नई दिल्ली: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के आंकड़ों के अनुसार, भारत के कुल COVID-19 मामले अब 3.73 करोड़ हैं, जिसमें ओमिक्रॉन वेरिएंट के 8,209 मामले शामिल हैं जो मौजूदा समय में 29 राज्यों में फैला हुआ है. अधिकारियों के अनुसार, भारत के कोविड कर्व में 17 जनवरी तक मामूली सुधार हुआ था, जिसमें देश में 2.58 लाख मामले दर्ज किए गए, जो कल (16 जनवरी) की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत कम हैं.
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देश में रोज़ाना के आधार पर कोविड मामलों में जिस तरह की वृद्धि हो रही है, संभावित तीसरी लहर का सुझाव देते हुए, सोशल मीडिया पर बहस चल रही है कि ओमीक्रोन को हल्की सर्दी मानना चाहिए या नहीं. वहीं बीते कुछ दिनों में, विशेषज्ञों ने बताया है कि ओमिक्रॉन के लक्षण कहीं अधिक गंभीर हैं और अब जब देश में नए वेरिएंट आ रहे हैं, ऑक्सीजन बेड की मांग बढ़ गई है. इस पूरी परिस्थिति को समझने के लिए एनडीटीवी ने टॉप डॉक्टर्स से बात की, जानिए डॉक्टर्स ने क्या कहा:
कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख डॉ वीके पॉल ने कहा,
ओमीक्रोन एक सामान्य सर्दी की तरह नहीं है, लेकिन हम इस ग़लतफ़हमी को फैलते हुए देख रहे हैं, इसे धीमा करना हमारी ज़िम्मेदारी है. इसलिए मास्क पहनें और कोविड रोधी वैक्सीन लगवाएं.
वहीं, जसलोक अस्पताल, मुंबई के चिकित्सा अनुसंधान के निदेशक डॉ. राजेश पारिख ने कहा कि ओमिक्रॉन वायरस को सामान्य सर्दी-जुकाम मानने की गलती बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा,
यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों को चेतावनी दी है कि इसे आम सर्दी के रूप में नहीं माना जाना चाहिए और अगर आप दो वायरसों के बीच के साक्ष्य को देखते हैं, एक ओमिक्रॉन है और एक सामान्य सर्दी, तो ओवरलैपिंग का केवल 1 बिंदु है.
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ओमिक्रॉन वायरस के लक्षणों को उजागर करते हुए जिसे आम सर्दी माना जा रहा है, मैक्स अस्पताल के एंडोक्रिनोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. अंबरीश मिथाल ने कहा,
ओमिक्रॉन एक सामान्य सर्दी की तरह है. यह सामान्य ज़ुकाम की तरह शुरू हो सकता है और कुछ रोगियों को सामान्य सर्दी जैसे अनुभव करा सकता है, लेकिन कई रोगियों में इस तरह के लक्षण नहीं देखे जा रहे हैं. मरीजों को बुखार, तेज़ सिरदर्द, शरीर में दर्द होता है, उनमें से कुछ को गंभीर गले का दर्द भी होता है और कई लोग दो या तीन दिनों में ठीक नहीं होते हैं. इसमें कई लोगों को पूरी तरह से ठीक होने में पांच से छह दिनों का वक्त लगता है.
डाटा और राष्ट्रीय राजधानी संख्या के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा,
12 जनवरी तक, दिल्ली में 40 मौतें दर्ज हुईं. मरने वालों की संख्या कम हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि लोग वायरस के कारण मौत का शिकार नहीं हो रहे हैं. करीब 600 लोग आईसीयू में थे, इसलिए यह बड़ी बात है. वायरस की संक्रामकता ऐसी है कि यह बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित कर रहा है. यहां तक कि अगर उनमें से एक छोटी संख्या को आईसीयू केयर या ऑक्सीजन केयर की ज़रूरत पड़ रही है और मौतें भी हो रही हैं, तो ज़ाहिर सी बात है कि यह एक गंभीर मुद्दा है. हम वास्तविकता को अनदेखा नहीं कर सकते, लेकिन समय की मांग है कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए जो कुछ भी हो सकता है, हमें वो करना चाहिए.
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