कोई पीछे नहीं रहेगा

ट्रांसजेंडर अवार्ड्स 2024 में इन माताओं को मिला सम्‍मान

पद्मा अय्यर और डॉ. बेला शर्मा अपने बच्चों के माध्यम से LGBTQIA+ समुदाय की सहयोगी हैं. उन्हें हाल ही में ट्रांसजेंडर अवॉर्ड्स 2024 के अंतर्गत विद्या अवॉर्ड से सम्मानित किया गया

Read In English
प्‍यार की कोई सीमा नहीं होती: ट्रांसजेंडर अवार्ड्स 2024 में इन माताओं को मिला सम्‍मान
ट्रांसजेंडर पुरस्कार समुदाय के सभी सदस्यों समाज में समानता और समावेशन को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली मंच है

नई दिल्ली: हरीश जब छोटे थे, तब उन्होंने अपनी सेक्सुअलिटी के बारे में खुलासा किया था. इसके बाद जो कुछ हुआ वह भावनाओं का सिलसिला था. हरीश की मां पद्मा अय्यर कहती हैं, “मैंने सुझाव दिया कि उसे चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए. मैंने ऐसे कारणों की तलाश शुरू कर दी, जो मेरे अविश्वास की पुष्टि कर सकें.” उन्होंने उस समय को भी दोषी माना, जब हरीश को उनके अंकल के हाथों सेक्सुअल एब्यूस का सामना करना पड़ा.

हालांकि, जल्द ही, उन्‍हें पता चल गया कि वह सच से भाग रही हैं. उन्‍होंने सच स्वीकार करने और उसके साथ खड़े रहने का फैसला किया. उन्होंने कहा,

मेरा बच्चा, मेरे लिए किसी भी अन्य चीज से ज्यादा मायने रखता है.

इसे भी पढ़े: ट्रांसजेंडर्स के लिए एक डॉक्टर की मार्गदर्शिका: जानिए क्या है जेंडर अफर्मेशन, इसकी लागत, इलाज और कठिनाईयों के बारे में

तब से, पद्मा अय्यर, अपने बच्चे और LGBTQIA+ समुदाय को बेहतर ढंग से समझने के प्रयास में, अपने बच्चे के साथ अवेयरनेस सेशन और कार्यक्रमों में जाती रही हैं.

डॉ. बेला शर्मा ने भी ऐसा ही किया. जब उन्‍हें अपने बच्चे के जेंडर के बारे में पता चला, तो उनके लिए अत्यधिक प्यार के अलावा कुछ भी महसूस नहीं हुआ. फोर्टिस में एडिशनल डायरेक्टर ऑफ इंटरनल मेडिसिन, डॉ. बेला कहती हैं कि

मेरे बच्चे के साथ मेरा रिश्ता बिल्कुल भी नहीं बदला है. मैं एक मां हूं और टिया मेरी बच्ची है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह पुरुष है या महिला या फिर कोई और जेंडर.

पद्मा अय्यर और डॉ. शर्मा का असाधारण दृष्टिकोण उनके बच्चों तक ही सीमित नहीं है. उन्होंने LGBTQIA+ समुदाय के सशक्तिकरण में भी योगदान दिया है. इसलिए उन्हें हाल ही में ट्रांसजेंडर अवार्ड्स 2024 में विद्या पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

पद्मा अय्यर को लगता है कि LGBTQIA+ कम्‍युनिटी पर केंद्रित इस तरह के आयोजन बहुत महत्वपूर्ण हैं. वे LGBTQIA+ लोगों और उनके परिवारों या फिर दोस्तों की जेंडर पहचान और जश्न मनाती हैं.

20 साल बाद भी, हमारे परिवार में कोई भी मेरे बच्चे के जेंडर पहचान पर खुलकर चर्चा नहीं करता है. यह एक मूक लड़ाई है, मेरा बेटा और मैं लड़ना जारी रख रहे हैं. इस तरह के आयोजन न केवल दृश्यता और पहचान देते हैं, बल्कि स्वीकृति भी सुनिश्चित करते हैं.

डॉ. बेला कहती हैं कि ट्रांसजेंडर पुरस्कार, इस कम्‍युनिटी के सभी सदस्यों के लिए समानता और समावेशन को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली मंच है. वह कहती हैं, अवॉर्ड शो न केवल मेरे बच्चे के लिए, बल्कि परिवार और पूरे समाज के लिए प्रोत्साहन का एक स्रोत है.

इसे भी पढ़ें: न्याय की लड़ाई: केरल की पहली ट्रांसजेंडर वकील पद्मालक्ष्मी ने बताया कानूनी प्रणाली कैसे रखे तीसरे लिंग का ख्‍याल