नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की स्थापना के उपलक्ष्य में हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे 1945 में इसी दिन स्थापित किया गया था. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, आज का आदर्श वाक्य इस संदेश को बढ़ावा देना है कि भोजन बुनियादी और मौलिक मानव अधिकार है और इस तक हर किसी की पहुंच होनी चाहिए क्योंकि अभी भी दुनिया भर में, 3.1 बिलियन लोग (दुनिया की आबादी का लगभग 40 प्रतिशत) स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते हैं.
एफएओ का कहना है कि 2021 में, कुछ 193 मिलियन लोगों ने हाई एक्यूट फूड इनसिक्योरिटी का अनुभव किया, उनके अस्तित्व के लिए मानवीय सहायता की आवश्यकता थी, जबकि आधे मिलियन से ज़्यादा लोगों को तबाही की स्थिति का सामना करना पड़ा, जिसका अर्थ है भुखमरी और मृत्यु.
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विश्व खाद्य दिवस 2022 की थीम क्या है?
इस साल, विश्व खाद्य दिवस 2022 की थीम ‘लीव नो वन बिहाइंड’ है जो पर्याप्त पौष्टिक भोजन तक नियमित पहुंच के साथ हर जगह सभी के लिए एक स्थायी दुनिया बनाने पर केंद्रित है.
इसे थीम के रूप में रखने के कारण पर प्रकाश डालते हुए, एफएओ का कहना है कि हालांकि दुनिया ने एक बेहतर दुनिया के निर्माण की दिशा में प्रगति की है, लेकिन बहुत से लोग पीछे रह गए हैं. इसमें आगे कहा गया है कि 2022 हमें हालिया महामारी, कॉन्फ्लिक्ट, एक ऐसा क्लाइमेट जो वार्मिंग, बढ़ती कीमतें और अंतरराष्ट्रीय तनावों को रोक नहीं पाएगा. साथ ही इसमें कहा गया है कि यह सब वैश्विक खाद्य सुरक्षा को अलग-अलग प्रभावित कर रहा है. एफएओ ने यह भी कहा कि वास्तव में, दुनिया भर में लाखों लोग स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते हैं, जिससे उन्हें खाद्य असुरक्षा और कुपोषण का भारी खतरा होता है.
विश्व खाद्य दिवस का महत्व
आज एफएओ के अनुसार विश्व में सभी को खिलाने के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन किया जा रहा है, लेकिन समस्या पौष्टिक भोजन की पहुंच और उपलब्धता है, जो कोविड-19 महामारी, कॉन्फ्लिक्ट, जलवायु परिवर्तन, असमानता, बढ़ती कीमतों और अंतर्राष्ट्रीय तनाव समेत कई चुनौतियों से बाधित है.
एफएओ का कहना है कि दुनिया भर के लोग उन चुनौतियों के दूरगामी प्रभावों को झेल रहे हैं जो कोई सीमा नहीं जानते हैं. आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में, 80 प्रतिशत से अधिक लोग बेहद गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और कई लोग अपने जीवन यापन के लिए कृषि और प्राकृतिक संसाधनों पर भरोसा करते हैं. एफएओ का कहना है कि आमतौर पर वे प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं से सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं और अक्सर अपने लिंग, जातीय मूल या स्थिति के कारण हाशिए पर होते हैं.
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बिंदुओं में: खाद्य असुरक्षा की वास्तविकता
FAO द्वारा साझा किए गए हालिया आंकड़ें और आंकड़ों के अनुसार:
– स्वदेशी लोग धरती की सतह के 22 प्रतिशत पर दुनिया की टेरेस्ट्रियल बायोडायवर्सिटी के 80 प्रतिशत के संरक्षक हैं, फिर भी विश्व स्तर पर, वे गैर-स्वदेशी समूहों की तुलना में गरीबी, कुपोषण और इंटरनल डिस्प्लेसमेंट की उच्च दर से पीड़ित हैं.
– विश्व स्तर पर, महिलाओं को पुरुषों की तुलना में मध्यम या गंभीर रूप से खाद्य असुरक्षित होने की संभावना 15 प्रतिशत अधिक है.
– हर दिन, 30,000 से अधिक लोग संघर्ष और उत्पीड़न के कारण अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर होते हैं.
विश्व की भूख को समाप्त करने के लिए दुनिया को पटरी से उतारने वाले प्रमुख कारण
स्टेट ऑफ फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन इन द वर्ल्ड 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दस सालों में, कॉन्फ्लिक्ट की फ़्रिक्वेंसी और इंटेंसिटी, क्लाइमेट वेरिएबिलिटी और चरम सीमाएं, आर्थिक मंदी और गिरावट दुनिया भर में काफी बढ़ गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन प्रमुख कारणों और कोविड-19 महामारी की बढ़ती घटनाओं ने भूख में वृद्धि की है और कुपोषण के सभी रूपों को कम करने की प्रगति को कमज़ोर किया है, खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2020 में आर्थिक मंदी, जिसमें कोविड-19 रोकथाम उपायों के परिणामस्वरूप शामिल हैं, उसने दशकों में दुनिया की भूख में सबसे बड़ी वृद्धि में से एक में योगदान दिया, जिससे लगभग सभी निम्न और मध्यम आय वाले देश प्रभावित हुए.
क्लेरियन कॉल
इस वर्ष चुनौतियों को हराने और हर जगह हर किसी को भोजन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, विश्व खाद्य दिवस का विषय बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर वातावरण और बेहतर जीवन का स्पष्ट आह्वान कर रहा है.
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