नई दिल्ली: योग शरीर और आत्मा के लिए उतना ही जरूरी है, जितना प्रतिदिन की धूप. यह एक रिफ्रेशिंग रीसेट बटन की तरह है. इसका मतलब सिर्फ बॉडी स्ट्रेचिंग नहीं, बल्कि मन की शांति भी है. या जैसा कि रीति सभरवाल योग के लिए कहती हैं, ‘हेल्दी लाइफ के लिए यह एक सीक्रेट इंग्रेडिएंट है!’ रीति के लिए योग सांस लेने जैसा ही है. उन्होंने योग का अभ्यास बहुत कम उम्र में शुरू कर दिया था, क्योंकि उनके माता-पिता एक्टिव प्रैक्टिशनर (active practitioners) थे. वह वृक्षासन (tree pose) करते हुए कहती हैं,
मुझे योग के जरिए शरीर को लचीला बनाने और इसकी सांस लेने की तकनीकों (breathing techniques) ने बहुत आकर्षित किया. मैंने इसे अपने माता-पिता से सीखा, लेकिन मैं उनकी तरह इसकी प्रैक्टिस नहीं करती थी. योग की गहराई का अनुभव मुझे कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन के दौरान हुआ. इसने मुझमें उस कठिन समय के दौरान भी पॉजिटिविटी को बनाए रखा.
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रीति के लिए योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की एक और वजह थी उनके हार्मोनल और पेट से जुड़ी समस्याओं को ठीक करना, जिनका वो अक्सर सामना करती थी.
योग के साथ-साथ, उन्होंने अपने लिए एक ऐसी दिनचर्या बनाई जो पहले कभी नहीं बनाई थी. उन्होंने कहा,
हम महिलाएं, खुद को छोड़कर हर चीज का बहुत अच्छे से ख्याल रखती हैं. बच्चों की हर जरूरत का, पति की हेल्थ से लेकर सास-ससुर की लाइफ स्टाइल तक, यह सब कुछ हमारी लिस्ट में टॉप पर होता है, लेकिन हमारी खुद की देखभाल को लेकर हम बेपरवाह होते हैं. योग ने मुझे इस बात का एहसास कराया कि खुद का ख्याल रखना कितना जरूरी है.
रीति बच्चों को भी योगा सिखाने की सिफारिश करती हैं.
बच्चों को भी योग सिखाना बहुत जरूरी है. यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रख उनके संपूर्ण विकास में योगदान देता है.
उनका बेटा अभिवीर (Abhivir) करीब एक साल से उनके साथ योग का अभ्यास कर रहा है. वह 13 साल का है और योग के कई कठिन पोज बनाने में महारत हासिल कर चुका है. यह उनकी दिनचर्या में शामिल है. मां-बेटे की यह जोड़ी सूर्योदय से पहले उठती है, दोनों अपनी योगा मैट बिछाते हैं और फिर अपना योगाभ्यास शुरू करते हैं. अभिवीर कहते हैं,
मेरी मां ने मुझे योग के कई पोज सिखाए हैं. हम बिल्लियों की तरह स्ट्रैच करते हैं और पेड़ों की तरह खड़े होते हैं. यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि मेरा शरीर क्या कर सकता है. और योग करने के बाद, मैं शांत और खुश महसूस करता हूं.
रीति को लगता है कि यह उसके लिए एक इनाम है. वह कहती है,
हर अभ्यास के साथ, मैंने अपने शरीर का सम्मान करना और उससे प्रेम करना सीखा है.
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