टीम बनेगा स्वस्थ इंडिया से बात करते हुए रवि भटनागर, डायरेक्टर, एक्सटर्नल अफेयर्स एंड पार्टनरशिप्स रेकिट कहते हैं, ‘मां ही हैं जो हमारे कार्यक्रमों के केंद्र में हैं, वे देखभाल करने वाली हैं, वे वही हैं जिन्हें मातृ दिवस के अवसर पर सम्मानित और पुरस्कृत किया जाएगा.” उन्होंने कहा कि रेकिट भारत में 2014 से जो पहल कर रहा है, वह देश में स्वास्थ्य के एक स्तंभ के रूप में स्वच्छता को जोड़ने में ‘वास्तव में परिवर्तनकारी’ है.
जानिए माताओं को लक्षित करने वाले रेकिट के सेल्फ केयर प्रोग्राम के बारे में
रेकिट की विभिन्न परियोजनाओं ने स्वच्छता व्यवहार, बाल पोषण, मातृ स्वास्थ्य और यौन शिक्षा में सुधार करने वाले कार्यक्रमों से लोगों, विशेष रूप से पूरे देश में महिलाओं को प्रभावित किया है.
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भारत के बारे में बात करते हुए, रेकिट ने रीच हर चाइल्ड नामक एक पोषण कार्यक्रम शुरू किया, जो नई माताओं के लिए जीवन के पहले 1,000 दिनों पर केंद्रित था. यह परियोजना महाराष्ट्र में स्थानीय नेतृत्व वाली पहलों के माध्यम से जीवन के पहले 1,000 दिनों के भीतर बच्चों के लिए पर्याप्त पोषण को प्राथमिकता देती है. रेकिट की सोशल इफेक्ट इन्वेस्टमेंट रिपोर्ट 2021 के अनुसार, यह कार्यक्रम पांच साल से कम उम्र के 72,700 बच्चों तक पहुंच गया है और 161 परिवारों को कुपोषण के इलाज के लिए नकद सहायता दे रहा है. कार्यक्रम ने कई हस्तक्षेपों के माध्यम से 8,000 गर्भवती महिलाओं का भी समर्थन किया है और 91 प्रतिशत नई माताओं को स्तनपान शुरू करने में मदद की है.
माताओं के साथ काम करने में रेकिट की यात्रा और प्रतिबद्धता कैसे शुरू हुई, इस बारे में बात करते हुए, भटनागर ने कहा,
यह पूरी यात्रा देवेंद्र फडणवीस के साथ शुरू हुई, जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. मैं रेकिट के प्रतिनिध के रूप में उनके पास गया और उनसे वादा किया कि हम अपनी प्रतिबद्धताओं के साथ अमरावती और नंदुरबार जैसे आदिवासी क्षेत्रों पर काम करेंगे, जो राज्य के सबसे कठिन क्षेत्र हैं.
कार्यक्रम के परिणामों के बारे में बताते हुए भटनागर ने आगे कहा,
हमारे हस्तक्षेप और पहल के साथ, इन क्षेत्रों में अब कुपोषण से शून्य मौतें होने लगी हैं. जो चीज मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित करती है वह यह है कि हमारे पास लगभग 20 गांव हैं जहां कुपोषण के कारण एक भी मौत नहीं हुई है. उपलब्धि का एक कारण यह है कि हमने बहुत पहले मूल सूत्र – ‘जब माताएं स्वस्थ होती हैं, तो वे बच्चों की अच्छी देखभाल करने में सक्षम होती हैं’ को समझ लिया था
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कार्यक्रम की पहुंच के बारे में बात करते हुए, श्री भटनागर ने कहा,
हमारे पास सेल्फ केयर के कई बड़ी योजनाएं हैं, हमारी योजना लगभग 10 मिलियन नई माताओं तक पहुंचने की है. हमारे सामुदायिक हस्तक्षेप के साथ, हम 15 लाख माताओं तक, मिश्रित दृष्टिकोण से हम फिर से 1.5 मिलियन माताओं तक और डिजिटल रूप से हम 7 मिलियन माताओं तक पहुंचने में सक्षम होंगे. हमारे प्रमुख भागीदारों में से एक है प्लान इंडिया, इसके साथ ही हमारी महाराष्ट्र सरकार के साथ मजबूत साझेदारी है. हम जो सबसे दिलचस्प काम कर रहे हैं, वह है momspresso के साथ डिजिटल रूप से माताओं तक पहुंचना, जो इस यात्रा में हमारा भागीदार भी है.
इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि रेकिट कैसे मूल्यांकन करने में सक्षम है कि कार्यक्रम काम कर रहे हैं या नहीं, भटनागर ने कहा,
इसलिए, इन्वेस्टमेंट पर सोशल रिर्टन मूल्यांकन की एक कुंजी है, जिसका उपयोग हम आगे के जीवन के साथ-साथ करते हैं. सोशल रिर्टन पर हमारा 1 रुपये का निवेश लगभग 37 रुपये होता है, जो बहुत अधिक है.
आगे के रास्ते के बारे में बात करते हुए और रेकिट कैसे सुनिश्चित करेगा कि यह अधिक से अधिक माताओं तक पहुंचे, भटनागर ने कहा,
हमने सोचा था कि 2022 और उसके बाद परिवर्तन का वर्ष होना चाहिए, जहां हमें भारी निवेश करना चाहिए. हमने सोचा, हमें इस कार्यक्रम को दूसरे राज्यों में ले जाना चाहिए, न कि केवल महाराष्ट्र तक इसे सीमित रखना चाहिए. इसलिए, इस साल, हम कार्यक्रम को राजस्थान और साथ ही गुजरात की में ले जाएंगे. राजस्थान में हम मुख्य रूप से जयपुर में काम करेंगे और कालबेलिया जनजाति जैसे उपेक्षित समुदायों के साथ काम करेंगे. गुजरात में, हम इस अवधारणा को जूनागढ़ और भवनगढ़ ले जा रहे हैं, जहां हम सिद्दी समुदाय के साथ काम करेंगे, वे पूर्वी अफ्रीकी लोगों के वंशज हैं जिन्हें जूनागढ़ के नवाब द्वारा गुलामों के रूप में भारत लाया गया था.
रवि भटनागर ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा,
हमारा उद्देश्य सबसे उपेक्षित समुदायों तक पहुंचना और उनके स्वास्थ्य मानकों को बेहतर बनाना, लोगों के बीच सेल्फ केयर की मूल बातें आत्मसात करना और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करना है.
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