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आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका बेहद अहम, उन्होंने कई वर्जनाओं को तोड़ने में की मदद: नव्या नवेली नंदा

हेल्थ टेक एंटरप्रेन्योर और जेंडर इक्वेलिटी एक्टिविस्ट नव्या नवेली नंदा ने स्वस्थ समाज के निर्माण में आशा कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात की

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आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका बेहद अहम, उन्होंने कई वर्जनाओं को तोड़ने में की मदद: नव्या नवेली नंदा
हेल्थ टेक एंटरप्रेन्योर और जेंडर इक्वेलिटी एक्टिविस्ट नव्या नवेली नंदा से खास बातचीत

नई दिल्ली: आज़ादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया ने कैंपेन एंबेसडर अमिताभ बच्चन के साथ एक स्पेशल एपिसोड- सैल्यूटिंग भारत की ‘आशा’ का आयोजन किया. यह एपिसोड भारत की दस लाख आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ताओं को समर्पित था, जो ग्रामीण स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे की रीढ़ हैं और कुपोषण, स्वास्थ्य के खिलाफ देश की लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में हैं. स्पेशल एपिसोड में विशेषज्ञों ने एक मंच पर भारत में आशा कार्यकर्ताओं अहम भूमिका पर चर्चा की और बताया कि कैसे देश स्वस्थ भारत के निर्माण में अपनी भूमिका को और मजबूत कर सकता है.

हेल्थ टेक एंटरप्रेन्योर और जेंडर इक्वेलिटी एक्टिविस्ट नव्या नवेली नंदा, स्पेशल शो में शामिल हुईं और महिलाओं के स्वास्थ्य और शरीर को समझने के लिए शिक्षा को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया और यह भी कहा कि आशा के समर्पण और जुनून के बिना, स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना और स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में जागरूकता फैलाने के मामले में काम अधूरा है.

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स्पेशल एपिसोड में उन्होंने जो बातें कहीं, उनकी मुख्य हाइलाइट्स इस प्रकार हैं:

  1. पिछले साल, जब मैं महिलाओं से संबंधित स्वास्थ्य सेवा मंच – आरा हेल्थ पर काम कर रही थी, हमने 14 साल की उम्र की लड़कियों के साथ स्वास्थ्य और स्वच्छता पर एक कार्यशाला का आयोजन किया थ. कार्यशाला का उद्देश्य युवा लड़कियों से मासिक धर्म के बारे में बात करना और विभिन्न स्वास्थ्य प्रथाओं के बारे में बात करना था जो उन्हें अपने महीने के मासिक धर्म के दौरान करनी चाहिए. उस समय, एक युवा लड़की ने मेरे साथ एक उदाहरण साझा किया और मुझे बताया कि जब उसे मासिक धर्म शुरू हुआ तो उसे आश्चर्य हुआ. उसने सोचा कि मासिक धर्म का खून लाल रंग के बजाय नीले रंग का होना चाहिए क्योंकि सैनिटरी पैड वाले विज्ञापनों पर हम सभी टीवी पर यही देखते हैं. और इस बात से मैंने जाना कि यह समस्या वास्तव में कितनी बड़ी समस्या है. इससे मुझे एहसास हुआ कि समस्या सिर्फ उत्पादों तक पहुंचने में नहीं है बल्कि जिस तरह से हमें चीजों के बारे में सिखाया जाता है उसमें भी समस्या है. हम इस प्रक्रिया के बारे में पारदर्शी नहीं हैं, जिससे ज्यादातर महिलाएं गुजरती हैं. इस एक उदाहरण ने मुझे महसूस कराया कि महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता और शिक्षा को बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है. और, वास्तव में यही मेरी प्रेरणा रही है.
  2. इस जागरूकता को फैलाने में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका की बात करें तो मुझे लगता है कि यह भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है. इनके बिना हमारा काम अधूरा है. हम कई इलाकों और स्थानों पर जा सकते हैं लेकिन आखिर में आशा कार्यकर्ताओं का काम के प्रति समर्पण और जुनून ही काम को धरातल पर लाने में मदद करता है.
  3. आशा कार्यकर्ता अपने गांवों या कस्बों में मजबूत समुदाय बनाने में मदद करती हैं. वे वो लोग हैं जो महिलाओं के स्वास्थ्य, मासिक धर्म के बारे में मिथकों और वर्जनाओं को दूर करने में मदद करते हैं.
  4. हमने महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में पीरियड होम्स नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू किया था, जहां महिलाओं से अभी भी मासिक धर्म के दौरान अपना घर छोड़ने की उम्मीद की जाती है. लेकिन अब उनकी जर्जर और अस्वच्छ माहवारी झोपड़ियों को आधुनिक विश्राम गृहों में तब्दील कर दिया गया है. आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग के बिना यह परियोजना संभव नहीं होती. पहल के बारे में जागरूकता फैलाने, लोगों को इन झोंपड़ियों में रहने के बारे में समझाने में उन्होंने जो भूमिका निभाई, वह कुछ ऐसा है जो हम अकेले नहीं कर सकते थे क्योंकि हमारा समुदाय से जुड़ाव नहीं है. हम संसाधन और अवसर ला सकते हैं लेकिन अंत में यह आशा कार्यकर्ताओं का जुनून और समर्पण है जो वास्तव में जमीन पर काम करवाने में सक्षम है.
  5. आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है, उन्होंने बहुत सारी वर्जनाओं को तोड़ने में मदद की है और मुझे लगता है कि इससे बेहतर कोई तरीका नहीं हो सकता था.
  6. प्रौद्योगिकी के बारे में बोलते हुए और भारत में आशा कार्यकर्ताओं के कौशल में प्रौद्योगिकी की भूमिका कितनी अहम है इस बारे में उन्होंने कहा कि, मुझे लगता है, हम पहले ही देख चुके हैं कि पिछले कुछ वर्षों में इंटरनेट की पहुंच कितनी बढ़ गई है. अनुमान बताते हैं कि 2030 तक हमारे भारत में लगभग 1.3 बिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता होने की उम्मीद है और आज लगभग 373 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्ता देश के ग्रामीण क्षेत्रों से हैं – जो वास्तव में इसकी गहराई को और हम कितनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं इसको दर्शाता है.
  7. प्रौद्योगिकी का उपयोग करना न केवल युवाओं के लिए बल्कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच के अंतर को भरने के लिए भी सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक है. समय की मांग है कि तकनीक का इस्तेमाल किया जाए, सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म का समझदारी से इस्तेमाल किया जाए और महिलाओं के स्वास्थ्य जैसे मुद्दों के बारे में बात की जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचा जा सके. यह युवाओं की जिम्मेदारी है कि वे इस भूमिका को निभाएं.

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Highlights: Banega Swasth India Launches Season 10

Reckitt’s Commitment To A Better Future

India’s Unsung Heroes

Women’s Health

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