नई दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में देश में महिलाओं के बीच जन औषधि सुविधा सेनेटरी नैपकिन की खपत 30 फीसदी से बढ़कर लगभग 55 फीसदी हो गई है. मंडाविया ने गुरुवार (14 दिसंबर) को कहा कि इसी अवधि में सैनिटरी पैड का ग्रामीण उपयोग लगभग 12 फीसदी से बढ़कर 45 फीसदी हुआ है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जून 2018 में स्थापना के बाद से 30 नवंबर 2023 तक, जन औषधि केंद्रों पर 47.87 करोड़ से अधिक जन औषधि सुविधा सेनेटरी पैड बेचे गए हैं.
प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) जन औषधि सुविधा सेनेटरी नैपकिन कार्यक्रम के प्रभाव के बारे में बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा,
पीएमबीजेपी के तहत ग्रामीण महिलाओं के बीच सैनिटरी पैड के उपयोग में काफी वृद्धि दर्ज की गई है, जो पहले शहरी आबादी तक ही सीमित थी.
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मंडाविया ने इस बात पर जोर दिया कि सुलभ सैनिटरी पैड प्रदान करके सरकार महिलाओं को सशक्त बना रही है. साथ ही उन्हें स्वस्थ जीवन जीने और देश की प्रगति में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में भी सक्षम बनाने का काम रही है. उन्होंने कहा,
महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी ने जन औषधि केंद्र के माध्यम से गांवों में महिलाओं को 35 करोड़ से अधिक सैनिटरी पैड उपलब्ध कराए. साल 2014 में गांवों तक सैनिटरी पैड की पहुंच केवल 11-12 फीसदी थी, वो अब बढ़कर 45 फीसदी हो गई है. महिलाओं को देश के विकास में योगदान देने के लिए सशक्त बनाया जा रहा है.
स्वच्छता के मामले में महिलाओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रधान मंत्री भारतीय जनौषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत, सरकार ने जन औषधि सुविधा ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी नैपकिन जून 2018 में 2.50 रुपये प्रति पैड में लॉन्च किया था.
महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड को अधिक किफायती और सुलभ बनाने के लिए, सरकार ने अगस्त 2019 में उसकी कीमत 2.50 रुपये से घटाकर 1 रुपये प्रति पैड कर दी. वर्तमान में बाजार में उपलब्ध सैनिटरी नैपकिन की औसत कीमत लगभग 8 रुपये प्रति पैड है.
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सुविधा नैपकिन के साथ, सरकार का लक्ष्य वंचित महिलाओं के लिए इस बेहद जरूरी उत्पाद को किफायती बनाना है.
देश भर के 10,000 से अधिक जन औषधि केंद्रों में ये नैपकिन 1 रुपए प्रति पैड की बेहद सस्ती दर पर बेचे जाते हैं.
(एजेंसियों से इनपुट के साथ)