नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार (15 सितंबर) को प्रकाशित अपनी खाद्य और कृषि संगठन की रिपोर्ट में बताया कि आज दुनिया में 2015 की तुलना में 745 मिलियन से ज्यादा लोग सामान्य से लेकर गंभीर रूप तक भुखमरी का सामना कर रहे हैं, जो कि 2030 तक दुनिया से भुखमरी खत्म करने के संयुक्त राष्ट्र के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के अपने प्रयासों से बहुत दूर है. रिपोर्ट में कहा गया कि 2030 तक सतत विकास एजेंडे को प्राप्त करने के लिए निर्धारित समय सीमा के आधे बिंदु पर, दुनिया को ज्यादातर खाद्य और कृषि-संबंधी लक्ष्यों में मामूली या कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है. यह रिपोर्ट अगले हफ्ते न्यूयार्क में आयोजित होने वाले संयुक्त राष्ट्र सतत विकास शिखर सम्मेलन से पहले रिलीज की गई है.
जलवायु परिवर्तन और युद्ध जैसे अन्य संकटों के साथ-साथ कोविड-19 महामारी के लंबे समय तक रहने वाले प्रभावों का व्यापक असर दिखाई दे रहा है. पिछले दो दशकों में हुई प्रगति रुक गई है और कुछ मामलों में उलट भी गई है.
2020 में वैश्विक खाद्य असुरक्षा तेजी से बढ़ी क्योंकि महामारी ने खाद्य बाजारों को बाधित कर दिया, जिसके चलते बेरोजगारी बढ़ गई, लेकिन भूख, महामारी से पहले के स्तर पर वापस नहीं आई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2022 में वैश्विक आबादी का लगभग 29.6 प्रतिशत हिस्सा (2.4 बिलियन लोग) मामूली या गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षित था, यह आंकड़ा साल 2015 में 1.75 बिलियन के करीब था.
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वैश्विक स्तर पर दक्षिण में अल्पपोषण की स्थिति सबसे खराब है. उप-सहारा अफ्रीका में भुखमरी सबसे ज्यादा बढ़ रही है.
दुनिया में भोजन की बर्बादी को आधा करने के लक्ष्य की दिशा में कोई सुधार नहीं देखा गया है, जो 2016 के बाद से लगभग 13 प्रतिशत पर बना हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है कि देशों को भोजन की बर्बादी को कम करने के लिए पॉलिसी बनानी चाहिए.
रॉयटर्स ने पिछले नवंबर में रिपोर्ट दी थी कि भोजन की बर्बादी पर वैश्विक प्रगति की कमी कम सार्वजनिक निवेश, स्पष्ट नीति और उपभोगताओं की बेकार आदतों के कारण है.
दुनिया मछली भंडार की रक्षा, जंगलों के संरक्षण और भूमि क्षरण (Reverse land degradation) को रोकने के लक्ष्यों को प्राप्त करने से भी बहुत दूर है. हालांकि, जल उपयोग दक्षता और अवैध मछली पकड़ने पर अंकुश लगाने पर कुछ प्रगति हुई है.
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