नई दिल्ली: एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया पर 2 अक्टूबर (रविवार) को आयोजित 12 घंटे के टेलीथॉन पर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन एनडीटीवी के प्रणय रॉय और अभियान के एम्बेसडर अमिताभ बच्चन के साथ “बीमार स्वास्थ्य को रोकना और न केवल इसका इलाज करना” विषय पर बातचीत करने के लिए एक सेशन में शामिल हुईं. डॉ. स्वामीनाथन ने कोविड-19 महामारी से मिले तीन प्रमुख सबक- क्लाइमेट चेंज, पब्लिक हेल्थ अप्रोच और कम्युनिटी इंगेजमेंट के लिए डाटा और रिसर्च को भी साझा किया.
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डॉ. स्वामीनाथन द्वारा बताई गईं 10 बातें:
- गांधी की शिक्षाओं को याद रखना ज़रूरी है. महामारी से मिला मुख्य सबक जलवायु परिवर्तन है और यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि मनुष्यों ने पर्यावरण के साथ क्या किया है. हम सभी को समझना चाहिए, हमारा भविष्य, हमारा जीवन, सभी पर्यावरण के स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं. इंसानों ने जो किया है वह यह है कि उन्होंने सिर्फ इंसानों पर ही ध्यान केंद्रित किया है. और उन्होंने भूमि और समुद्री पर्यावरण दोनों को खत्म कर दिया है.
- लोगों और सरकारों को व्यक्तिगत रूप से पर्यावरण पर अधिक ध्यान देने की ज़रूरत है. हम सभी को बायोडायवर्सिटी, विभिन्न प्रजातियों की रक्षा करने और अब प्रजातियों को विलुप्त नहीं होने देने के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि इन सभी के पर्यावरण पर अपनी-अपनी तरह के प्रभाव हैं.
- मेरे लिए महामारी से दूसरी बड़ी सीख यह है कि कमजोर लोगों को हमेशा किसी भी नुकसान में असमान रूप से नुकसान होता है. हम इसे हाल ही में पाकिस्तान में बाढ़ और अफ्रीका में हो रही भोजन की कमी जैसी चीजों के साथ देख रहे हैं. और यह हम में से किसी के भी और किसी भी देश के साथ हो सकता है. इक्विटी पर ध्यान देना और पीछे छूटे लोगों की मदद करना महत्वपूर्ण है.
- तीसरा बड़ा सबक है ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य’, दृष्टिकोण, निवेश और किसी भी तरह की प्रतिक्रिया में समुदाय को शामिल करना, अच्छे डाटा सिस्टम होना, जिम्मेदारी से काम करने में सक्षम होना और विज्ञान का पालन करना आवश्यक है.
- हमने ढाई वर्षों में COVID महामारी से बहुत कुछ सीखा है, लेकिन हम यह नहीं जानते कि आने वाले वर्षों में वायरस कैसे विकसित होगा. उम्मीद है कि ओमिक्रॉन और उसके सब-वेरिएंट प्रेडोमिनेंट होंगे और जिससे धीरे-धीरे मानव जाति वायरस के गंभीर परिणामों से इम्यूनिटी प्राप्त कर लेगी. उम्मीद है कि यह एक सामान्य सर्दी-जुकाम के वायरस की तरह हो जाएगा जो हमें ज्यादा बीमार नहीं करेगा. लेकिन सबसे खराब स्थिति तब होती है जब वायरस म्यूटेट होता है और इम्यूनिटी से बचने में सक्षम होता है, जो कि वैक्सीन या संक्रमण द्वारा निर्मित होता है, उस स्थिति में हमें फिर से गंभीर बीमारी, मृत्यु और नए टीके विकसित करने की प्रक्रिया से गुजरना होगा.
- लगभग 20-22 वायरल परिवार हैं जो भविष्य की महामारियों जैसे पॉक्स वायरस, इन्फ्लूएंजा वायरस, कोरोना वायरस, नए इबोला प्रकोप, निपाह का कारण बन सकते हैं. हमें ऐसी बीमारियों के लिए एक प्रोटोटाइप वैक्सीन कैंडिडेट तैयार करने की जरूरत है, ताकि अगर भविष्य में कुछ होता है तो हम प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ा सकें. लक्ष्य एक वैक्सीन विकसित करने की अवधि को कम करना है, इस बार COVID के साथ, हमने इसे एक वर्ष में किया, जो अपने आप में अभूतपूर्व था, लेकिन अगली बार, इसे 3 महीने या 6 महीने से कम समय में करने की उम्मीद है और इसके लिए हमें फंड और निवेश की जरूरत है.
- कोविड के समय में वैश्विक प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि, टीके कोविड के खिलाड लड़ाई में शानदार उपकरण रहे हैं, लेकिन केवल अगर हमने पहले वर्ष में समझदारी से उनका इस्तेमाल किया होता जब सीमित सप्लाई उपलब्ध थी और बुजुर्गों, फ्रंटलाइन और स्वास्थ्य कर्मियों जैसे उच्च जोखिम वाले सभी लोगों को वैक्सीन दी जा रही थी, तो हम बहुत ज़िंदगियां बचा सकते थे. अनुमानों के अनुसार, कोविड के टीके ने 20 मिलियन लोगों की जान बचाई है और अगर हमारे पास वैश्विक एकजुटता होती तो कुछ और मिलियन लोगों को बचाया जाना संभव हो सकता था.
- विकसित किए गए टीकों में अधिर प्रभाव और सेफ्टी होती है. टीके गंभीर बीमारी को रोकते हैं और उन वायरस से लड़ते हैं जो विकसित होने की कोशिश कर रहे हैं, और हर बार जब वे म्यूटेट होते हैं तो वायरस को एंटीबॉडी से बचने की अनुमति देते हैं. ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने टीका नहीं लगवाया है और बीमार नहीं हुए हैं, लेकिन यह किस्मत की बात है. अगर आप युवा और स्वस्थ हैं तो संभावना है कि आप संक्रमण से लड़ने में सक्षम होंगे, लेकिन अगर आप बूढ़े हैं और उच्च रक्तचाप, हृदय या न्यूरोलॉजिकल रोग जैसी बीमारियों के दायरे में आते हैं, तो संभावना है कि आप बीमार हो जाएंगे. वहीं, कोविड के कारण मृत्यु दर अभी भी 10,000 प्रति दिन के आसपास मंडरा रही है. अभी यह इन्फ्लूएंजा की तुलना में बहुत अधिक बीमारी पैदा कर रहा है.
- भारत ने लोगों का टीकाकरण करने का बहुत अच्छा काम किया है. भारत ने 15-18 महीनों में एक अरब से अधिक लोगों को टीका लगाया है. भारत ने 2021 में सिर्फ फ्रंटलाइन और हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ टीकाकरण शुरू किया और धीरे-धीरे इसे बढ़ाया. डेल्टा लहर के दौरान कई लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ था जिसका प्रभाव हमने उस लहर में देखा था.
- हेल्थ और फिटनेस जीवन का बहुत अहम हिस्सा है. आज, भारत की आबादी पर नॉन-कम्यूनिकेबल रोगों का बहुत अधिक बोझ है, जो कि कम उम्र में ही शुरू हो रहा है और यह हमारे डाइट, लाइफस्टाइल, फिजिकल एक्टिविटी आदि जैसे कई कारकों के कारण हैं. हम सभी को जो करना चाहिए वह है जितना हो सके स्वस्थ रहें और स्वस्थ आहार का पालन करें, शारीरिक व्यायाम करें, तंबाकू और शराब आदि से बचें. यह सब आपकी नेचुरल इम्यूनिटी को बढ़ावा देता है और संक्रमण और वायरस से लड़ने में मदद करता है जिसका आप दिन-प्रतिदिन सामना करते हैं.
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