नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्री (Women and Child Development Minister) स्मृति ईरानी के यह कहने के बाद कि माहवारी या मासिक धर्म एक “बाधा” नहीं है और इसके लिए “paid leave” के लिए किसी पॉलिसी की जरूरत नहीं है, एक नई बहस छिड़ गई है. कई कामकाजी महिलाओं को लगता है कि उन्हें मासिक धर्म के दौरान होने वाली परेशानी से डील करने के लिए कुछ दिनों की छुट्टी मिलना एक वैलिड ऑप्शन है. क्योंकि पेट में ऐंठन (Debilitating abdominal cramps), असहनीय सिरदर्द (unrelenting headache), लगातार थकान (persistent fatigue) और मूड में बदलाव (mood swings) कुछ ऐसे लक्षण हैं जो एक महिला हर महीने अपने मासिक धर्म के दौरान अनुभव कर सकती है.
केरल की एक मीडिया प्रोफेशनल अन्नू मैथ्यू (Annu Matthew) ने कहा कि पीरियड्स कोई “काल्पनिक पीड़ा” नहीं है और इसके दौरान महिलाओं को शारीरिक और मानसिक तकलीफ होती हैं. मैथ्यू ने PTI से कहा,
कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान शारीरिक दर्द (physical pain) होता है. यहां तक कि जब हमें ऐंठन (cramps) जैसी शारीरिक तकलीफ नहीं होती है, तब भी पीरियड्स के दौरान ऐसे दिन हो सकते हैं जब आप कोई डिसीजन लेने में थोड़ा कंफ्यूज हो जाते हैं या कहें कि आप सही तरीके से सोच नहीं पाते हैं.
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट श्वेता शर्मा ने महिलाओं पर पीरियड्स से होने इम्पैक्ट यानी प्रभाव पर अन्नू मैथ्यू की बात को ही दोहराया और कहा कि वे माहवारी के दौरान “तनाव या भावनात्मक उत्तेजनाओं पर ज्यादा तेजी से प्रतिक्रिया कर सकती हैं.” उन्होंने कहा,
कुछ महिलाएं पीरियड्स के दौरान कॉग्निटिव फंक्शन (cognitive function) में बदलाव की बात बताती हैं, जैसे किसी चीज पर फोकस करने में कठिनाई का अनुभव करना या याददाश्त में कमी आना. मासिक धर्म (menstruation) से जुड़ी शारीरिक परेशानी और भावनात्मक बदलाव तनाव के स्तर को बढ़ा सकते हैं.
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श्वेता शर्मा ने कहा कि महिलाओं को मेंसुरल लीव (menstrual leave) दी जानी चाहिए “जब भी उन्हें इसकी जरूरत हो” क्योंकि मासिक धर्म चक्र का अनुभव “विभिन्न महिलाओं के बीच भिन्न हो सकता है.” उन्होंने कहा,
हर महिला का मेंसुरल साइकिल (menstrual cycle) कई फैक्टर से प्रभावित होता है, जिसमें जेनेटिक, हार्मोनल लेवल, ओवरऑल हेल्थ, लाइफ स्टाइल और इंडिविजुअल डिफरेंस यानी व्यक्तिगत अंतर शामिल हैं.
अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए रिलेशनशिप कोच जीविका शर्मा ने बताया कि 13 साल पहले उनके 80 फीसदी क्लाइंट पीरियड लीव के खिलाफ थे. उन्होंने कहा,
पीरियड्स के दौरान उन्हें आराम करने की कोई जरूरत नहीं लगती थी और आज वो मानसिक और शारीरिक रूप से इस हद तक पीड़ित हैं कि वो या तो कोई थेरेपी ले रहे हैं या फिर दवाईयां ले रही है. उन्होंने तकलीफ को अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है.
जीविका शर्मा ने सुझाव दिया कि ऑफिसों को महिलाओं के लिए साल में 12-20 छुट्टियां अलग से देनी चाहिए जिनका वे मासिक धर्म (Periods) के दौरान किसी भी तरह की असुविधा के समय इस्तेमाल कर सकें. जीविका ने कहा,
यह केवल उस दर्द के बारे में नहीं है जिससे महिलाएं हर महीने गुजरती हैं बल्कि ज्यादातर मामलों में यह दर्द के बजाय एंग्जायटी (anxiety) और डिप्रेशन (depression) का फेज होता है जहां महिलाओं को मानसिक रूप से खुद को ठीक करने के लिए एक दिन की छुट्टी की जरूरत होती है.
बुधवार (13 दिसंबर) को, मासिक धर्म की छुट्टी के प्रस्ताव पर विचार करने से इनकार करते हुए, श्रीमती ईरानी ने तर्क दिया कि यह महिलाओं को समान अवसर से वंचित कर सकता है. उन्होंने राज्यसभा में कहा,
यह देखते हुए कि आज महिलाएं ज्यादा से ज्यादा आर्थिक अवसरों का विकल्प चुन रही हैं, मैं इस पर सिर्फ अपना व्यक्तिगत विचार रखूंगी, मैं संबंधित मंत्रालय से नहीं हूं. हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं देना चाहिए जहां महिलाओं को किसी तरह से समान अवसर देने से वंचित किया जाता है, सिर्फ इसलिए कि जिस व्यक्ति को मासिक धर्म नहीं होता, उसका मासिक धर्म के प्रति एक खास नजरिया है.
बीजेपी सांसद स्मृति ईरानी ने आगे कहा,
एक महिला के तौर पर मासिक धर्म को लेकर मेरा कहना है कि, मासिक धर्म और मासिक चक्र कोई बाधा नहीं है, यह महिलाओं के जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है.
श्रीमती ईरानी देश में मासिक धर्म स्वच्छता नीति (Menstrual hygiene policy) पर राजद सांसद मनोज कुमार झा के पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रही थीं.
PR प्रोफेशनल दीपिका माहेश्वरी ने यह भी कहा कि महिलाएं “किसी तरह की दखलंदाजी का सामना किए बिना अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने की हकदार हैं.” माहेश्वरी ने कहा,
मेरा मानना है कि वर्कप्लेस पर पीरियड लीव्स (Period leaves) एक वैलिड ऑप्शन होना चाहिए. यह एक व्यक्तिगत पसंद (Personal choice) है, और यदि कोई अच्छा महसूस नहीं कर रहा है, तो उससे अनावश्यक पूछताछ के बजाय उसकी मदद करने की कोशिश की जानी चाहिए.
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मेंसुरल लीव यानी मासिक धर्म की छुट्टी को लेकर बहस पहले भी संसदीय चर्चा का हिस्सा रही है और कुछ दिनों में यह सवाल दो बार उठाया गया है. पिछले हफ्ते लोकसभा में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पूछा था कि “क्या सरकार ने वर्कप्लेस के लिए पेड मेंसुरल लीव (Paid menstrual leave) का प्रावधान करने पर विचार किया है?”
सुश्री ईरानी ने अपनी लिखित प्रतिक्रिया में कहा,
फिलहाल सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.
स्पेन, जापान, इंडोनेशिया, फिलीपींस, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जाम्बिया और वियतनाम सहित दुनिया भर के कई देशों ने वर्कप्लेस पर पेड मेंसुरल लीव को अनिवार्य करने की पहल की है.
हालांकि, यह अवधारणा भारत के लिए भी इतनी नई नहीं है. 1992 से, बिहार सरकार ने महिला कर्मचारियों को उनके मासिक धर्म के दौरान हर महीने दो दिन की सवैतनिक छुट्टी यानी पेड लीव की इजाजत दी है.
इस साल की शुरुआत में, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने कहा कि उनकी सरकार सभी स्टेट यूनिवर्सिटी में फीमेल स्टूडेंट्स को मेन्सुरल लीव यानी मासिक धर्म की छुट्टी देगी.
हालांकि, सभी महिलाएं मासिक धर्म की छुट्टी के पक्ष में नहीं हैं. जिनमें एक्ट्रेस कंगना रनौत भी शामिल हैं. कंगना ने कहा कि “जब तक यह कोई स्पेसिफिक मेडिकल कंडीशन न हो”, महिलाओं को पीरियड्स के लिए पेड लीव की जरूरत नहीं है. कंगना रानौत ने इंस्टाग्राम पर लिखा,
वर्किंग वूमेन एक मिथक (myth) है, मानव इतिहास में ऐसी कोई महिला नहीं है जो कामकाजी ना हो. खेतों में काम करने से लेकर घर संभालने और बच्चों का पालन-पोषण करने तक, महिलाएं हमेशा से काम करती आई हैं. और इस दौरान परिवार, समाज या देश के प्रति उनके कमिटमेंट में कभी कोई आड़े नहीं आया है…प्लीज समझिए कि यह पीरियड है, कोई बीमारी या दिव्यांगता नहीं है.
एक और कम्युनिकेशन प्रोफेशनल शिवानी मेहता, श्रीमती ईरानी के बात सहमत हुईं और कहा कि “accept it and deal with it” यानी इसे स्वीकार करें और इससे निपटें क्योंकि यह महिलाओं की दैनिक दिनचर्या का हिस्सा है. शिवानी मेहता ने कहा,
जिम्मेदारी उठाना, आलस्य करने या घर पर रहने से बेहतर है. यदि आप बिजी रहेंगे, तो आपको दर्द का एहसास भी कम होगा. अगर महिलाएं पीरियड से पहले और उसके दौरान सही डाइट और एक्सरसाइज करें, तो दर्द कम हो सकता है.
(यह स्टोरी NDTV स्टाफ द्वारा एडिट नहीं की गई है और एक सिंडीकेट फीड से पब्लिश हुई है.)
 
                     
                                     
																								
												
												
											 
																	
																															 
									 
																	 
									 
																	 
									 
																	 
									 
																	 
                                                     
                                                                                     
                                                     
                                                                                     
                                                     
                                                                                     
                                                     
                                                                                     
                                                     
                                                                                     
														 
																											 
														 
																											 
														