नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट जिसका टाइटल ‘प्रोटेक्ट द प्रॉमिस’ है, को आज (18 अक्टूबर) जारी किया गया, जिसमें COVID-19 महामारी, हाल के दिनों में जलवायु परिवर्तन के इफेक्ट के कारण विश्व स्तर पर बच्चों, महिलाओं और युवाओं के स्वास्थ्य पर पड़ रहे विनाशकारी प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है. इस रिपोर्ट में हाइलाइट किए गए डाटा चाइल्ड वेलबिंग के हर प्रमुख उपाय और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के कई मैंन इंडिकेटर में एक महत्वपूर्ण रिग्रेशन दिखाते हैं. यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि 2020 में पब्लिशड एवरी वूमेन एवरी चाइल्ड प्रोग्रेस रिपोर्ट के बाद से, खाद्य असुरक्षा, हंगर, बाल विवाह, इंटीमेट पार्टनर वॉयलेंस रिस्क, डिप्रेशन और एंग्जाइटी सभी बढ़ गए हैं.
पेश हैं संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण अंश:
- यह अनुमान लगाया गया है कि 2021 में लगभग 25 मिलियन बच्चों का वैक्सीनेशन हुआ था, जो कि 2019 की तुलना में 6 मिलियन अधिक हैं, यह बताता है कि बच्चों में घातक और दुर्बल करने वाली बीमारियों के होने का खतरा बढ़ रहा है.
- रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि महामारी के दौरान लाखों बच्चे एक वर्ष से अधिक समय तक स्कूल नहीं गए, जबकि 104 देशों और क्षेत्रों में लगभग 80 प्रतिशत बच्चे स्कूल बंद होने के कारण कुछ नया सीख नहीं पाए.
- पर्सनल लॉस के संदर्भ में, जिसका बच्चों की भलाई और समग्र विकास पर बड़ा प्रभाव पड़ा, रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक महामारी की शुरुआत के बाद से, लगभग 10.5 मिलियन बच्चों ने अपने माता-पिता या केयर टेकर को COVID-19 के कारण खो दिया.
- रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में 45 मिलियन से अधिक बच्चों में तीव्र कुपोषण था, यह एक ऐसी स्थिति है जो उन्हें मृत्यु, विकासात्मक देरी और बीमारी के प्रति सेंसिटिव बनाती है. इसके अलावा, 2020 में एक चौंका देने वाली बात सामने आई कि 149 मिलियन बच्चे अविकसित थे. असमानताओं को उजागर करते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से तीन-चौथाई बच्चे निम्न-मध्यम आय वाले देशों से थे.
- रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां पिछले 20 सालों में स्टंटिंग से प्रभावित बच्चों की संख्या 2000 में 54.4 मिलियन से बढ़कर 2020 में 61.4 मिलियन हो गई है.
- दुनिया भर में हो रहे टकराव के प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि लाखों बच्चे और उनके परिवार हाल की ह्यूमन डिजास्टर्स से खराब शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को झेल रहे हैं. 2021 में, दुनिया भर में रिकॉर्ड 89.3 मिलियन लोगों को युद्ध, हिंसा, उत्पीड़न और मानवाधिकारों के दुरुपयोग से उनके घरों से निकाल दिया गया था.
- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उप-सहारा अफ्रीका में एक महिला को यूरोप या उत्तरी अमेरिका में एक महिला की तुलना में गर्भावस्था या डिलीवरी से संबंधित कारणों से मरने का लगभग 130 गुना अधिक जोखिम है. डिलीवरी के बाद केयर, स्किल्ड बर्थ अटेंडेंस, और डिलीवरी के बाद केयर तक निम्न और मध्यम आय वाले देशों की सभी महिलाओं की पहुंच नहीं है, जिससे उन्हें मृत्यु और दिव्यांगता का खतरा बढ़ जाता है.
एक्सपर्ट की राय
रिपोर्ट के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा,
हम वैश्विक संकटों COVID-19 महामारी से लेकर टकराव और जलवायु आपातकाल की जड़ में व्याप्त असमानताओं को दूर करने में विफल रहे हैं. रिपोर्ट में इन संकटों का महिलाओं, बच्चों और किशोरों पर मातृ मृत्यु दर से लेकर शिक्षा के नुकसान और कुपोषण तक के प्रभावों के बारे में बताया गया है.
उन्होंने आगे कहा कि यह रिपोर्ट इस बात का सबूत है कि बच्चों और किशोरों को एक हेल्दी लाइफ जीने की बेतहाशा अलग-अलग संभावनाओं का सामना करना पड़ता है, जहां वे पैदा होते हैं, टकराव झेलते हैं, और उनके परिवारों की आर्थिक परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं.
यूनिसेफ की कार्यकारी कैथरीन रसेल कहती हैं,
COVID-19 के प्रभावों, टकरावों और जलवायु संकटों ने कमजोर समुदायों के लिए जोखिम पैदा किया है, हेल्थ केयर प्रणालियों में कमजोरियों और असमानताओं का खुलासा किया है और महिलाओं, बच्चों और किशोरों के लिए कड़ी मेहनत से हासिल की गई प्रगति को उलट कर रख दिया है. प्राइमरी हेल्थ केयर सिस्टम में इंवेस्ट करके, नियमित टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करके, और स्वास्थ्य कार्यबल को मजबूत करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर महिला और हर बच्चा उस देखभाल तक पहुंच सके, जिसकी उन्हें जीवित रहने और विकास करने के लिए आवश्यकता है.
एवरी वूमेन एवरी चाइल्ड प्रोग्रेस के ग्लोबल एडवोकेट और एस्टोनिया गणराज्य के राष्ट्रपति (2016-2021)कर्स्टी कलजुलैद कहते हैं,
असमानता का संकट मंडरा रहा है. ऐसी दुनिया में जहां बहुत सारे बच्चे, किशोर और महिलाएं मर रही हैं, हमें समानता, सशक्तिकरण और पहुंच पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.