नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हर साल 5 मई को विश्व हाथ स्वच्छता दिवस मनाया जाता है. डब्ल्यूएचओ ने 2009 में “सेव लाइव्स: क्लीन योर हैंड्स” नाम से इस ग्लोबल कैंपेन की शुरुआत की, जो आगे चलकर विश्व हाथ स्वच्छता दिवस के रूप में एक सालाना उत्सव बन गया। हर साल इस दिन को एक अनूठी थीम के साथ मनाया जाता है. इस साल हैंड हाइजीन डे की थीम – ‘एक्सीलरेट एक्शन टुगेदर’ रखी गई है और इसमें संक्रमण को रोकने और एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस को बढ़ाने की मुहिम में तेजी लाने के लिए एक साथ मिलकर काम करने पर जोर दिया गया है. साथ ही इसका मकसद स्वास्थ्य देखभाल में और सुरक्षा एवं गुणवत्ता की संस्कृति का निर्माण करना भी है, जिसमें हाथ की स्वच्छता को बेहतर बनाने पर जोर दिया जाए.
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हाथ की स्वच्छता का महत्व
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सही समय पर हाथ धोने से हर साल लाखों लोगों की जान बचती है. साथ ही हाथों को साफ-सुथरा रखने के उपाय काफी सस्ते हैं और ये सुरक्षित एवं प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल की आधारशिला हैं. साथ ही बताया गया है कि साबुन या अल्कोहल-आधारित हैंड रब से हाथों को अच्छी तरह से साफ करने से निमोनिया और दस्त सहित कई तरह की बीमारियों को रोकने में मदद मिलती है. निमोनिया और दस्त को विश्व स्तर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बेहद ही खतरनाक माना जाता है.
डब्ल्यूएचओ ने इसे एक ऐसे स्मार्ट निवेश के रूप में टैग किया है, जो खर्च की गई पाई-पाई की कीमत बढ़-चढ़कर अदा करता है.
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हाथों की स्वच्छता क्यों महत्वपूर्ण है, इसके 5 कारण:
1. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, साबुन और पानी से हाथ धोने से डायरिया की बीमारी से होने वाली मौतों में 50 फीसदी तक की कमी आ सकती है.
2. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यह भी बताता है कि अगर हर कोई नियमित रूप से अपने हाथ धोए, तो एक साल में 10 लाख मौतों को रोका जा सकता है.
3. सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार हाथ धोने से लोगों में सर्दी-जुकाम जैसी सांस की बीमारियों के जोखिम को 16-21% तक कम किया जा सकता है.
4. यूनिसेफ के अनुसार वैश्विक स्तर पर तीन अरब लोगों के घरों में पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है.
5. यूनिसेफ का कहना है कि दुनिया भर के लगभग आधे स्कूलों में पानी और साबुन से हाथ धोने की सुविधा नहीं है, जिससे लगभग 818 मिलियन स्कूली उम्र के बच्चे प्रभावित होते हैं.
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भारत की बात करें, तो राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (2015-16) में साझा किए गए अंतिम आंकड़ों के मुताबिक धनी परिवारों में लगभग सभी घरों में (97% तक) वॉश बेसिन होते हैं, लेकिन शहरी क्षेत्रों में केवल अमीर और अधिक शिक्षित घर हाथ धोने के लिए साबुन का उपयोग करते हैं और अमीर वर्ग में जहां 10 में से 9 परिवार साबुन से हाथ धोते हैं, वहीं 10 में से केवल 2 गरीब परिवार ही हाथ धोने के लिए साबुन का उपयोग करते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यदि प्रगति की वर्तमान दर जारी रहती है, तो 2030 तक दुनिया बुनियादी स्वच्छता सेवाओं के केवल 78 प्रतिशत कवरेज तक पहुंच पाएगी और इस दौरान 1.9 अरब लोगों के पास घर पर हाथ धोने की सुविधा नहीं होगी.
हाथ की स्वच्छता के बेहतरीन तरीके
डब्ल्यूएचओ कहता है कि हाथ धोने से आप स्वस्थ रह सकते हैं और श्वसन से जुड़े संक्रमण और डायरिया को फैलने से रोक सकते हैं. इसमें कहा गया है कि अगर हाथ गंदे दिख रहे हैं तो लोगों को अपने हाथ धोने चाहिए और अगर उनके पास पानी और साबुन जैसे पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, तो उन्हें हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करना चाहिए।
डब्ल्यूएचओ यह भी कहता है कि एक व्यक्ति से दूसरे को या सर्फेस अथवा चीजों के जरिये संक्रमण फैल सकता है अगर आप ये काम करते हैं तो :
- बिना धुले हाथों से अपनी आंख, नाक और मुंह को छुएं
- बिना हाथ धोए भोजन और पेय तैयार करें या खाएं
- उन सतहों या चीजों को छुएं जिन पर कीटाणु हैं
- नाक बहने, खांसने या छींकने पर नाक-मुंह पर हाथ रखने के बाद आप बिना हाथ धोए अन्य लोगों या चीजों को छूते हैं
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कब-कब जरूर धोने चाहिए हाथ
डब्ल्यूएचओ सिफारिश करता है कि हर व्यक्ति को बार-बार हाथ धोना चाहिए, खासकर ऐसे महत्वपूर्ण समय के दौरान जब किसी के संक्रमित होने और कीटाणु फैलने की संभावना हो. इन मौकों पर हाथ धोना सबसे जरूरी है :
- खाना बनाने से पहले, दौरान और बाद में
- खाना खाने से पहले और बाद में
- उल्टी या दस्त से बीमार व्यक्ति की देखभाल करने से पहले और बाद में
- कटे या घाव का इलाज करने से पहले और बाद में
- शौचालय जाने के बाद
- डायपर बदलने या लैट्रीन करने वाले बच्चे को साफ करने के बाद
- अपनी नाक साफ करने, खांसने या छींकने के बाद
- किसी जानवर, पशु चारा या जानवरों के कचरे को छूने के बाद
- पालतू जानवर के भोजन कराने या पालतू जानवर को छूने के बाद
- कचरा छूने के बाद