NDTV-Dettol Banega Swasth Swachh India NDTV-Dettol Banega Swasth Swachh India
  • Home/
  • स्वतंत्रता दिवस स्पेशल/
  • मिलिए बेंगलुरू की आशा कार्यकर्ता रहमथ से, जिन्‍होंने अपने समुदाय के वंचितों के लिए सुनिश्चित की बेहतर हेल्‍थ केयर

स्वतंत्रता दिवस स्पेशल

मिलिए बेंगलुरू की आशा कार्यकर्ता रहमथ से, जिन्‍होंने अपने समुदाय के वंचितों के लिए सुनिश्चित की बेहतर हेल्‍थ केयर

रहमथ बेंगलुरू की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती जीडी मारा में अपने कर्तव्यों का पालन करती है, जिसमें लगभग 3,000 परिवार रहते हैं

Read In English
बेंगलुरू की आशा कार्यकर्ता रहमथ ने यह सुनिश्चित किया कि वंचितों को बेहतर हेल्‍थ केयर मिले

नई दिल्ली: 45 वर्षीय रहमथ, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता या आशा कार्यकर्ता पिछले सात सालों से बेंगलुरु की मलिन बस्तियों में अथक प्रयास कर रही हैं. रहमथ और आशा कार्यकर्ताओं की उनकी टीम सुनिश्चित करती है कि वंचितों की स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच हो. आशा कार्यकर्ता प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं और भारत के हर हिस्से में स्वास्थ्य सेवाओं और समुदायों के बीच एक सेतु भी हैं.

उन्‍होंने एनडीटीवी को बताया,

झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं. हम उन्हें प्रेरित करते हैं, लेकिन यह अभी भी एक चुनौती है. हम घर-घर जाते हैं, उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करते हैं, और कोई समस्या होने पर तुरंत डॉक्टरों को सूचित करते हैं. लेकिन कभी-कभी, वे हमारी सलाह मानते हैं और यह चुनौतीपूर्ण है.

रहमथ बेंगलुरू की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती जीडी मारा में अपनी ड्यूटी करती है, जिसमें लगभग 3,000 परिवार रहते हैं. स्वास्थ्य सेवा के विभिन्न पहलुओं में ट्रेंड रहमथ यहां कई काम करती हैं, जैसे गर्भवती महिलाओं को उनके प्रसव में मदद करना, बच्चों का टीकाकरण करना और अपने एरिया में जन्म और मृत्यु के विवरण के साथ एक डायरी बनाए रखना.

इसे भी पढ़ें: मिलिए यूपी के बहराइच की आशा कार्यकर्ता से, जिसने सात वर्षों में बनाया ज़ीरो गर्भपात का रिकॉर्ड

रहमठ की हाउसकीपर और लाभार्थी चंद्रम्मा ने NDTV को बताया,

डॉक्टर के पास जाने से पहले हम जो भी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करते हैं, उसके लिए हम सबसे पहले आशा कार्यकर्ता को फोन करते हैं.

रहमथ का कहना है कि उनका काम शारीरिक रूप से थका देने वाला होता है, लेकिन कम विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने की उनकी प्रतिबद्धता ही उन्हें आगे बढ़ाती है.

देश में लगभग दस लाख आशा कार्यकर्ताएं हैं, जिसमें से कर्नाटक में लगभग 42,000 वर्कर हैं. लॉन्‍ग वर्किंग आर्स, शारीरिक थकावट, टाइम पर सैलरी न मिलना और जागरूकता और सहयोग की कमी को दूर करना उनके सामने आने वाली चुनौतियों का ही हिस्सा हैं.

वह अपनी नौकरी में जीतोड़ मेहतन करने से लेकर यह सुनिश्चित करती हैं कि वे अपना समय विशेष रूप से झुग्गी-झोपड़ियों के घरों में बिताएं, यह सुनिश्चित करें कि ये लोग अपनी दवाएं लें और उनकी सलाह को भी गंभीरता से लें. जहां तक आशा कार्यकर्ता के जमीनी काम का सवाल है तो यह सबसे चुनौतीपूर्ण काम है.

ये आशा कार्यकर्ता संक्रामक रोगों के संपर्क में भी आती हैं और लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण उनका स्वास्थ्य खराब हो सकता है, जैसा कि महामारी के दौरान हुआ था. ये परिस्थितियां उनके काम को और अधिक उल्लेखनीय बनाती हैं, क्योंकि वे प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली की रीढ़ हैं और भारत के हर हिस्से में स्वास्थ्य सेवाओं और समुदायों के बीच की मजबूत कड़ी हैं.

इसे भी पढ़ें: आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका बेहद अहम, उन्होंने कई वर्जनाओं को तोड़ने में की मदद: नव्या नवेली नंदा

Highlights: Banega Swasth India Launches Season 10

Reckitt’s Commitment To A Better Future

India’s Unsung Heroes

Women’s Health

हिंदी में पढ़ें

This website follows the DNPA Code of Ethics

© Copyright NDTV Convergence Limited 2023. All rights reserved.