नई दिल्ली: स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी कंपनी IQAir की 2022 की लिस्ट के अनुसार, दुनिया के टॉप 20 सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली तीसरे स्थान पर है. इस कंपनी को वायुजनित प्रदूषकों से सुरक्षा में विशेषज्ञता है. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) में प्रकाशित एक सर्वे के अनुसार, एयर पॉल्यूशन में वाहनों के उत्सर्जन का योगदान 51 प्रतिशत और निर्माण का लगभग 7 प्रतिशत है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि कचरा जलाने और सड़क की धूल का योगदान क्रमशः लगभग 5 प्रतिशत और 4 प्रतिशत है. इसके अलावा, लोकल सोर्स, जैसे गाय के गोबर के उपले जलाना, राष्ट्रीय राजधानी में 32.9 प्रतिशत प्रदूषण का कारण हैं.
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दिल्ली के वायु प्रदूषण की वर्तमान स्थिति के बारे में एनडीटीवी-बनेगा स्वस्थ इंडिया टीम से बात करते हुए, जनरल फिजिशियन और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट (एमडी-एमडीएच) डॉ. रचना कुचेरिया ने कहा कि एक्यूआई संख्या में कमी मददगार नहीं थी, क्योंकि वे अभी भी जरूरी लेवल से ऊपर हैं. उन्होंने कहा,
तकनीकी शब्दों में, हम में से अधिकांश लोग एक्यूआई नंबरों को देख रहे हैं, हर दिन हम उन्हें ट्रैक कर रहे हैं. कुछ दिन पहले एक्यूआई करीब 500 था, जो बाद में कुछ ही दिनों में 300-340 पर आ गया. लेकिन यह अभी भी उस लेवल से ऊपर है, जो हमें चाहिए, यह अभी भी एक ऐसा लेवल है जहां लोग गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं. अंडरलाइंग क्रोनिक रेस्परटॉरी इश्यू वाले लोगों के लिए प्रदूषण का लेवल अधिक खतरनाक है.
उन्होंने आगे कहा कि वायु प्रदूषण के कारण अस्पतालों में रोगियों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा कि यंग अडल्ट और बिना मेडिकल हिस्ट्री वाले लोग भी गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं.डॉ. कुचेरिया ने कहा,
20 के दशक के अंत में युवा लोग अपर रेस्परटॉरी प्रोब्लम, खांसी, घरघराहट आदि की शिकायत कर रहे हैं. मेरे सहकर्मी जो अस्पतालों की एमरजेंसी में काम करते हैं, उनमें हार्ट प्रोब्लम के रोगियों की संख्या अधिक देखी जा रही है. इसलिए, दिल का दौरा, नसों का थक्का जमना, धमनियों का सख्त होना और गर्भवती महिलाओं पर प्रभाव जैसी चीजें देखी जा रही हैं.
भविष्य के हस्तक्षेपों के संदर्भ में, डॉ. कुचेरिया ने कहा कि प्रदूषण के बढ़ते लेवल का समाधान डॉक्टरों पर नहीं, बल्कि नीति निर्माताओं और अन्य संबंधित अधिकारियों पर निर्भर करता है. उन्होंने वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए नीति निर्माताओं को सक्रिय होने की आवश्यकता पर जोर दिया और यह भी सलाह दी कि लोगों को सांस से जुड़ी किसी भी समस्या से बचने के लिए कुछ उपायों को अपनाना चाहिए.
डॉक्टर के रूप में हम केवल मरीजों का इलाज कर सकते हैं, मूल रूप से हम समस्या पर प्रतिक्रिया करते हैं, न कि इसे रोकते हैं. यह नीति निर्माताओं का काम है, उन्हें दखल देने की जरूरत है.
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डॉ. कुचेरिया ने विस्तार से बताया कि आने वाले दिनों में खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोग किन चरणों का पालन करना चाहिए:
- अगर आप वॉक करते हैं तो धुआं होने पर बाहर जाने से बचें. लेकिन यदि आवश्यक हो, तो दोपहर के समय 1 से 2 बजे के बीच बाहर निकलें. क्योंकि इस दौरान पर्यावरणीय कारकों के कारण मौसम गर्म होता है.
- जिन लोगों को डॉक्टर द्वारा दवाएं निर्धारित की गई हैं उन्हें समय से लें.
- अपने एडल्ट टीकों जैसे फ्लू शॉट के साथ अप-टू-डेट रहें.
- मास्क का इस्तेमाल करना जरूरी है, और N95 सबसे उपयोगी मास्क है.
- मूवमेंट को सीमित करें और जितना हो सके पॉल्यूशन से बचने के लिए घर से काम करने की कोशिश करें.
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