नई दिल्ली: पैरालिंपियन और पद्मश्री दीपा मलिक ने कहा, “स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है,” उन्होंने नागरिकों से टीबी-मुक्त (तपेदिक) भारत अभियान में भाग लेने और 2030 तक टीबी को खत्म करने के वैश्विक लक्ष्य से पहले 2025 तक टीबी मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने का आग्रह किया. बुधवार (22 नवंबर) को 42वें भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (आईआईटीएफ) में आयुष्मान भव स्वास्थ्य मंडप में एक सभा को संबोधित करते हुए मलिक ने लोगों से कम से कम एक टीवी रोगी के लिये नि-क्षय मित्र बनने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा, “कम से कम एक टीबी रोगी के नि-क्षय मित्र बनें ताकि टीबी मुक्त राष्ट्र की स्थापना की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके. नि-क्षय मित्र पोर्टल व्यक्तियों को स्वयं को रजिस्टर करने और उनकी देखभाल के लिए टीबी रोगियों को गोद लेने के लिए बनाया गया है. मलिक ने कहा,
टीबी मुक्त राष्ट्र बनने की दिशा में हमारी यात्रा को गति देने के लिए प्रत्येक नागरिक को कम से कम एक टीबी रोगी का नि-क्षय मित्र बनने का संकल्प लेना चाहिए.
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दीपा मलिक टीबी मुक्त भारत अभियान की राष्ट्रीय राजदूत और खुद एक नि-क्षय मित्र हैं. पैरालिंपियन ने बताया कि उन्होंने इस साल की शुरुआत में 10 टीबी रोगियों को गोद लिया था, जिनमें से अब सभी टीबी से मुक्त होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं.
As a Nikshay Mitra, extremely proud to be a part of such an amazing and purposeful initiative at Pragati Maidan, New Delhi. I pledge to support Hon. PM @narendramodi ji in his vision of TB mukt Bharat. Let’s all come together to safeguard the health of our nation! Let’s #EndTB pic.twitter.com/4vtfGrKZPm
— Deepa Malik PLY (@DeepaAthlete) November 23, 2023
उन्होंने एक टीबी सर्वाइवर बनने की अपनी कहानी भी सुनाई, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि भले ही उपचार शारीरिक है, लेकिन रिकवरी का पहला कदम मानसिक कल्याण से शुरू होता है. इस दौरान सकारात्मक मानसिकता बनाए रखने और इस स्थिति से जुड़े कलंक से उबरने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए.
यह दोहराते हुए कि अलग-अलग टीबी केंद्रों पर इलाज पूरी तरह से संभव और सुलभ है, मलिक ने मरीजों से आग्रह किया कि वे अपना इलाज पूरी तरह से कराएं और बीमारी के समय एवं प्रभाव से हतोत्साहित न हों.
टीबी उन्मूलन में भारत की प्रगति को देखते हुए, देश में 2022 में (2015 से) टीबी के मामलों में 16 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है, जो वैश्विक टीबी के मामलों में गिरावट की दर से लगभग दोगुनी है (जो कि 8.7 प्रतिशत है) जबकि मृत्यु दर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी वैश्विक टीबी (तपेदिक) रिपोर्ट 2023 के अनुसार, इसी अवधि के दौरान भारत और विश्व स्तर पर टीबी में 18 प्रतिशत की कमी आई है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार द्वारा विशेष सक्रिय केस फाइंडिंग ड्राइव,मॉलिक्युलर डायग्नोस्टिक्स को ब्लॉक स्तर तक बढ़ाना, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के माध्यम से स्क्रीनिंग सर्विसेज के विकेंद्रीकरण और निजी क्षेत्र की भागीदारी जैसी प्रमुख पहलों के चलते लापता मामलों के अंतर को कम करने में काफी मदद मिली है.
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(पीटीआई से इनपुट्स के साथ)