नई दिल्ली: अमेरिकी दौरे पर गए पीएम नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 के मौके पर देश की जनता के नाम संदेश दिया. पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जनता को संबोधित किया. इस संबोधन में पीएम मोदी ने योग दिवस की बधाई तो दी ही, साथ ही ये भी बताया कि क्यों वो व्यक्तिगत मौजूद रहकर वे सबके साथ योग नहीं कर सके. जबकि इससे पहले हर साल उन्होंने सबके साथ योग किया है. अपनी प्रतिबद्धताओं के चलते पीएम नरेंद्र मोदी वर्तमान में अमेरिका के दौरे पर हैं. वो यहीं पर रहते हुए अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2023 का हिस्सा बनेंगे. संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में भारतीय समयानुसार शाम 05.30 बजे होने वाले योग कार्यक्रम में वो हिस्सा लेंगे.
भारत के आह्वान पर 180 से अधिक देशों का एक साथ आना ऐतिहासिक और अभूतपूर्व है.
Sharing my message on International Day of Yoga. https://t.co/4tGLQ7Jolo
— Narendra Modi (@narendramodi) June 21, 2023
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने साल 2014 में योग दिवस मनाने के प्रस्ताव रखे जाने के समय को भी याद किया. इस साल योग दिवस को लेकर कई देशों ने यूएन जनरल एसेंबली में इस दिन को मनाने का समर्थन किया था. उन्होंने कहा,
तब से, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के माध्यम से योग एक वैश्विक आंदोलन और एक वैश्विक भावना बन गया है.
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इस साल योग दिवस के समारोह में ओशन रिंग ऑफ योग का भी अनोखा प्रेजेंटेशन दिया गया. जहां भारतीय नौसेना के जहाज दुनियाभर के नौ अलग अलग बंदरगाहों पर तैनात हैं. जिन्होंने मित्र देशों के साथ कॉमन योग प्रोटोकॉल में हिस्सा लिया.
.@indiannavy– Ocean Ring of Yoga International Day of Yoga (IDY 23)
In support of the IDY-23 initiative, Indian Navy ships deployed in the Indian Ocean Region are visiting various ports of friendly foreign countries & spreading the message of #VasudhaivaKutumbakam which is also… pic.twitter.com/cx4ygMdYtF
— PIB India (@PIB_India) June 20, 2023
ओशन रिंग ऑफ योग के प्रदर्शन के चलते विश्व योग दिवस और भी खास बन गया. इस दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ये योग के विचार और सागर के विस्तार के परस्पर संबंध को दर्शाता है. उन्होंने बताया कि
जल स्रोतों का इस्तेमाल करते हुए सेना के जवानों ने इस मौके पर ‘योग भारतमाला’ और ‘योग सागर माला’ भी बनाई है. इसी तरह भारत के दो रिसर्च बेस आर्कटिक और अंटार्कटिक, जो दो ध्रुव भी हैं, वो योग के माध्यम से जुड़ रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि दुनियाभर से करोड़ों लोगों का योग के इस अद्भुत समारोह से जुड़ना योग की गहराई और विस्तार को दर्शाता है.
संतों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “जो हम सबको एकुजट करता है वो योग है”. इसके आगे उन्होंने कहा कि योग का इस तरह प्रचार होना इस बात का संकेत है कि पूरी दुनिया एक परिवार के रूप में एक साथ है. ये वसुधैव कुटुंबकम की भावना को भी आगे बढ़ा रहा है. उन्होंने कहा कि
इससे से प्रेरित होकर इस बार जी-20 शिखर सम्मेलन का विषय भी ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ (‘One Earth, One Family, One Future’) रखा गया है. आज दुनियाभर में लोग एक साथ मिलकर ‘वसुधैव कुटुंबकम के लिए योग की थीम पर योग कर रहे हैं.
योग के संदर्भ में ग्रंथों में क्या लिखा गया है, इस पर भी पीएम मोदी ने प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि “योग से और व्यायाम से हमें स्वास्थ्य और लंबी उम्र के साथ ही शक्ति भी मिलती है”. बेहतर स्वास्थ्य के महत्व के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि योग से समाज भी स्वस्थ और ताकतवर बनता है. क्योंकि, समाज की सामूहिक ऊर्जा भी बढ़ जाती है. इससे लोगों के जीवन में भी बदलाव आ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि
बीते कुछ सालों में स्वच्छ भारत जैसे संकल्प से लेकर स्टार्ट अप इंडिया जैसे अभियान शुरु करना. आत्मनिर्भर भारत से लेकर सांस्कृतिक भारत बनाने तक. जिस तेज गति से काम होते हुए युवाओं और देश ने देखा है उसमें इसी ऊर्जा का योगदान है. आज देश की सोच तेजी से बदल रही है. जिसकी वजह से उनके जीवन में भी बदलाव आ रहा है.
पीएम मोदी ने ये भी कहा कि भारत की संस्कृति, सामाजिक संरचना और अध्यात्म ने हमेशा ही ऐसी सोच और परंपरा को आगे बढ़ाया है जो एकजुट करने वाली और लोगों को साथ लेकर चलने वाली है. भारत की विविधता के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि देश के लोगों ने नए विचारों को सुना, समझा और अपना कर उन्हें संरक्षित किया है. उन्होंने आगे कहा कि,
योग ऐसे भावनाओं को बल देता है जो विजन को बढ़ा कर हमें दूसरों से जोड़ता है. इसलिए योग के जरिए हमें अंतर्विरोध, बाधाओँ और प्रतिरोधों को खत्म करना चाहिए. इनकी जगह हमें एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना को पूरी दुनिया के सामने मिसाल बनाकर पेश करना चाहिए.
अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने एक श्लोक भी पढ़ा और उसका अर्थ बताया कि कार्य में कौशल लाना ही योग है.
जिन्हें योग की सिद्धि मिल जाती है वो हमेशा सच्चे मन से अपने कर्तव्य में जुटे रहते हैं. योग ही हमें निष्काम कर्म की पहचान कराता है और कर्म से कर्म योग तक की यात्रा के लिए प्रेरित करता है.
उन्होंने ये विश्वास भी जताया कि योग से सभी अपनी सेहत में सुधार करेंगे और इसका संकल्प भी लेंगे.
हमारा बल और मानसिक विस्तार ही भारत के विकास का आधार बनेगा.