नई दिल्ली: हर साल, 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस यानी वर्ल्ड एड्स डे मनाया जाता है, जिसका मकसद ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (HIV) के खिलाफ लड़ने के लिए दुनियाभर के समुदायों को एकजुट करना, इस बीमारी से पीड़ित लोगों को सपोर्ट करना और इस बीमारी से मरने वाले लोगों को याद करना है. इस बीमारी के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए वर्ल्ड एड्स डे मनाने की शुरुआत 1988 में हुई थी. यह दिन लोगों और सरकारों को याद दिलाता है कि HIV आज भी स्वास्थ्य के लिए खतरा बना हुआ है. 1996 में, HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम ((UNAIDS) ने अभियान संचालन की जिम्मेदारी संभाली और इस पहल का दायरा रोकथाम और शिक्षा अभियान तक बढ़ाया.
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वर्ल्ड एड्स डे 2023 की थीम
वर्ल्ड एड्स डे के लिए हर साल एक खास थीम पर फोकस किया जाता है. इस साल का थीम लेट कम्यूनिटीज लीड (Let Communities Lead) है. इस थीम का मकसद एड्स की रोकथाम में समाज की अहम भूमिका दर्शाना और इस बीमारी से लड़ने में पेश आ रही चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना है.
हर साल, यूनाइटेड नेशन एजेंसियां, सरकारें और सिविल सोसाइटी HIV के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कैंपेन चलाने के लिए एक साथ आते हैं. लाल रिबन पहनना, HIV से पीड़ित लोगों के प्रति जागरूकता, समर्थन और एकजुटता का प्रतीक है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, HIV अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बनी हुई है, खासकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में. WHO का अनुमान है कि HIV ने दुनियाभर में अब तक 40.4 मिलियन यानी 4.04 करोड़ लोगों की जान ली है. यह बीमारी आज भी दुनिया के सामने सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बनी हुई है.
भारत में, सरकार की लेटेस्ट HIV रिपोर्ट (2019) के मुताबिक, लगभग 23.49 लाख लोगों के HIV/AIDS से पीड़ित होने का अनुमान है. आंकड़ों के मुताबिक, HIV के मामलों में गिरावट आ रही है और 2010 और 2019 के बीच अनुमानित सालाना नए HIV संक्रमण में 37% की गिरावट आई है.
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HIV/AIDS का इलाज
HIV संक्रमण का कोई इलाज नहीं है. हालांकि, सही रोकथाम, डायग्नोस, ट्रीटमेंट और देखभाल से, एचआईवी संक्रमण एक मैनेजेबल क्रोनिक हेल्थ कंडीशन बन गई है, जो HIV से पीड़ित लोगों को लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में सक्षम बनाता है. एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) तक पहुंच भी बढ़ी है और यह HIV को आगे फैलने को रोकती है. दुनियाभर में, 2022 में HIV से पीड़ित 39 मिलियन लोगों में से 76% लोग एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) ले रहे थे. विशेषज्ञों का कहना है कि ART से मां से बच्चे में संक्रमण फैलने से रोकने और खत्म करने तथा संक्रमित माताओं को जीवित रखने में भी मदद मिली है. आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में, HIV से पीड़ित सभी गर्भवती महिलाओं में से 82% या 1.2 मिलियन महिलाओं को एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी दी गई थी.
HIV /AIDS के बारे में
WHO के मुताबिक, HIV या ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (Human immunodeficiency virus) एक संक्रमण है जो शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा प्रणाली पर हमला करता है. एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (AIDS) इस बीमारी की सबसे एडवांस स्टेज है जो कई सालों के बाद शुरू होती है, जब HIV का इलाज नहीं किया जाता है. HIV शरीर की श्वेत रक्त कोशिकाओं (White blood cells) को निशाना बनाता है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है. इससे संक्रमित व्यक्ति ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis), कई तरह के संक्रमण और कैंसर जैसी बीमारियों की चपेट में आ जाता है. यह संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ से फैलता है, जिसमें खून, स्तन का दूध, वीर्य और योनि का तरल पदार्थ शामिल हैं. यह चुंबन, आलिंगन या भोजन साझा करने से नहीं फैलता. यह मां से उसके बच्चे में भी फैल सकता है. WHO का कहना है कि किसी व्यक्ति के संक्रमित होने के बाद पहले कुछ महीनों में यह बीमारी ज्यादा आसानी से फैलती है, लेकिन लोगों को अपने संक्रमित होने के बारे में देर से पता चलता है. संक्रमित होने के बाद पहले कुछ हफ्तों में लोगों को लक्षण नजर नहीं आते हैं. कुछ को बुखार, सिरदर्द, गले में खराश के साथ इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी हो सकती है.
WHO कहता है कि यह संक्रमण धीरे-धीरे इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से वजन कम होना, बुखार, दस्त, खांसी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं. इलाज के बिना, HIV से संक्रमित लोगों में गंभीर बीमारियां जैसे ट्यूबरक्लोसिस (TB), क्रिप्टोकोकल मेनिनजाइटिस (Cryptococcal Meningitis), गंभीर बैक्टीरियल इंफेक्शन, लिम्फोमा (Lymphomas) और कपोसी सारकोमा (Kaposi’s sarcoma) जैसे कैंसर भी विकसित हो सकते हैं.
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