• Home/
  • ताज़ातरीन ख़बरें/
  • बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल की कमी के कारण 2021 में हर 4.4 सेकंड में एक बच्चे या युवा की मौत: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

ताज़ातरीन ख़बरें

बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल की कमी के कारण 2021 में हर 4.4 सेकंड में एक बच्चे या युवा की मौत: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

यूनाइटेड नेशंस इंटर-एजेंसी ग्रुप फॉर चाइल्ड मॉर्टेलिटी एस्टिमेशन के अनुमानों में कहा गया है कि टीकाकरण, नूट्रिशनल सप्लीमेंट और वॉटर और सेनिटेशन प्रोग्राम में प्रभावी हस्तक्षेप से बच्चों की मृत्यु को रोका जा सकता था

Read In English
बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल की कमी के कारण 2021 में हर 4.4 सेकंड में एक बच्चे या युवा की मौत: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में डाटा में गेप पर भी ध्‍यान दिया गया है, जो बचपन के अस्तित्व और कल्याण में सुधार के लिए बनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों के प्रभाव को गंभीर रूप से कमजोर कर सकता है.

नई दिल्ली: 2021 में पांच वर्ष से कम आयु के अनुमानित 5 मिलियन बच्चों की मृत्यु हुई, और इनमें से आधे से अधिक (2.7 मिलियन) की मृत्यु 1 महीने से 4 वर्ष की आयु के बच्चों में हुई, जबकि बाकि (2.3 मिलियन) नवजात मृत्यु थी. ग्‍लोबल लेवल पर, 2021 में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 38 बच्‍चों की थी. उसी वर्ष 2.1 मिलियन बच्चों, किशोरों और 5-24 आयु वर्ग के युवाओं ने अपनी जान गंवाई. इसका मतलब है कि 2021 में हर 4.4 सेकंड में एक बार एक बच्चे या युवा की मौत हुई. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इसी अवधि के दौरान लगभग 19 लाख बच्चे मृत पैदा हुए थे.

उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिणी एशिया में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु का 80 प्रतिशत से अधिक और 5 से 24 वर्ष की आयु के बच्चों में 70 प्रतिशत का योगदान है. कथित तौर पर, इन बाल मृत्यु दर में भारत की हिस्सेदारी 7,09,366, पांच वर्ष से कम उम्र की मृत्यु दर, 5,86,787 शिशु मृत्यु और 4,41,801 नवजात मृत्यु आंकी गई थी.

इसे भी पढ़ें: बेंगलुरु की मेघना नारायणन डेलीवेज वकर्स को मेडिकल और लाइफ इंश्‍योरेंस दिलाने में मदद कर रही हैं

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच वर्ष से कम उम्र के अधिकांश मृत्यु दर इसलिए हुई क्योंकि बच्चे क्‍वालिटी हेल्‍थ केयर, टीकाकरण, प्रॉपर फूड, क्‍लीन वॉटर और हाइजीन के अपने मूल अधिकारों से वंचित थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि रोकथाम योग्य संचारी और संक्रामक रोगों को दूर करने के अपर्याप्त प्रयासों के कारण इस आयु वर्ग के बीच मृत्यु दर में वृद्धि जारी है.

इसमें डाटा में आए गेप पर भी नजर डाली गई. जो बचपन के अस्तित्व और वेलबिंग के लिए बनाई गई नीतियों और कार्यक्रमों के प्रभाव को गंभीर रूप से कम कर सकता है. इसमें कहा कि क्‍वालिटी डाटा, नवजात अवधि के दौरान बच्चों के जीवित रहने, शेष पांच वर्ष की अवधि, किशोरावस्था के दौरान और प्रारंभिक वयस्कता में निगरानी के लिए महत्वपूर्ण थी.

जुआन पाब्लो उरीबे, स्वास्थ्य, पोषण और जनसंख्या के वैश्विक निदेशक, विश्व बैंक और वैश्विक वित्तपोषण सुविधा के निदेशक ने कहा कि संख्या के पीछे लाखों बच्चे और परिवार थे जिन्हें स्वास्थ्य के बुनियादी अधिकारों से वंचित किया गया था.

हमें प्राइमरी हेल्‍थ केयर के सतत वित्त पोषण के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति और नेतृत्व की आवश्यकता है, जो देशों और विकास भागीदारों द्वारा किए जा सकने वाले सर्वोत्तम निवेशों में से एक है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से अधिकांश मौतों को जन्म के समय बेहतर देखभाल, टीकाकरण, उचित नूट्रिशनल सप्लीमेंट और पानी और स्वच्छता कार्यक्रमों जैसे प्रभावी हस्तक्षेपों से रोका जा सकता था.

हर दिन, बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को खोने के आघात का सामना कर रहे हैं, कभी-कभी तो उनकी पहली सांस से पहले भी, डाटा एनालिटिक्स, प्लानिंग और मॉनिटरिंग विभाग की यूनिसेफ निदेशक विद्या गणेश ने कहा.

उन्होंने कहा कि इस तरह की व्यापक, रोकथाम योग्य त्रासदियों को कभी भी अपरिहार्य के रूप में स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए.

इसे भी पढ़ें: मिलें 15 साल की अनन्या से, जो ग्रामीण लड़कियों को मेंस्ट्रुअल हेल्‍थ पर जागरूक कर रही हैं

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *