नई दिल्ली: 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनी स्थापना के बाद से, 21 जून को 2015 से दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (IDY) मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को चिह्नित करने के लिए नियमित रूप से योग का अभ्यास करने के कई लाभों के बारे में बताया है. इस तारीख को यूएन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव के अनुसार योग दिवस मनाने के दिन के रूप में चुना गया था, यह बताते हुए कि यह साल का सबसे लंबा दिन है. इस साल, IYD का विषय ‘मानवता के लिए योग’ है और यह इस बात पर केंद्रित है कि कैसे योग प्रत्येक व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को प्राप्त करने में मदद करता है. योग और इसके महत्व के बारे में अधिक जानने के लिए, इस विशेष अवसर पर,टीम बनेगा स्वस्थ इंडिया ने, पूज्य साध्वी भगवती सरस्वतीजी, महासचिव, ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस और निदेशक, अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव, परमार्थ निकेतन के साथ बात बातचीत की. यहां हमने चर्चा की:
NDTV: जीवन में मेडिटेशन का क्या महत्व है?
पूज्य साध्वी भगवती सरस्वतीजी: योग जीवन के लिए मेडिटेशन आवश्यक है. यह सुखी और शांतिपूर्ण जीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है. ध्यान हमारी सच्चाई से रूबरू कराता है. यह हमें हमारी बाहरी और आंतरिक चीजों से मिलाता है. अधिकांश लोग परेशानियों से जूझ रहे हैं, इसका कारण यह है कि हम इस भ्रम में रहते हैं कि हम अपना भौतिक शरीर है. हम साइज, शेप और कलर हैं, हम बैंक अकाउंट, करियर, पद, रिश्ते, प्रसिद्धि, सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स और फ्रेंड्स को लेकर भ्रम में रहते हैं. हम सब इन बाहरी चीजों की झूठी पहचान करते हैं और इससे परेशानियां बढ़ती हैं. हम बाहरी चीजों को ज्यादा से ज्यादा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं और खुद को दूर धकेलते हैं.
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मेडिटेशन हमें सिखाता है कि कैसे प्रतिक्रिया न करें. हम में से अधिकांश लोग केवल प्रतिक्रिया करते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं – चाहे कुछ भी हो जाए, हम क्रोध, दर्द और निराशा में प्रतिक्रिया करते हैं और यह और अधिक पीड़ा का कारण बनता है. मेडिटेशन हमें दुनिया में होने वाली घटनाओं को ध्यानपूर्वक और पूरे होशो हवास से समझने और चुनने का तरीका दिखाता है. यह हमें सिखाता है कि क्या बोलना है, कैसे प्रतिक्रिया करनी है और क्या करना है. मेडिटेशन कॉम्प्लेक्स नहीं है; हम किसी को योग के दौरान ब्रीथ करते देखकर शुरू कर सकते हैं. बस अपनी आंखें बंद करें और अपनी सांस को अंदर और बाहर बहते हुए देखें. ध्यान में आपके जीवन को बदलने की शक्ति है.
NDTV: योग और पर्यावरण में क्या संबंध है?
पूज्य साध्वी भगवती सरस्वती जी : योग और एनवायरनमेंट का गहरा आध्यात्मिक स्तर पर और व्यावहारिक स्तर पर गहरा संबंध है. यदि हमारा क्षेत्र प्रदूषित है तो हम प्राणायाम कैसे कर सकते हैं. यदि वायु प्रदूषित है तो उस ऑक्सीजन को हमारे शरीर में लाने से हमें क्या लाभ हो सकता है. अगर हमारा पानी, मिट्टी प्रदूषित है तो हम शरीर में हेल्थी अनुभव कैसे कर सकते हैं. इसलिए, हम जो भोजन करते हैं वह शुद्ध या हेल्थी नहीं है और टॉक्सिक है और जहरीली हवा, पानी और मिट्टी में कोई कैसे योग कर सकता है. ऐसे में आपका शरीर कैसे स्वस्थ हो सकता है. पर्यावरण के बिना हमारा स्वास्थ्य नहीं हो सकता. डीपर लेवल पर बात करें तो योग एक मिलन की तरह है, यही योग शब्द का अर्थ है. और जब हम इस मिलन का अनुभव करते हैं, परमात्मा के साथ और खुद के साथ रूबरू होते हैं तो हम महसूस करते हैं कि हम नदियों, पहाड़ों, पेड़ों से अलग नहीं हैं. इसलिए, जैसा कि हम योग का अभ्यास करते हैं, हमें एहसास होता है कि हम दुनिया में सद्भाव में कैसे रह सकते हैं. हमें इस प्लेनेट पर रीसोर्स को हथियाने से रोकने की जरूरत है ताकि हम हमें वह दे सकें जो हम पहनना, खाना और खरीदना चाहते हैं. जब हम योग का अभ्यास करते हैं, तो हम जागरूक होते हैं. आज हमारे पास ग्लोबल वाटर या फूड स्टोरेज की कमी नहीं है, हमारे पास चेतना की कमी है और योग हमें अपने लिए, एक दूसरे के लिए और ग्रह के लिए जीवन में उन्नत और विस्तारित चेतना देता है.
NDTV: योग लोगों को डिप्रेशन से निपटने में कैसे मदद कर सकता है? प्लीज़ कुछ आसन सुझाएं.
पूज्य साध्वी भगवती सरस्वतीजी: योग डिप्रेशन का उत्तर है, क्योंकि डिप्रेशन की जड़ें डिसकनेक्शन में हैं – अपने आप से, एक दूसरे से और यूनिवर्स से डिसकनेक्शन. योग हमें जोड़ता है और यही योग का अर्थ है. यह हमें खुद के साथ गहराई से जोड़ता है. यह हमें यूनिवर्स के साथ जोड़ता है और यह जुड़ाव डिप्रेशन के साथ नहीं रह सकता. तो जैसे ही वह संबंध आता है, डिप्रेशन गायब हो जाता है. और इससे जुड़ने का सबसे अच्छा तरीका योग के 8 गुना पथ के माध्यम से है, जो हमें अष्टांग योग के रूप में दिया गया है. यह योग हमें दिखाता है कि हम कैसे व्यवहार करते हैं, हम कैसे कार्य करते हैं, हम कैसे बोलते हैं, सोचते हैं, चलते हैं, सांस लेते हैं और हम किस पर ध्यान केंद्रित करते हैं, हमारा इरादा कहां जाता है और एक बार, हम उस सब को बदलने में सक्षम होते हैं, हम ध्यान करने में सक्षम होते हैं. जहां तक आसनों की बात है, तो डिप्रेशन के लिए सबसे अच्छा आसन है पीठ का झुकना, क्योंकि डिप्रेशन हमें सिकोड़ता है, यह हमारे दिल को बंद कर देता है और पीठ को मोड़कर हमारे दिल को खोल देता है. एक अन्य महत्वपूर्ण आसन हेडस्टैंड और हैंडस्टैंड हैं. व्यक्ति को वह करना चाहिए जो उनकी क्षमता उन्हें करने की अनुमति देती है. लेकिन अंततः वास्तव में आपको उबरने और गहराई से खुद बदलने के लिए पूर्ण अष्टांग योग की आवश्यकता है.
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