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ब्लॉग: भारत में युवाओं के बीच बढ़ रहा है डिप्रेशन

विलग्रो (Villgro) के हेल्थकेयर, सेक्टर लीड डॉ. रोशन येडेरी (Dr Roshan Yedery) लिखते हैं कि भारत में 10-19 साल की उम्र के 25 करोड़ से ज्यादा किशोर कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसमें अवसाद यानी डिप्रेशन एक गंभीर चिंता के तौर पर उभर रहा है

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ब्लॉग: भारत में युवाओं के बीच शांति से बढ़ रही डिप्रेशन महामारी का हुआ पर्दाफाश
डिप्रेशन एक कॉमन मेंटल डिसऑर्डर या कहे एक सामान्य मानसिक विकार है. WHO के मुताबिक दुनियाभर में करीब 5% वयस्क डिप्रेशन से जूझ रहे हैं

नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, साल 2019 एक ग्लोबल मेंटल हेल्थ क्राइसिस के तौर पर मार्क किया गया, जिससे दुनिया भर में 14 प्रतिशत किशोरों सहित लगभग एक अरब व्यक्ति प्रभावित हुए. खास तौर से बचपन में यौन शोषण और डराने-धमकाने को डिप्रेशन में योगदान देने के लिए प्रमुख तौर पर जिम्मेदार माना गया था. इसके अलावा सामाजिक असमानताओं, सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट, संघर्ष और जलवायु संकट जैसी गंभीर वैश्विक चुनौतियां भी मानसिक कल्याण (Mental well-being) के लिए खतरा पैदा करती हैं.

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भारत में 10-19 साल की उम्र के 25 करोड़ से ज्यादा किशोर कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, जिसमें अवसाद यानी डिप्रेशन एक गंभीर चिंता के तौर पर उभर रहा है. 20 में से एक भारतीय डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहा है और लगभग 15 प्रतिशत भारतीय वयस्कों को एक या उससे ज्यादा मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए उचित कार्रवाई की जरूरत है. 2012 में यह अनुमान लगाया गया था कि भारत में 2,58,000 से ज्यादा आत्महत्याएं की गई, जिनसे 15-49 साल का आयु वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ. यानी सबसे ज्यादा आत्महत्या 15-49 साल की उम्र के लोगों ने की थीं.

आत्महत्याओं की यह दर परिवारों को भावनात्मक और आर्थिक रूप से कमजोर कर देती है, क्योंकि इसके चलते वे परिवार की इनकम का एक जरिया खो देते हैं. इसका असर सरकार पर भी आर्थिक तौर पर पड़ता है क्योंकि उसे मुआवजा देना पड़ता है. युवा भारतीयों में डिप्रेशन की मूल वजह यानी उसकी जड़ को समझना और युवाओं को आवश्यक देखभाल प्रदान करना बेहद जरूरी है. हालांकि योग्य चिकित्सकों की कमी, परिवारों के भीतर प्राइवेसी न मिलना, इलाज तक सीमित पहुंच और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को लेकर समाज में फैले गलत नजरिए जैसी कई रुकावटें इस समस्या से निपटने में बाधा पैदा करती हैं. इस पर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति ने इस साल अगस्त में ‘समसामयिक समय में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल और इसका प्रबंधन’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की जो लोगों में जागरूकता बढ़ाने और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुंच पर जोर देती है और देश में मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स की कमी की ओर भी इशारा करती है.

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युवा वयस्कों में मानसिक स्वास्थ्य विकारों यानी मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर में चिंताजनक वृद्धि से शीघ्रता से निपटने के लिए, भारत सरकार ने सक्रिय कदम उठाए और 10 अक्टूबर 2022 को राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Tele Mental Health program) शुरू किया. सरकार इसके जरिए पूरे देश में सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना चाहती है. इस कार्यक्रम के तहत 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 42 सक्रिय टेली मानस केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो 20 भाषाओं में हर दिन 1,300 से ज्यादा कॉल को मैनेज करते हैं. यह पहल मानसिक कल्याण को मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल में शामिल करने और सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में सुधार करने के लिए शुरू की गई है. इसके जरिए देश के सबसे दूर-दराज हिस्से में भी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को चौबीसों घंटे उपलब्ध कराया जा रहा है.

सरकार अपने नागरिकों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Mental Health Programme – NMHP) और राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Adolescent Health Program) सहित कई अन्य राष्ट्रीय नीतियां और कार्यक्रम भी चला रही है.

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (NMHP) में लाइफ-स्किल ट्रेनिंग, एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में काउंसलिंग, वर्कप्लेस स्ट्रेस मैनेजमेंट, आत्महत्या की रोकथाम जैसे कई सारे एलिमेंट शामिल हैं. जबकि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (National Adolescent Health Program) युवाओं की यूनीक मेंटल हेल्थ से जुड़ी जरूरतों को एड्रेस करने के लिए तैयार किया गया है. इसके लक्ष्यों में सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना, मानसिक समस्याओं का शीघ्र पता लगाना और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए समय पर ध्यान देना शामिल है.

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भारत के उभरते स्टार्टअप इकोसिस्टम में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को एड्रेस करने की भी अपार संभावनाएं मौजूद हैं, जो युवा वयस्कों को काफी हद तक प्रभावित करते हैं. पिछले कुछ सालों में, मेंटल हेल्थ केयर और सपोर्ट के क्षेत्र में इनोवेटिव सॉल्यूशन के लिए कई डेडिकेटेड स्टार्टअप सामने आए हैं. इवॉल्व (Evolve) नाम का एक हेल्थ-टेक स्टार्टअप है जो यूजर्स की मेंटल हेल्थ को बेहतर करने के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy- CBT) के सिद्धांतों पर आधारित इंटरैक्टिव कंटेंट पेश करने वाला एक सिक्योर वर्चुअल एनवायरमेंट प्रोवाइड करता है. वहीं Iwill और Wysa जैसे स्टार्टअप मेंटल हेल्थ मैनेजमेंट में मदद करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस-बेस्ड चैटबॉट का इस्तेमाल करते हैं. Wysa, एविडेंस-बेस्ड कॉग्निटिव एंड बिहेवियरल टेकनीक (Cognitive and behavioural techniques) का इस्तेमाल करके यूजर्स की वेल-बीइंग को प्रमोट करने के लिए स्मॉल एक्शन के जरिए उन्हें गाइड करता है. एक और स्टार्टअप YourDOST, अपने यूजर्स को एक यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस और 1000 से ज्यादा वेलनेस एक्सपर्ट तक पहुंच प्रदान करता है, जो उन्हें बिना किसी जजमेंट के अपनी बात कहने के लिए एक कॉन्फिडेंशियल स्पेस देता है. यह लोगों को गाइडेंस और सपोर्ट देने के लिए 24/7 ऑपरेट करता है.

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ऐसे स्टार्टअप्स को कॉम्प्लेक्स बिजनेस से निपटने, फाइनेंस से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने और बड़े पैमाने पर प्रभाव पैदा करने में मदद करने के लिए, यश एंटरप्रेन्योर्स प्रोग्राम जैसे इनिशिएटिव महत्वपूर्ण सपोर्ट प्रोवाइड करते हैं. यश एंटरप्रेन्योर्स प्रोग्राम, यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के मोमेंटम प्रोजेक्ट के माध्यम से सिलेक्टेड स्टार्टअप को फंडिंग, अनुभवी बिजनेस प्रोफेशनल्स से गाइडेंस और विलग्रो (Villgro) के माध्यम से स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप प्रोवाइड करता है. यश एंटरप्रेन्योर्स प्रोग्राम USAID द्वारा चलाया जाता है. यह इनिशिएटिव उन भारतीय स्टार्टअप की मदद करता है जिन्होंने अपने लक्ष्यों को पूरा किया और एक मुकाम हासिल किया है.

इस तरह के प्लेटफॉर्म न केवल मेंटल वेलनेस के मैनेजमेंट को सशक्त बनाते हैं बल्कि मेंटल हेल्थ से जुड़ी समाज में फैली गलत मान्यताओं और बाधाओं को तोड़ने में भी अहम भूमिका निभाते हैं.

आज की तारीख में भारत के युवा वयस्कों के लिए डिप्रेशन एक बड़ी चुनौती के तौर पर उभरा है. इसके बावजूद सार्वजनिक जागरूकता, सुलभ स्वास्थ्य देखभाल और सक्रिय कार्रवाई के माध्यम से आने वाले समय में बेहतर मानसिक कल्याण को लेकर सकारात्मक नजरिया बना हुआ है. सरकार और सिविल सोसायटी के लिए यह जरूरी है कि वे इस महत्वपूर्ण मुद्दे के समाधान में अपने सहयोगात्मक प्रयासों को जारी रखें, जिससे डिप्रेशन से जूझ रहे लोगों के लिए एक सपोर्टिव एनवायरमेंट तैयार हो सके. हम सब साथ मिलकर भारत के युवा वयस्कों के लिए एक उज्जवल, भावनात्मक रूप से बेहतर भविष्य बना सकते हैं.

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डिस्क्लेमर: यह कॉन्टेंट सलाह के साथ केवल सामान्य जानकारी प्रदान करता है. यह किसी भी तरह से क्वालिफाइड मेडिकल ओपिनियन नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से सलाह लें. NDTV इस जानकारी के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है.

(यह लेख विलग्रो (Villgro) के हेल्थकेयर, सेक्टर लीड डॉ. रोशन येडेरी के द्वारा लिखा गया है.)

डिस्क्लेमर: ये लेखक की निजी राय है.

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