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स्‍टीरॉयड्स देने से बचें डॉक्‍टर, खांसी के मरीजों को दें टीबी के टेस्‍ट की सलाह

केंद्र ने कोविड के मरीजों के इलाज के लिए नई रिवाइस्ड गाइडलाइन्‍स दी हैं, जानें इनमें क्‍या कहा गया है.

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स्‍टीरॉयड्स देने से बचें डॉक्‍टर, खांसी के मरीजों को दें टीबी के टेस्‍ट की सलाह
केंद्र द्वारा कोविड उपचार की नई रिवाइस्ड गाइडलाइन्‍स में डॉक्टरों को स्टेरॉयड देने से बचने की सलाह दी गई है.

सरकार ने एक बार फिर कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के दिशा-निर्देशों में बदलाव किया है. इससे पहले कोव‍िड टास्क फोर्स प्रमुख ने बीते साल दूसरी लहर के दौरान दवा के बहुत ज्‍यादा इस्‍तेमाल के लिए खेद व्यक्त किया था. इसके कुछ दिनों बाद ही यह नए दिशा-निर्देश आए हैं. यहां कोविड रोगियों के उपचार के लिए नए दिशानिर्देशों पर प्रकाश डाला गया है:

1. नए दिशानिर्देशों में केंद्र ने सिफारिश की है कि डॉक्टरों को कोविड-19 रोगियों को स्टेरॉयड देने से बचना चाहिए क्योंकि स्टेरॉयड जैसी दवाएं इनवेसिव म्यूकोर्मिकोसिस या ‘ब्लैक फंगस’ जैसे द्वितीयक संक्रमण के जोखिम को बढ़ा सकती हैं, जब उच्च खुराक या जरूरत से ज्‍यादा समय तक और बहुत जल्दी इस्तेमाल किया जाता है.

2. इनमें डॉक्टरों को सलाह दी गई कि अगर रोगी की खांसी दो-तीन सप्ताह तक बनी रहती है, तो टीबी जांच की सिफारिश करें.

3. नए दिशानिर्देशों को तीन संक्रमण श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है – “हल्का, मध्यम और गंभीर”

4. दिशानिर्देशों के अनुसार, सांस की तकलीफ या हाइपोक्सिया के बिना अपर रेस्‍परेटरी ट्रैक के लक्षणों को हल्के रोग के रूप में वर्गीकृत किया गया है और उन्हें होम आइसोलेशन और घर पर देखभाल करने की सलाह दी गई है.

5. जबकि, उन लोगों को जो हल्के कोविड से पीड़ित हैं और सांस लेने में कठिनाई, तेज बुखार या पांच दिनों से ज्‍यादा वक्‍त तक चलने वाली गंभीर खांसी हो रही है, को चिकित्सा सहायता लेने के लिए कहा गया है.

6. वो लोग, जिन्‍हें 90-93 प्रतिशत के बीच उतार-चढ़ाव वाली ऑक्सीजन फ्लक्‍चुएशन के साथ सांस फूल रही हो, उन्‍हें भर्ती होने के लिए कहा गया है. साथ ही उन्हें मध्यम संक्रमण में वर्गीकृत किया गया है. गाइडलाइंस में यह भी कहा गया है कि ऐसे मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाना चाहिए.

7. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि 30 प्रति मिनट से ज्‍यादा रेस्‍परेटरी रेट, सांस फूलना या कमरे की हवा में 90 प्रतिशत से कम ऑक्सीजन फ्लक्‍चुएशन को एक गंभीर बीमारी माना जाना चाहिए और ऐसे रोगियों को आईसीयू में भर्ती होना चाहिए, क्योंकि उन्हें रेस्‍परेटरी सपोर्ट की जरूरत होगी.

8. बदले गए दिशानिर्देश में भी आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (ईयूए) (EUA)या रेमेडिसविर के ऑफ-लेबल इस्‍तेमाल की सिफारिश करते हैं. यह सिफारिश उन मामलों के लिए की गई है जब “मध्यम से गंभीर” बीमारी वाले रोगी हों और ऐसे मामलों में भी जब किसी भी लक्षण की शुरुआत के 10 दिनों के भीतर गुर्दे या हेपेटिक डिसफंक्शन की दिक्‍कत नहीं हुई हो. दिशानिर्देशों में उन मरीजों के लिए दवा के इस्‍तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी गई है, जो ऑक्सीजन सपोर्ट या इन-होम सेटिंग्स पर नहीं हैं.

9. दिशानिर्देशों में ऐसे मामलों का भी जिक्र किया गया है, जिनमें कोविड-19 के चलते गंभीर बीमारी होने का ज्‍यादा जोखिम है और कहा गया है कि 60 साल से ज्‍यादा उम्र के लोग या हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कोरोनरी धमनी की बीमारी, मधुमेह मेलेटस और दूसरे प्रतिरक्षात्मक स्थिति वाले लोग, जैसे कि एचआईवी, सक्रिय तपेदिक, पुराने फेफड़े, गुर्दे या यकृत रोग, मस्तिष्कवाहिकीय रोग या मोटापा गंभीर बीमारी और मृत्यु दर के लिए उच्च जोखिम में हैं.

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भारत में कोविड-19 की स्थिति

18 जनवरी तक, भारत ने पिछले 24 घंटों में 2.38 लाख कोविड मामले दर्ज किए. स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि दुनिया भर में महामारी की तीसरी लहर का कारण बने हुए ओमिक्रोन स्ट्रेन के अब तक कुल 8,891 मामलों की पुष्टि हो चुकी है.

स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, 17 जनवरी से यह 8.31 प्रतिशत की वृद्धि है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी कहा है कि देश का सक्रिय केसलोड वर्तमान में 17.36 लाख है और रिकवरी दर 94 प्रतिशत से अधिक है.

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