ने तकनीक की मदद से स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में काफी बड़ा योगदान दिया है.

दो दिवसीय कार्यक्रम को संपन्न करते हुए डॉ. मांडविया ने कहा,

स्वास्थ्य चिंतन शिविर हमें स्वास्थ्य में अंतिम मील कनेक्टिविटी के विचार के करीब लाने में मदद करेगा. पिछले दो दिनों में, हमने आज भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र का विस्तृत अवलोकन किया और यह भी देखा कि यूनिवर्सल स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करने के लिए हमें किस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.

अपनी बात को विराम देते हुए डॉ. मांडविया ने कहा,

इस प्रभावी चिंतन शिविर के बाद जब हम अपने राज्यों की ओर लौटें, तो हमें इस सम्मेलन में मिली सीखों पर अमल करना चाहिए. हमें आयुष्मान भारत कार्ड और आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट आईडी के पूर्ण लक्ष्य को हासिल करने पर फोकस करने वाली नीतियों के माध्यम से हल निकालने चाहिए; हमारे राज्यों को टीबी मुक्त और देश से कुष्ठ, कालाजार और मलेरिया को खत्म करना चाहिए.

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