विशेषज्ञों के ब्लॉग

ब्लॉग: डॉक्टर हर रोज़ के स्ट्रेस से कैसे निपटते हैं

नेशनल डॉक्टर्स डे के मौके पर शालीमार बाग के फोर्टिस हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी के डायरेक्टर और HOD डॉ. जयदीप बंसल ने उन स्ट्रेटजीस के बारे में बताया जिनका इस्तेमाल डॉक्टर दिन-प्रतिदिन के अपने तनाव से निपटने के लिए कर सकते हैं

Read In English
ब्लॉग: डॉक्टर हर रोज़ के स्ट्रेस से कैसे निपटते हैं
देश में डॉक्टरों की तरफ से की गई निस्वार्थ कड़ी मेहनत की सराहना करने के लिए भारत में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है

नई दिल्ली: एक फिजिशियन के तौर पर मैं हमारे प्रोफेशन के डिमांडिंग नेचर को बहुत अच्छे से समझता हूं. लंबे समय तक काम करना, बहुत ज्यादा काम का लोड, इमरजेंसी केस हैंडल करना और भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण स्थितियां डॉक्टरों के लिए अक्सर तनाव का कारण बन सकती हैं. हालांकि, डॉक्टरों को अपना खुद का ख्याल रखते हुए मरीजों की अच्छी देखभाल करने के लिए इफेक्टिव कोपिंग मैकेनिज्म मेंटेन करना बहुत जरूरी है. इस आर्टिकल में, मैं कुछ स्ट्रेटजी के बारे में बताउंगा जिनका इस्तेमाल डॉक्टर्स अपने दिन-प्रतिदिन के तनाव से निपटने के लिए कर सकते हैं.

1. सेल्फ-केयर और हेल्दी लाइफ स्टाइल

स्ट्रैस को मैनेज करने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन रखना सबसे जरूरी है. डॉक्टरों को रेगुलर एक्सरसाइज के साथ- साथ योगा और मेडिटेशन करके, पर्याप्त नींद लेकर, फलों और सब्जियों वाली पौष्टिक डाइट फॉलो करके और जंक फूड से दूर रह कर खुद की देखभाल को प्राथमिकता देनी चाहिए. अस्पताल जाने से पहले प्रॉपर ब्रेकफास्ट करना चाहिए और अगर संभव हो तो लंच और डिनर समय पर करना चाहिए. इसके अलावा, अपने लंच और डिनर के बीच में छोटे-छोटे हेल्दी स्नैक्स लेने की कोशिश करनी चाहिए. ये आदतें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करती हैं, जिससे डॉक्टर अपने प्रोफेशन की डिमांड को बेहतर तरीके से निभा सकते हैं.

2. इफेक्टिव टाइम मैनेजमेंट

डॉक्टरों के लिए अपनी पर्सनल और प्रोफेशनल रिस्पांसिबिलिटीज को बैलेंस करने के लिए टाइम मैनेजमेंट स्किल्स सीखनी बहुत जरूरी है. अपना शेड्यूल बनाना, प्राथमिकताएं निर्धारित करना और जब मुमकिन हो काम को डिस्ट्रीब्यूट करने से तनाव को कम करने और वर्कलोड को मैनेज करने में मदद मिल सकती है. एफिशिएंट टाइम मैनेजमेंट से डॉक्टर अपने लिए रिलैक्सेशन का टाइम भी निकाल सकते हैं.

3. सपोर्ट नेटवर्क

डॉक्टरों के लिए एक स्ट्रॉन्ग सपोर्ट सिस्टम तैयार और मेंटेन करना बहुत महत्वपूर्ण है. मेडिकल फील्ड की चुनौतियों को समझने वाले सहकर्मियों से जुड़कर अपनी परेशानियों को उनके साथ डिस्कस करने और उस पर सलाह मांगने में मदद मिलती है. सहकर्मियों के सपोर्ट ग्रुप से जुड़कर डॉक्टर खुद को अलग-थलग महसूस नहीं करेंगे.

4. इमोशनल रेसिलिएंस और माइंडफुलनेस

इमोशनल रेसिलिएंस और माइंडफुलनेस टेक्नीक की प्रैक्टिस स्ट्रेस मैनेजमेंट में बहुत मददगार साबित हो सकती है. डॉक्टर पॉजिटिव माइंडसेट डेवलप करके, ग्रोथ ओरिएंटेड नजरिया अपनाकर और चुनौतीपूर्ण स्थितियों को आगे बढ़ने के अवसरों के तौर पर देखकर रेसिलिएंस डेवलप कर सकते हैं. इसके अलावा, मेडिटेशन या डीप ब्रीदिंग (गहरी सांस लेने की) एक्सरसाइज जैसी माइंडफुलनेस प्रैक्टिस को अपने रूटीन में शामिल करने से डॉक्टरों को एनजाइटी कम करने और ओवरऑल वेल-बीइंग में मदद मिल सकती है.

डॉक्टरों को हमेशा मरीज के अटेंडेंट के साथ बातचीत करने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हें बीमारी और मरीज की गंभीर स्थिति और मेडिकल सर्विसेज की लिमिटेशन, यदि ऐसा केस हो तो उसके बारे में उन्हें बताना चाहिए.

इसे भी पढ़ें: हेल्थ फॉर ऑल: अपोलो फाउंडेशन का ‘टोटल हेल्थ’ जो तेलंगाना में चेंचू जनजाति के लिए सुनिश्चित कर रहा स्वास्थ्य सेवाएं 

5. हॉबी और मनोरंजन के लिए वक्त निकालना

हेल्दी वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने के लिए डॉक्टरों के लिए काम के अलावा हॉबी और मनोरंजन के लिए समय निकालना बहुत जरूरी है. पढ़ने, पेंटिंग करने, स्पोर्ट्स या परिवार के साथ समय बिताने जैसी एक्टिविटी में शामिल होने से उन्हें काम से संबंधित तनाव से दूर रहने में मदद मिल सकती है.

6. प्रोफेशनल की मदद लेना

जब तनाव बहुत ज्यादा हो जाता है या लंबे समय तक बना रहता है, तो ऐसे में प्रोफेशनल मदद लेना बहुत जरूरी है. डॉक्टरों को उन थेरेपिस्ट, काउंसलर या साइकोलॉजिस्ट से कंसल्ट करने में हिचकना नहीं चाहिए, जो स्ट्रेस मैनेजमेंट या वर्क रिलेटेड इश्यू में एक्सपर्ट हैं. प्रोफेशनल हेल्प डॉक्टरों को उनके सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकती है.

अपने प्रोफेशन के डिमांडिंग नेचर को देखते हुए, डॉक्टरों के लिए दिन-प्रतिदिन के तनाव से निपटना एक ऐसी चुनौती है जो उनके सामने हमेशा बनी रहती है. सेल्फ केयर यानी खुद की देखभाल को प्राथमिकता देकर, इफेक्टिव टाइम मैनेजमेंट स्ट्रेटजी का इस्तेमाल करके, सपोर्ट नेटवर्क से जुड़कर, इमोशनल रेसिलिएंस डेवलप करके, हॉबीज के लिए वक्त निकालकर, और जरूरत पड़ने पर प्रोफेशनल सपोर्ट लेकर, डॉक्टर अपने दैनिक जीवन के तनावों से निपटने के लिए एक कोपिंग मैकेनिज्म डेवलप कर सकते हैं. डॉक्टरों के लिए अपनी सेहत को प्राथमिकता देना जरूरी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वो अपनी हेल्थ और खुशी को मेंटेन रखते हुए अपने मरीजों की अच्छे से अच्छी देखभाल कर सकें.

(यह आर्टिकल शालीमार बाग के फोर्टिस हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजी के डायरेक्टर और HOD डॉ. जयदीप बंसल द्वारा लिखा गया है.)

डिस्क्लेमर: ये लेखक की निजी राय हैं.

इसे भी पढ़ें: नेगेलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज पर अपर्याप्त हेल्थकेयर सिस्टम और क्लाइमेट चेंज के प्रभाव

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *