नई दिल्ली: दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (World Mental Health Day) मनाया जाता है. इस साल वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे को “मानसिक स्वास्थ्य एक यूनिवर्सल मानव अधिकार है (Mental Health Is A Universal Human Right)” थीम के साथ मनाया गया.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है,
मानसिक स्वास्थ्य सभी लोगों के लिए एक बुनियादी मानव अधिकार है. हर किसी के लिए, चाहे वह कोई भी हो और कहीं भी हो उसे बेहतर मेंटल हेल्थ पाने का अधिकार है. इसमें मानसिक स्वास्थ्य के खतरों से बचने का अधिकार, उपलब्ध, सुलभ, स्वीकार्य और अच्छी क्वालिटी वाली देखभाल का अधिकार, और आजादी और समुदाय (कम्युनिटी) में शामिल होने का अधिकार शामिल है.
बनेगा स्वस्थ इंडिया वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे स्पेशल पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज (NIMHANS) में मनोचिकित्सा (Psychiatry) की निदेशक और सीनियर प्रोफेसर डॉ. प्रतिमा मूर्ति ने कहा, “मानसिक स्वास्थ्य का मतलब केवल मानसिक बीमारी या डिसऑर्डर न होना ही नहीं है. अच्छे शारीरिक स्वास्थ्य की तरह, हमें अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के बारे में भी खुलकर बात करनी चाहिए.”
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भारत में मानसिक स्वास्थ्य
- WHO का अनुमान है कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की हिस्सेदारी प्रति 10,000 जनसंख्या पर 2,443 विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (Disability-adjusted life years – DALY) है. किसी बीमारी या स्वास्थ्य स्थिति के लिए DALY समय से पहले मृत्यु के कारण खोए गए जीवन के सालों (Years of life lost -YLL) और किसी बीमारी या स्वास्थ्य स्थिति की वजह से कितने साल विकलांगता के साथ जीना पड़ा (Years lived with a disability -YLD) उसका योग (Sum) है.
- प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर आयु-समायोजित आत्महत्या (Age-adjusted suicide) की दर 21.1 है.
- 2012-2030 के दरम्यान मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण 1.03 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है.
- 2017 में भारत में 19.73 करोड़ लोगों को मेंटल डिसऑर्डर की समस्या थी, जिनमें 4.57 करोड़ डिप्रेसिव डिसऑर्डर (Depressive disorders) और 4.49 करोड़ एनजाइटी डिसऑर्डर (Anxiety disorders) से पीड़ित थे. यह आंकड़े 2019 की द लैंसेट की रिपोर्ट – “द बर्डन ऑफ मेंटल डिसऑर्डर्स एक्रॉस द स्टेट्स ऑफ इंडिया : द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज स्टडी 1990–2017 (The burden of mental disorders across the states of India: the Global Burden of Disease Study 1990–2017)” के मुताबिक दिए गए हैं.
- भारत में कुल DALY में मेंटल डिसऑर्डर यानी मानसिक विकारों का योगदान 1990 में 2.5 प्रतिशत से बढ़कर 2017 में 4.7 प्रतिशत हो गया.
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नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम
2022-23 के अपने बजट भाषण में फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर COVID-19 महामारी के प्रभाव का संज्ञान लेते हुए कहा,
इस महामारी ने सभी उम्र के लोगों में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा दिया है. मेंटल हेल्थ काउंसलिंग और देखभाल सेवाओं (Care services) तक लोगों की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए एक नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम शुरू किया जाएगा.
A National Tele-mental health programme will be launched.
This will include a network of 23 tele-mental health centres of excellence with NIMHANS being a nodal centre & IIIT Banglore providing technology support: FM @NSitharaman Ji#AatmanirbharBharatKaBudget
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) February 1, 2022
इसके तहत केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंस एंड नेटवर्किंग अक्रॉस स्टेट्स (Tele Mental Health Assistance and Networking Across States -Tele-MANAS) पहल 10 अक्टूबर, 2022 को शुरू की गई थी. Tele-MANAS का लक्ष्य पूरे देश में चौबीसों घंटे मुफ्त टेली-मेंटल हेल्थ सर्विसेज प्रदान करना है, खास तौर से दूरदराज के या ऐसे क्षेत्रों में जहां सेवाओं का अभाव है. इस प्रोग्राम में 23 टेली-मेंटल हेल्थ सेंटर का एक नेटवर्क शामिल है, जिसमें NIMHANS नोडल सेंटर है.
देश भर में 24/7 टोल-फ्री नंबर – 14416 शुरू किया गया है, जिस पर कॉल करके अपनी पसंद की भाषा का विकल्प भी चुन सकते है. यह सेवा 1-800-91-4416 पर भी उपलब्ध है.
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल अक्टूबर में इस सर्विस के लॉन्च होने के बाद से टेली-मानस (Tele-MANAS) को 3.4 लाख कॉल रिसीव हुए हैं, जिनमें से हर चार में से तीन कॉलर 18-45 आयु वर्ग के थे.
Tele-MANAS प्रोग्राम टू-टियर सिस्टम या कहें दो स्तरीय प्रणाली में आयोजित किया जाता है: टियर 1 में स्टेट टेली-मानस सेल होते हैं जिनमें ट्रेंड काउंसलर और मेंटल हेल्थ स्पेशलिस्ट शामिल होते हैं. वर्तमान में 44 टेली मानस सेल (Tele-MANAS cells) काम कर रहे हैं.
टियर 2 में फिजिकल कंसल्टेशन यानी शारीरिक परामर्श के लिए डिस्ट्रिक्ट मेंटल हेल्थ प्रोग्राम (DMHP)/मेडिकल कॉलेज रिसोर्सेज और/या ऑडियो विजुअल कंसल्टेशन के लिए ई-संजीवनी के एक्सपर्ट शामिल होते हैं.
यह देश के नागरिकों की मानसिक स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी जरूरतों को पूरा करने के लिए कई सरकारी पहलों में से एक है. इसके जरिए सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर और मेनपावर में जो गैप है उसे भरने की एक कोशिश है. WHO का कहना है कि भारत में (प्रति 100,000 जनसंख्या पर) मनोचिकित्सक (0.3), नर्स (0.12), मनोवैज्ञानिक (0.07) और सामाजिक कार्यकर्ता (0.07) हैं, जबकि जितने की जरूरत है वो संख्या प्रति 100,000 जनसंख्या पर 3 मनोचिकित्सकों और मनोवैज्ञानिकों से ज्यादा की है.
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डिस्क्लेमर: यह कॉन्टेंट सलाह के साथ केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है. यह किसी भी तरह से क्वालिफाइड मेडिकल ओपिनियन नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें. NDTV इस जानकारी के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है.