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दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बनी हुई है ‘सिवियर प्लस’, प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत सख्त उपाय शुरू

दिल्ली-एनसीआर में लगातार छठे दिन जहरीली धुंध छाई रही, जिससे धुंधले पड़े नजारे, सांस की बीमारी वाले लोगों के लिए बढ़ी समस्याएं

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दिल्ली सरकार ने छोटे बच्चों को खतरनाक प्रदूषण से बचाने के प्रयास में सभी प्राथमिक स्कूलों को दो दिनों के लिए बंद करने की भी घोषणा की है।

नई दिल्ली: प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित कई तरह की कड़ी पाबंदियां दिल्ली में रविवार (6 नवंबर) से लागू कर दी गई हैं, क्योंकि हवा की खराब स्थिति के कारण वायु गुणवत्ता तीन दिनों में दूसरी बार ‘सिवियर प्लस’ श्रेणी में पहुंच गई है. इस दौरान तकरीबन पूरे उत्तर भारत में खेतों में पराली जलाने में तेजी से वृद्धि हुई है. इस सबके चलते दिल्ली-एनसीआर में लगातार छठे दिन जहरीली धुंध छाई रही, जिससे दृश्य अस्पष्ट हो गए और सांस की बीमारी वाले लोगों के लिए गंभीर समस्याएं पैदा हो गई हैं.

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हर दिन शाम 4 बजे दर्ज किया जाने वाला 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शनिवार को 415 से बढ़कर रविवार को 454 हो गया, जिसने केंद्र सरकार को अपनी वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना के अंतिम चरण IV के तहत ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के आपातकालीन उपायों को लागू करने के लिए लिए मजबूर कर दिया.

देश की राजधानी में रविवार सुबह धुंध की मोटी परत छाई रही और न्यूनतम तापमान 15.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से एक डिग्री अधिक है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार सापेक्ष आर्द्रता (Humidity) 96 प्रतिशत दर्ज की गई.

GRAP के तहत प्रदूषण नियंत्रण के कार्यों को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है:
चरण I – ‘खराब’ (AQI 201-300); स्टेज II – ‘बहुत खराब’ (AQI 301-400); स्टेज III – ‘गंभीर’ (AQI 401-450); और स्टेज IV – ‘गंभीर प्लस’ (AQI >450).

वाहनों के उत्सर्जन, धान की पराली जलाने, पटाखों और अन्य स्थानीय प्रदूषण स्रोतों के साथ प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां हर साल सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता स्तर को खतरनाक बना देती हैं.

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के विश्लेषण के अनुसार, राजधानी में 1 नवंबर से 15 नवंबर तक प्रदूषण चरम पर होता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामले काफी बढ़ जाते हैं.

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नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अनुसार रविवार को उत्तर भारत से खेतों में आग जलाने की कुल 4,160 घटनाएं हुईं, जो इस सीजन में अब तक की सबसे अधिक हैं.

पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के मुताबिक अकेले पंजाब में पराली जलाने की 3,230 घटनाएं दर्ज की गईं, जो इस सीजन में अब तक एक दिन में राज्य में सबसे ज्यादा है.

क्षेत्र में प्रदूषण से निपटने की रणनीति तैयार करने के लिए जिम्मेदार वैधानिक निकाय, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों से सार्वजनिक परियोजनाओं से संबंधित निर्माण कार्यों पर रोक लगाने और सरकारी और निजी कार्यालय के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम कराने (WFH) को कहा है.

GRAP के चरण IV के तहत, अन्य राज्यों से केवल CNG, इलेक्ट्रिक और BS VI स्टेज वाले वाहनों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति है. केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को ही छूट दी गई है. सीक्यूएम के आदेश के अनुसार आवश्यक सेवाओं में शामिल नहीं होने वाले सभी मध्यम और भारी माल वाहनों के राजधानी में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

CAQM की आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया है,

दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर (AQI> 450) पूरे NCR में दर्ज किया गया है. वायु गुणवत्ता के मौजूदा स्तर को देखते हुए और क्षेत्र में वायु गुणवत्ता में और गिरावट को रोकने के प्रयास में उप-समिति ने आज जीआरएपी ‘गंभीर+’ वायु के चरण-IV के तहत की जाने वाली सभी कार्रवाइयों को लागू करने का फैसला किया है. यह उपाय GRAP के चरण 1, चरण II और चरण III के तहत उल्लिखित निवारक और प्रतिबंधात्मक कार्रवाइयों के अलावा लागू किए गए हैं.

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इसके बाद दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने राष्ट्रीय राजधानी में आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले ट्रकों को छोड़कर, अन्य सभी ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया.

संशोधित GRAP के चरण IV और मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 115 के तहत दिए गए निर्देशों के अनुसार यह आदेश दिया गया है… दिल्ली में (आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले / आवश्यक सेवाएं और सभी एलएनजी प्रदान करने वाले ट्रकों और सीएनजी/इलेक्ट्रिक ट्रकों को छोड़कर) ट्रक यातायात के लिए कोई प्रवेश नहीं दिया जाएगा.

इस आदेश के तहत आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों, सीएनजी और बीएस VI-अनुपालक वाहनों को छोड़कर, दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड हल्के वाणिज्यिक वाहनों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. आदेश में आगे कहा गया है कि,

आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले/आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले वाहनों को छोड़कर, दिल्ली में रजिस्टर्ड डीजल से चलने वाले मध्यम माल वाहनों (MGV) और भारी माल वाहनों (HGV) के चलने पर भी रोक लगा दी गई है. यह निर्देश आवश्यक वस्तुओं यानी कच्चे माल ले जाने वाले वाहनों पर लागू नहीं होगा. इसमें सब्जियां, फल, अनाज, दूध, अंडे या बर्फ जिनका उपयोग खाद्य पदार्थों के रूप में किया जाता है और पेट्रोलियम उत्पाद ले जाने वाले टैंकर आते हैं

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अधिकारियों के अनुसार परिवहन विभाग ने प्रतिबंधों को लागू करने के लिए 18 टीमें तैनात की हैं. एक अधिकारी ने बताया,

हम नए प्रतिबंधों को लागू करने के लिए चार से पांच और टीमें तैनात करेंगे. विभाग के पास कुल 114 प्रवर्तन टीमें हैं.

2 नवंबर को CAQM ने गैर-आवश्यक निर्माण कार्य और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की विशिष्ट श्रेणियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है.

दिल्ली सरकार ने छोटे बच्चों को खतरनाक प्रदूषण से बचाने के लिए सभी प्राथमिक विद्यालयों को दो दिनों के लिए बंद करने की भी घोषणा की है.

वायु प्रदूषण का संकट सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं है. पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों ने भी खतरनाक वायु गुणवत्ता की सूचना दी है.

पड़ोसी गाजियाबाद (494), गुरुग्राम (402), नोएडा (414), ग्रेटर नोएडा (410) और फरीदाबाद (450) ने भी हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्‍तर पर पहुंचने की सूचना दी.

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पीएम 2.5 की सांद्रता और श्वसन प्रणाली में प्रवेश करके स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने वाले सूक्ष्म कण पूरे दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर सरकार द्वारा निर्धारित 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक हैं. यह डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की स्वस्थ सीमा से 30 से 40 गुना ऊपर है.

तापमान में धीरे-धीरे हो रही कमी और प्रदूषण को साफ करने वाली हवाओं की धीमी गति के बीच पड़ोस के पंजाब और हरियाणा के खेतों में फसल के बाद बची धान की पुआल जलाने की घटनाओं में वृद्धि के कारण पिछले सप्ताह दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता में गिरावट आई है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों से पता चलता है कि 27 अक्टूबर से 3 नवंबर के बीच दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 अंक से अधिक बढ़ गया, जो शुक्रवार को ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में पहुंच गया.

शुक्रवार का 24 घंटे का औसत AQI (468) 12 नवंबर, 2021 को दर्ज किए गए 471 के पिछले उच्च स्तर के बाद से सबसे खराब था.

राष्‍ट्रीय राजधानी इस समय गंभीर वायु प्रदूषण के संकट से जूझ रही है, शहर में प्रदूषण के विभिन्न स्रोतों की पहचान करने और उसके मुता‍बिक कार्रवाई करने में मदद करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा शुरू किया गया अपनी तरह का पहला अध्ययन हाल ही में डीपीसीसी अध्यक्ष अश्विनी कुमार के आदेश पर रोक दिया गया था. .

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के अनुसार कुमार ने क्षेत्र में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए दो साल पहले कनॉट प्लेस में स्थापित एक बड़े स्मॉग टॉवर के संचालन को “एकतरफा” रूप से रोकने का आदेश दिया.

दुनिया भर के राजधानी वाले शहरों में दिल्ली की वायु गुणवत्ता सबसे खराब है. अगस्त में शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली में वायु प्रदूषण लोगों की उम्र को करीब 12 साल तक कम कर रहा है.

खतरनाक प्रदूषण स्तर ने कई लोगों को सुबह की सैर, खेल और अन्य बाहरी गतिविधियों को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है. ऐसे में माता-पिता अपने बच्‍चों को लेकर चिंतित हैं क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे तेजी से सांस लेते हैं और अधिक प्रदूषकों को ग्रहण करते हैं.

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(यह स्‍टोरी एनडीटीवी स्टाफ द्वारा संपादित नहीं की गई है, यह एक सिंडिकेटेड फीड से प्रकाशित हुई है.)

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