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प्रेरणादायी दिव्यांग

विकलांगता में भी क्षमता है, देखिए कैसे 34 साल का दिव्‍यांग बना हौसले की मिसाल

34 वर्षीय पुलकित शर्मा जन्म के समय ही सेरेब्रल पाल्सी की चपेट में आ गया था, जिससे उनकी चलने-फिरने और संतुलन बनाए रखने की क्षमता प्रभावित हुई थी, लेकिन आज वह व्हीलचेयर पर अपने डांस मूव्स के लिए जाने जाते हैं

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विकलांगता में भी क्षमता है, देखिए कैसे 34 साल का विकलांग बना हौसले की मिसाल
दिल्ली के रहने वाले पुलकित शर्मा के पास अपनी बैटमोबाइल है - एक व्हीलचेयर जिस पर वह जमकर डांस करते हैं

नई दिल्ली: अगर आप डीसी कॉमिक्स के फैन हैं तो आपने सुपरहीरो बैटमैन द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली गाड़ी बैटमोबील के बारे में जरूर सुना होगा. लेकिन यहां दिल्ली के 34 साल के पुलकित शर्मा के पास खुद की बैटमोबील है, यह वह व्हीलचेयर है जिस पर पुलकित जमकर डांस करते हैं. पुलकित कहते हैं,

बैटमैन जैसा हीरो भी मुसीबतों का सामना कर लोगों की मदद करता है. मैं, एक शारीरिक रूप से विकलांग इंसान, रोज काफी मुश्किलों का सामना करता हूं लेकिन मैं भी अपने जीवन को जीना और दूसरे लोगों को सहारा देने का काम करता हूं. जैसे बैटमैन के पास बैटमोबील है, वैसे ही मेरे पास भी एक चेयर है जिसे मैं लोगों को दिखाता हूं. मैं बैटमोबील पर बैठा हुआ एक लड़का हूं.

पुलकित, जो कि चार भाई बहनों में सबसे छोटा है, जन्म के समय से ही सेरेब्रल पाल्सी नाम की बीमारी से ग्रसित है जिसमें इंसान का मूव करना और बैलेंस बनाना मुश्किल हो जाता है. काफी सारी सर्जरी के बाद भी पुलकित ढंग से ना ही खड़े हो सकते हैं और ना ही चल सकते हैं. उन्होंने आगे कहा,

डॉक्टर ने मुझे दो रास्ते बताए, या तो जिन्दगी भर हास्पिटल में रहो या फिर बाहर जाकर पढ़ाई करो और मैनें पढ़ाई को चुना. मुझे मेरे पापा के शब्द याद हैं कि, समाज में शारीरिक या मानसिक विकलांगता से भी बड़ी एक बीमारी है और वह है शिक्षा की कमी. आप शारीरिक विकलांगता से तो लड़ सकते हो लेकिन असाक्षरता से नहीं. शारीरिक रूप से मैं दूसरों पर निर्भर हूं लेकिन उसके अलावा मैं किसी पर भी किसी चीज के लिए निर्भर नहीं होना चाहता.

स्कूल जाने के लिए भी पुलकित को ऑटो ड्राइवर पर निर्भर रहना पड़ता था. जो उसे गोद में उठा कर घर से ऑटो में और फिर ऑटो से स्कूल में उसकी सीट तक बैठाता था. पुलकित बताते हैं कि,

मेरे मां-बाप उसे डबल पैसे देते थे जिससे वह मुझे स्कूल की सीट तक छोड़े और वहीं से मुझे उठा कर घर तक छोड़े.

शुरू में तो पुलकित की क्लास ग्राउंड फ्लोर पर ही थी, लेकिन जब उसने स्कूल बदली तो उसकी क्लास फर्स्ट फ्लोर पर हो गई. आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि,

ऑटो ड्राइवर मुझे अपने पीठ पर चढ़ा कर छोड़ा करते थे और मैं एक भारी बच्चा था. ना ही मेरी स्कूल में लिफ्ट थी, और ना ही मेरे पास तब व्हीलचेयर थी. बाथरूम भी ग्राउंड फ्लोर पर था और इसलिए मैं कम पानी पीता था जिससे मुझे बाथरूम ना जाना पड़े जबतक मैं स्कूल में हूं.

पुलकित ने आगे चलकर बैचलर्स डिग्री की और तो और एनिमेशन और ग्राफिक डिजाइनिंग में ट्रेनिंग भी ली. लेकिन बात जब फुल टाइम नौकरी की आइ तो पुलकित की शारीरिक विकलांगता बीच में आ गई. उन्होंने बताया,

रोजाना मेरे पास आने वाली 20 नौकरी संबंधी काल्स में से 18,19 तो मुझे यह कहकर रिजेक्ट कर देते थे कि, सॉरी सर, हमारा ऑफिस फर्स्ट फ्लोर पर है, आप नहीं आ सकते. वर्क फ्राम होम या फिर हाइब्रिड मॉडल कोविड-19 महामारी के पहले चलन में नहीं था.

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एक तरफ जहां कोविड-19 महामारी ने लोगों के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी थी, तो वहीं दूसरी ओर पुलकित को इसने मानों उड़ने के लिए पंख दे दिए. उन्होंने इस आपदा को एक अवसर के रूप में देखा. इस दौरान साल 2020 में उन्होंने अपना पॉडकास्ट ‘माई टॉपिकलेस टपरी’ की शुरूआत की, जहां वह अलग अलग फील्ड के लोगों का इंटरव्यू किया करते थे. इस पॉडकास्ट का एक सीजन खासतौर पर विकलांग कहानियों पर आधारित था जिसका नाम था, पुलकित के अनुभव और विकलांग इंसानों की जरूरतें. इसमें त्योहारों और विकलांगता पर एक मोनोलॉग शामिल था; अनुकूली कपड़ों की आवश्यकता; विकलांग लोगों के लिए सार्वजनिक परिवहन और रेस्तरां कितने सुलभ हैं; मानसिक स्वास्थ्य और विकलांगता. साल 2021 में पुलकित को एक वीकली शो रेडियो उड़ान ऑफर हुआ, जो कि एक विकलांग समुदाय का रेडियो स्टेशन है जिसके द्वारा विकलांग व्यक्तियों को एक मंच मिलता था कि वह अपने मानवाधिकार के लिए आवाज उठा सकें. उन्होंने आगे कहा,

बचपन में मैं एक शांत बच्चा था. मैं बाहर जाना और लोगों से मिलना पसंद नहीं करता था. टीवी और रेडियो ही वह दो माध्यम थे जिनके द्वारा मैं बाहरी दुनिया से जुड़ा रहता था. जब मुझे आरजे बनने का ऑफर मिला, तो मेरे अंदर एंटरटेनमेंट का कीड़ा जाग गया. मुझे सिर्फ बात करना ही आता था, इसलिए मैनें अपना वीकली शो शुरू किया जो संडे को सुबह 10 बजे आता था जहां मैं हर तरह की बातें किया करता था.

पुलकित आज एक फेमस कंटेंट क्रिएटर बन चुके और सोशल मीडिया पर उन्हें बैटबॉयआनव्हील्स के नाम से भी जाना जाता है. वह स्क्रिप्टिंग से लेकर शूटिंग, ए़डिटिंग सब कुछ खुद ही करते हैं. वह अक्सर अपनी डांस और कॉमेडी वीडियोज सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं. उनके तीन पसंदीदा गैजेट्स लैपटॉप, जूम रिकार्डर और हेडफोन्स हैं. डांस वीडियोज बनाने के पीछे के आइडिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा,

मैं लोगों को विकलांगता के प्रति शिक्षित करना चाहता हूं. बहुत सारे लोग ऐसे भी है जिन्हें सांत्वना और सहानुभूति के बीच का फर्क नहीं पता. हमें विकलांगता में सहानुभूति की जरूरत है. जब भी मैं कोई भी डांस वीडियोज डालता हूं तो मुझे ठीकठाक हेट भी मिलती है. एक बार एक यूजर ने मेरी वीडियो पर कमेंट किया कि, इतना भी क्या आलस खड़े होकर डांस कर लो. मैं लोगों को अपशब्द नहीं कहता क्योंकि वह मेरा स्वभाव नहीं है. मैं उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब देता हूं. किसी ने कहा था कि, यह तो मूनवॉक कर सकता है और मैनें उसके कमेंट का जवाब अपनी रील से दिया जहां मैं अपनी व्हीलचेयर में मूनवॉक कर रहा हूं.

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पुलकित अक्सर सामान्य लोगों पर व्यंग्यात्मक वीडियों बनाते रहते हैं. हाल ही में उनके द्वारा बनाए गए वीडियों में उन लोगों का मजाक बनाया गया जो सही सलामत होने के बावजूद लिफ्ट का उपयोग करते हैं और विकलांग लोगों को लिफ्ट के लिए इंतजार करना पड़ता है.

पुलकित खुश हैं क्योंकि उन्होंने एक पॉवर व्हीलचेयर साल 2011 में खरीद ली जिसने उन्हें ज्यादा काबिल बनाया और अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकाला. बैटबॉय जो व्हील्स पर डांस करता है, वह अपने कंटेंट की मदद से अपनी एक सोसाइटी बनाने के साथ पैसे कमाना चाहता है. वह कहते हैं,

एक्टर दिलजीत दोसांझ ने बॉलीवुड में पगड़ी पहनने वाले एक्टर्स के लिए दरवाजे खोले. उन्होंने अपना एक मुकाम बनाया है जो उनके पहले वाले लोग नहीं कर सके. वैसे ही, मैं भी एक उदाहरण बनना चाहता हूं- एक विकलांग लड़का जो खुद के पैरों पर खड़ा हुआ है और आर्थिक रूप से स्वतंत्र है

हम आपको पुलकित द्वारा बनाए गए एक डांस वीडियो के साथ छोड़े जा रहे हैं, जो दुनिया के सामने यह साबित करना चाहते हैं की विकलांगता में भी क्षमता है.

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