नई दिल्ली: G20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले देश की राजधानी दिल्ली कबाड़ से बनी कला-कृतियों से सज उठी है. इसमें इतिहास, पौराणिक कथाओं और संस्कृति को चित्रित करने वाली कला-कृतियां, मूर्तियां, भित्ति चित्र और फूलों की सजावट शामिल है. मेजबान शहर की देखरेख करने वाले दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने इसके लिए कूड़े-कचरे की सफाई से लेकर वृक्षारोपण अभियान और पर्यावरण को बेहतर बनाने के कई कदम उठाते हुए शहर को साफ-सुथरा बनाने की पहल की है. एमसीडी की इस पहल के तहत ही राजधानी में तैयार किया गया है कबाड़ से बना कला- पार्क यानी ‘वेस्ट-टू आर्ट पार्क’.
Witness the vibrant transformation of Bhairon Marg, New Delhi, where MCD has created a Musical Masterpiece from scrap for the G20 Summit!@LtGovDelhi@OberoiShelly@GyaneshBharti1#G20Summit2023 pic.twitter.com/YtBT72fGYq
— Municipal Corporation of Delhi (@MCD_Delhi) September 3, 2023
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ट्रैश टू ट्रेजर की मिसाल है वेस्ट-टू-आर्ट पार्क
एमसीडी द्वारा विकसित इस पार्क में G20 सदस्य देशों के राष्ट्रीय पक्षियों और जानवरों की कई कला-कृतियां और मूर्तियां लगाई हैं, जिन्हें स्क्रैप यानी कबाड़ से बनाया गया है. बेकार की चीजों से बनी होने के बावजूद ये कलात्मकता का बेहतरीन नमूना पेश कर रही हैं.
दिल्ली में कहां- कहां दिखेंगे वेस्ट-टू-आर्ट डिस्प्ले ?
वेस्ट-टू-आर्ट मूर्तियां विभिन्न स्थानों पर देखी जा सकती हैं, जैसे हवाई अड्डे के पास महिपालपुर गोल चक्कर, जिसमें संगीत मंडली या संगीत समूह और शास्त्रीय नृत्य मुद्राओं को प्रदर्शित किया गया है.
इसके अलावा प्रगति मैदान में भैरों मार्ग पर राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय के पास स्वदेशी संगीत वाद्ययंत्रों की विविधता और समृद्धि को प्रदर्शित करने वाली मूर्तियां हैं. संग्रहालय से सटे बंद किए जा चुके नाले के एक हिस्से को कबाड़ से बनी कला-कृतियों के जरिये एक सुंदर नजारे वाले बगीचे के रूप में विकसित किया गया है.
साथ ही चाणक्यपुरी में कौटिल्य मार्ग पर भी एक ‘वेस्ट टू आर्ट’ पार्क विकसित किया गया है, जहां निर्माण स्थलों के बचे हुए सामान और ऑटोमोबाइल के बेकार पुर्जों से कलात्मक चीजें बनाकर लगाई गई हैं. ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ (वसुधैव कुटुंबकम) की थीम पर आधारित यह पार्क G20 शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर लोगों के लिए खोला जाएगा.
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने चाणक्यपुरी में पार्क का उद्घाटन करते हुए कहा,
दिल्ली में विकास की बहार आ गई है. राष्ट्रीय राजधानी को चमकाने के लिए सभी प्रयास किए गए हैं और यह पार्क उसी दिशा में एक कदम है. यह दिल्ली के लोगों के लिए एक उपहार है.
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‘वेस्ट-टू-आर्ट पार्क’ स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 के तहत अपनाई गई ‘रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल’ (3Rs) की अवधारणा की बेहतर मिसाल पेश करता है.
इस टिकाऊ पहल के बारे में बात करते हुए एमसीडी आयुक्त ज्ञानेश भारती ने कहा कि हर एक मूर्ति को हाथों से बनाया गया है और यह इस तथ्य का प्रमाण है कि कूड़े को भी सुंदरता के साथ कला-कृतियों में बदला जा सकता है. उन्होंने कहा,
जी 20 शिखर सम्मेलन हमारे शहर और देश के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं कि दिल्ली की पहचान एक दरिया दिल और स्वागत करने वाले मेजबान के रूप में उभरे. हम इस आयोजन को न केवल अपने अंतरराष्ट्रीय मेहमानों के लिए, बल्कि अपने सभी निवासियों के लिए भी यादगार और सफल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
कितना कचरे का किया गया है इस्तेमाल?
एमसीडी ने पुराने ट्रकों, कारों, धातु की प्लेटों, बेकार पड़े बिजली के खंभों, पाइपों, एंगलों, साइकिल के रिम और चेन, नट और बोल्ट, लोहे की छड़ों, बेंचों और पार्क ग्रिलों और ऑटोमोबाइल पुर्जों का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की कला-कृतियों को बनाने में किया है. एमसीडी के मुताबिक आकृतियों और मूर्तियों के निर्माण में करीब सात से आठ टन कचरे का इस्तेमाल किया गया है.
जिम्मेदारी के साथ कचरे के निपटान को बढ़ावा देने के लिए सजावटी कूड़ेदानों (डेकोरेटिव डस्टबिन) को भी बुद्ध जयंती पार्क गेट, आर्मी पब्लिक स्कूल, बस स्टॉप और अन्य सार्वजनिक सभा स्थलों जैसे व्यस्त यातायात वाली जगहों के आसपास रखा गया है.
G20 शिखर सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया आदि सहित दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के समूह के नेता शामिल होंगे, जो जलवायु वित्तपोषण, सतत विकास और खाद्य सुरक्षा जैसे लक्ष्यों सहित कई प्रमुख ग्लोबल मुद्दों की रणनीतियों और समाधानों पर चर्चा करेंगे.
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