नई दिल्ली: सेल्फ-केयर यानी खुद की देखभाल माताओं और बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक कल्याण के लिए जरूरी है. केवल उनके न्यूट्रीशन यानी पोषण संबंधी पहलू पर ध्यान देना ही काफी नहीं है, बल्कि डाइट डायवर्सिटी, फिजिकल एक्टिविटी और पर्सनल केयर यानी व्यक्तिगत देखभाल और हाइजीन जैसे फैक्टर भी उनकी ओवरऑल वेलबीइंग यानी समग्र कल्याण के लिए समान रूप से जरूरी हैं, जो भारत के ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की महिलाओं और बच्चों के लिए कम उपलब्ध हैं. माताओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों के बीच सेल्फ-केयर प्रेक्टिस में सुधार लाने के मकसद से, रेकिट और प्लान इंडिया एक ‘सेल्फ-केयर’ प्रोग्राम लेकर आए हैं.
इसे भी पढ़े: मिलिए गुलाबी दीदियों से, 10 हजार समाजसेवियों ने छेड़ी मातृ और शिशु मृत्यू दर के खिलाफ लड़ाई
रेकिट के सेल्फ-केयर प्रोग्राम के पीछे की सोच
यह परियोजना विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के स्व-देखभाल (Self-care) दिशानिर्देशों, व्यापक डायरिया नियंत्रण पर WHO की 7-सूत्री योजना और WHO और यूनिसेफ द्वारा निमोनिया और डायरिया की रोकथाम और नियंत्रण के लिए एकीकृत वैश्विक कार्य योजना (GAPPD) पर आधारित है.
सेल्फ-केयर प्रोग्राम का मकसद
सेल्फ-केयर प्रोग्राम की रणनीति चार उद्देश्यों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है, जिनमें कवरेज, गुणवत्ता और सुरक्षा शामिल हैं. यह कार्यक्रम गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान के ग्रामीण और आदिवासी समुदायों की महिलाओं और बच्चों के मानसिक और शारीरिक कल्याण पर केंद्रित है.
यह कार्यक्रम एनीमिया, कुपोषण जैसे मुद्दों से निपटने में मदद करेगा और महिलाओं और बच्चों के बीच प्रसवपूर्व जांच, जन्म के समय अंतर और योग को बढ़ावा देगा. इसके अलावा, इसका उद्देश्य संक्रामक बीमारियों के खतरे को कम करने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए नई माताओं को स्वच्छता और स्वास्थ्य के बारे में शिक्षित करना और सलाह देना है.
इसे भी पढ़ें: अब ‘खुशी बेबी’ ऐप के साथ बस एक क्लिक दूर है हेल्थकेयर
इस कार्यक्रम के तहत, रेकिट (Reckitt) और PLAN इंडिया ने एक ‘सेल्फ-केयर किट’ लॉन्च की, जो महिलाओं और बच्चों के लिए आवश्यक चीजों से भरी है.
किट में माताओं और बच्चों के लिए शामिल चीजों पर एक नजर:
- किट में प्रसवपूर्व देखभाल और जन्म के समय कम वजन और महिलाओं में एनीमिया के खतरे को कम करने के लिए आयरन, विटामिन C और फोलिक एसिड की टेबलेट जैसे सप्लीमेंट हैं.
- इसमें स्वच्छता प्रथाओं यानी हाइजीन प्रैक्टिस को बढ़ावा देने और संक्रमण फैलने के खतरे को कम करने के लिए डेटॉल सैनिटाइजर, लिक्विड सोप (साबुन) और बार सोप दिए गए हैं.
- किट में महिलाओं और बच्चों के श्वसन स्राव (Respiratory secretions) सहित खून और शरीर के तरल पदार्थों से हाथों की सुरक्षा के लिए दस्ताने शामिल हैं.
- बच्चों के लिए किट में जिंक सप्लीमेंट और ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ORS) पाउच की स्ट्रिप्स हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अच्छी तरह से हाइड्रेटेड हैं यानी उनके शरीर में पानी की कमी नहीं है. सेल्फ केयर किट में एक बेबी ब्लैंकेट (Baby blanket) भी दिया गया है.
- बच्चे के खून में ऑक्सीजन मॉनिटर करने और बच्चे के तापमान पर नजर रखने के लिए एक थर्मामीटर और एक पल्स ऑक्सीमीटर भी किट में दिया गया है.
इसे भी पढ़ें: भारत के ग्रामीण स्वास्थ्य वर्कर हेल्थकेयर सिस्टम के लिए क्यों इतने अहम हैं? जानें कारण
सेल्फ-केयर प्रोग्राम के बारे में बात करते हुए, रेकिट, SOA के एक्सटर्नल अफेयर्स एंड पार्टनरशिप्स, डायरेक्टर रवि भटनागर ने कहा,
रेकिट का मिशन सेल्फ-केयर को लेकर जागरूकता बढ़ाना, नई माताओं को सशक्त बनाना, स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना, सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करना और छोटे बच्चों की प्रमुख बीमारियों को एड्रेस करना है. और हम इसे सेल्फ-केयर किट जैसे कई इनिशिएटिव के जरिए कर रहे हैं.
प्लान इंडिया की पार्टी प्रमुख डॉ. कोमल गोस्वामी ने कहा,
महिलाएं अपने परिवार के स्वास्थ्य और स्वच्छता पर तो ध्यान देती हैं, लेकिन खुद की देखभाल पर ध्यान नहीं. इसलिए यह जरूरी है कि हम अपना फोकस उन्हें सेल्फ-केयर के बारे में जागरूक करने पर करें. और सेल्फ-केयर किट का यही काम है.
इसे भी पढ़ें: झारखंड के एक गांव में इस 28 वर्षीय आशा वर्कर के लिए माताओं और बच्चों की सेहत है प्राथमिकता