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कोविड के मामले बढ़ रहे हैं, क्या एक बार फिर से मास्क पहनने का समय आ गया है? जानिए एक्सपर्ट्स का इस बारे में क्या कहना है

कोविड-19 के मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी लोगों के बीच चिंता की वजह बन रही है, क्योंकि देश में 2,000 से ज्यादा एक्टिव मामले पाए गए हैं और तीन राज्यों में इसके चलते छह लोगों की मौत हो गई है

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COVID Cases Are Up, Is It Time To Mask Up? Here’s What The Experts Have To Say
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए, लोगों को खासतौर से सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनकर जाने की सलाह दी है

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते मामलों और इसकी वजह से हुई कुछ मौतों की रिपोर्ट ने इस महामारी की पुरानी डरा देने वाली यादों को मानों फिर से जिंदा कर दिया है. इस माहामारी ने लोगों को अपना आम जीवन जीने से रोक दिया था और दुनिया मानो लगभग दो सालों के लिए थम सी गई थी. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) के मुताबिक, 21 दिसंबर 2023 तक, देश में 500 से ज्यादा नए COVID-19 के मामले दर्ज किए गए, जबकि इसके एक्टिव मामलों की संख्या अब बढ़कर करीब 2,669 हो गई है. अब तक, तीन राज्यों – केरल, कर्नाटक और पंजाब में इस वायरस के नए सब वैरिएंट से छह लोगों की मौत हो चुकी है.

कोविड के मामलों में बढ़ोतरी कथित तौर पर इसके एक नए सब-वैरिएंट की वजह से हुई है जो अब हमारे देश में भी आ गया है. भारत में सबसे पहले यह वैरिएंट केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के काराकुलम (Karakulam) में पाया गया था. कोविड का नया सब- वैरिएंट JN.1 , पिरोला (Pirola) BA.2.86 वैरिएंट का वंशज है, जो खुद ओमिक्रॉन के सब वैरिएंट से बना है.

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कोविड के मामलों में उछाल को देखते हुए, स्वास्थ्य विशेषज्ञों (Health experts) ने इस वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए, लोगों को खासतौर से सार्वजनिक जगहों (Public places) पर मास्क पहनकर जाने की सलाह दी है. नए सब-वैरिएंट की वजह से कोविड एक बार फिर से सुर्खियों में है, जिससे लोगों की चिंताएं बढ़ गई है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि सर्कुलेट होने वाले वायरस समय के साथ बदलते रहते हैं. उन्होंने कहा लेकिन इससे सतर्क रहना बहुत जरूरी है. वरिष्ठ सलाहकार चिकित्सक और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. चंद्रकांत लहारिया (Dr Chandrakant Lahariya) ने PTI को बताया,

SARS CoV-2 का नया सब-वैरिएंट बिल्कुल भी हैरानी की बात नहीं है.

NDTV से बात करते हुए, महाराष्ट्र COVID टास्क फोर्स के सदस्य और एमडी, इंटरनल मेडिसिन, मुंबई डॉ. हेमंत पी ठाकर (Hemant P Thacker) ने इस विषय पर चर्चा की है कि क्या नया सब वैरिएंट पिछले वाले की तुलना में ज्यादा खतरनाक है. उन्होंने कहा,

सबसे पहले, मैं लोगों के डर को दूर करना चाहता हूं कि यह एक नया वैरिएंट है, लेकिन जो हम पहले अनुभव कर चुके हैं, यह उससे ज्यादा खतरनाक नहीं है. यह एक ओमिक्रॉन वैरिएंट (Omicron variant) है और ओमिक्रॉन ट्रेडिशनल BA.2.86 वैरिएंट का वंशज था, जिसे हम पिरोला (Pirola) कहते हैं. मौजूदा सब- वैरिएंट और पिरोला में केवल मॉर्फोलॉजिकल प्रोटीन (Morphological protein) का डिफरेंस यानी अंतर है.

JN.1 वैरिएंट के लक्षण एवं प्रभाव

डॉ. ठाकर ने कहा कि JN.1 के प्रमुख लक्षणों में नाक बहना, हल्का बुखार होना, सिरदर्द और लंबे समय तक दस्त रहना शामिल है. इस वायरस से होने वाले प्रभावों के बारे में बात करते हुए सफदरजंग अस्पताल में पल्मोनरी मेडिसिन (Pulmonary Medicine) के हेड डॉ. रोहित कुमार ने कहा,

सभी कोविड वैरिएंट हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम यानी हमारी श्वसन प्रणाली को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं. इसलिए इसकी वजह से संक्रमित मरीजों में ऊपरी श्वसन (Upper respiratory) संबंधी कई समस्याएं देखी जाती हैं, जैसे गले में खराश होना, खांसी, सर्दी, सीने में दर्द और सांस लेने में कठिनाई महसूस करना. इसके अलावा इसकी वजह से निचले श्वसन तंत्र (Lower respiratory system) में फेफड़ों में निमोनिया जैसी समस्याएं भी देखी जाती हैं, और चूंकि यह सर्दियों का मौसम है इसलिए ऊपरी श्वसन संबंधी समस्याएं इस दौरान ज्यादा देखी जा रही हैं, लेकिन हम इन्हें COVID नहीं कह सकते क्योंकि ये मौसमी फ्लू (Seasonal flu) भी हो सकते हैं.

नए सब वैरिएंट की गिरफ्त में आने से कैसे बचें?

इस वैरिएंट से बचने के उपायों के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि, “रोकथाम ही इससे बचने का सबसे बढ़िया तरीका है.” डॉ. हेमंत ठाकर ने कहा कि संक्रमण से बचने के लिए मास्क का सेफ्टी नेट होना बहुत जरूरी है, खासकर उन भीड़ वाली जगहों पर जहां सोशल डिस्टेंसिंग (Social distancing) मेंटेन करना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए उन्होंने लोगों को थिएटर, ऑडिटोरियम जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचने की भी सलाह दी, क्योंकि वहां आसपास बीमार लोगों के होने की संभावना ज्यादा होती है.

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स्वास्थ्य विशेषज्ञ (Health expert) ठाकर ने कहा कि इन्फ्लूएंजा का टीका यानी वैक्सीन लेना बचाव का एक और तरीका है, ताकि व्यक्ति सामान्य फ्लू से खुद को बचा सकें और इस तरह कुछ हद तक इस नए वैरिएंट से खुद को प्रोटेक्ट कर सके. डॉ. ठाकर ने जोर देकर कहा,

इससे डरना नहीं है, लेकिन इसे हल्के में भी नहीं लेना है.

वहीं कोविड के बढ़ते मामलों पर डॉ. रोहित कुमार ने कहा कि गले में खराश, खांसी, सर्दी, सीने में दर्द या सांस लेने में कठिनाई महसूस करने वाले मरीजों को तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए. उन्होंने कहा,

यह बहुत जरूरी कदम है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं और जिन्हें अस्थमा है.

राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुधीर भंडारी ने कहा कि JN.1 वैरिएंट बहुत खतरनाक नहीं है, लेकिन सीनियर सिटीजन और कई बीमारियों से जूझ रहे लोगों को उनकी कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) के कारण संक्रमित होने पर गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए उन्हें ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association – IMA) COVID टास्क फोर्स के सह-अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन (Dr Rajeev Jayadevan) ने उन समस्याओं पर भी रोशनी डाली, जो नया वैरिएंट JN.1 बुजुर्ग लोगों और कई बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए पैदा कर सकता है. स्वास्थ्य विशेषज्ञ राजीव ने कहा,

JN.1 एक तेजी से फैलने वाला वैरिएंट है, यह आबादी के अगले स्तर में जा सकता है, जिसमें वृद्ध लोग और कई बीमारियों से पीड़ित मरीज शामिल हैं. ऐसे लोगों की इम्यूनिटी कम होती है, जिसकी वजह से इस वैरिएंट की चपेट में आने से उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है और उसके बाद कई और कॉम्प्लिकेशन पैदा हो सकते हैं.

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केरल में जहां इस नए वैरिएंट का पहली बार पता चला था, वहां कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बारे में बात करते हुए डॉ. जयदेवन ने यह भी बताया कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम राज्य में फ्लू जैसे लक्षणों वाले लोगों के बीच COVID टेस्ट के पॉजिटिव मामलों की निगरानी कर रही है. इसके निष्कर्षों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा,

हमारे नेटवर्क में हमने पाया कि दो महीने के अंदर इसका प्रतिशत 1 प्रतिशत से बढ़कर 9 प्रतिशत और फिर बढ़कर 30 प्रतिशत हो गया.

दूसरे स्वास्थ्य विशेषज्ञों की तरह, डॉ. जयदेवन ने भी वायरस से बचने के लिए एहतियाती कदम उठाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा,

कोविड-19 से बचना ही सबसे बेहतर कदम है, भले ही इसके शुरुआती लक्षण हल्के क्यों न हों. रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या कम आंकी जानी चाहिए क्योंकि वास्तव में बहुत कम टेस्ट हो रहे हैं.

टेस्ट करने पर जोर देते हुए डॉ. जयदेवन ने कहा,

टेस्ट करने का दोहरा फायदा होता है. पहला ये कि हम अपनी कम्युनिटी में इसके प्रसार को रोकने के लिए सही एहतियाती कदम उठा सकते हैं. दूसरा फायदा ये है कि इससे हमें वायरस के बदलती प्रकृति के बारे में पता चलेगा.

उन्होंने कहा कि कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके संक्रमण से बचने के लिए भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहनकर जाना एक अच्छा उपाय है.

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