नई दिल्ली: जाह्नबी गोस्वामी (Jahnabi Goswami) को बताया गया कि उसके पास जीने के लिए सिर्फ तीन महीने ही बचे हैं. लेकिन आज पच्चीस साल गुजर जाने बाद, वह न केवल जिंदा है बल्कि पूरी तरह से एक्टिव भी है! शादी के एक साल बाद जाह्नबी को पता चला कि उन्हें एड्स हो गया है. तब उनकी उम्र सिर्फ 18 साल थी. उनके पति की उसी साल इस बीमारी की वजह से मौत हो गई. हालांकि, इतना कुछ होने के बाद भी जाह्नबी ने हार नहीं मानी और उसने तय किया कि वो इस बीमारी से लड़ेगी. HIV एक्टिविस्ट जाह्नबी कहती है कि हर किसी की तरह मेरा भी रोज का रूटीन होता है. बस मुझे कुछ टेबलेट और कंट्रोल डाइट लेनी पड़ती है, बस इतना ही अंतर है.’
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चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी जाह्नबी की शादी सिर्फ 17 साल की छोटी सी उम्र में उनके ही जान पहचान के एक परिवार में कर दी गई थी. तब उन्होंने सिर्फ 10वीं की पढ़ाई पूरी की थी. उसकी जल्दी शादी कराने का निर्णय उसके चाचा का था. दरअसल जाह्नबी के पिता के निधन के बाद, उनके परिवार को काफी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा.
शादी के महज एक महीने बाद ही उनके पति की तबीयत अक्सर खराब रहने लगी. जाह्नबी तब प्रेग्नेंट हो गई थी. वह अपने पति को जांच के लिए गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ले गई, जहां उन्हें अपने पति के HIV + होने के बारे में पता चला. एक साल बाद जांच में जाह्नबी में भी एड्स डायग्नोज हुआ. उन्होंने कहा,
डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मेरे पास जीने के लिए केवल तीन महीने ही बचे हैं. ये पता चलने पर मैं बहुत डर गई थी. लेकिन इन्फेक्शन के बढ़ने के पहले से ही मुझे लगातार एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (Antiretroviral therapy – ART) दी जा रही थी. मैंने न केवल उन महीनों में सर्वाइव किया, बल्कि अगले 25 सालों तक जीवित रही और उसमें लगातार साल जुड़ते जा रहे हैं.
उनके पति की मौत होने के ठीक 13 दिन बाद, उन्हें उनकी एक साल की बच्ची कस्तूरी के साथ ससुराल वालों ने घर से बाहर निकाल दिया. नन्हीं सी कस्तूरी को भी अपने माता-पिता की वजह से ये घातक बीमारी हो गई और इस वजह से दो साल की उम्र में ही उसकी मौत हो गई. जाह्नबी ने कहा,
मेरी जिंदगी जैसे पूरी तरह से बिखर गई थी. मैं अपने घर वापस लौट आई और मेरी मां ऐसे मुश्किल वक्त में मेरा सबसे बड़ा सहारा बनीं.
उसकी मां ने उसमें अपनी इस बीमारी के बारे में बात करने का आत्मविश्वास जगाया, ताकि HIV से पीड़ित दूसरे लोगों की मदद हो सके और वो एक लंबा जीवन जी सकें. जाह्नबी की मां ने उन्हें आगे पढ़ने के लिए भी प्रेरित किया. मां की बात मानकर जाह्नबी ने अपनी आगे की पढ़ाई एक बार फिर से शुरू की.
साल 2000 में, जाह्नबी ने अपनी HIV पॉजिटिव कंडीशन को सार्वजनिक कर दिया और ऐसा करने वाली वह अपने राज्य की पहली व्यक्ति बनीं.
असम नेटवर्क ऑफ पॉजिटिव पीपल की स्थापना
असम में HIV/एड्स से पीड़ित सभी लोगों को सहायता प्रदान करने के मकसद से, जाह्नबी ने एक कम्युनिटी बेस्ड ऑर्गनाइजेशन (Community Based Organisation – CBO) – असम नेटवर्क ऑफ पॉजिटिव पीपल (ANP+) की स्थापना की. शुरुआत में इस ऑर्गेनाइजेशन में केवल 5 मेंबर थे. इस ऑर्गेनाइजेशन को इंडियन नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विद HIV की मदद से खड़ा किया गया था.
यह ऑर्गनाइजेशन HIV/AIDS के बारे में कई जागरूकता कार्यक्रम चलाती है और लोगों को इस बीमारी के विभिन्न पहलुओं के बारे में शिक्षित करती है. साथ ही यह ऑर्गनाइजेशन HIV/AIDS से पीड़ित लोगों की काउंसलिंग और उन्हें फाइनेंशियल सपोर्ट भी देती है. आज यह ऑर्गनाइजेशन इतनी बड़ी हो गई है कि असम के विभिन्न जिलों में इसके 8,000 से ज्यादा मेंबर हैं. जाह्नबी ने कहा कि कई नेशनल और इंटरनेशनल फंडिंग एजेंसियों, मीडिया आउटलेट्स और लोगों ने इस ऑर्गनाइजेशन यानी संगठन की आर्थिक रूप से मदद की है.
इन सब कामों के बीच, जाह्नबी ने अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए राजनीति विज्ञान (Political Science) में स्नातक की डिग्री भी हासिल की.
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कस्तूरी चिल्ड्रन केयर होम की स्थापना
साल 2012 में, जाह्नबी ने HIV से संक्रमित अनाथ बच्चों के लिए गुवाहाटी से 6 मील दूर सूरज नगर में अपनी बेटी के नाम पर एक अनाथालय, ‘कस्तूरी चिल्ड्रन केयर होम’ की स्थापना की. इस अनाथालय (orphanage) को असम स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी (ASACS) फंड प्रोवाइड करती है.
असम नेटवर्क ऑफ पॉजिटिव पीपल (ANP+) HIV से पीड़ित बच्चों के अलावा, मादक द्रव्यों की लत के शिकार युवाओं और हेपेटाइटिस C से पीड़ित लोगों की भी मदद करती है.
नॉर्थ ईस्ट रीजन में HIV के मामलों की दर ज्यादा होने के पीछे वजह
पूर्वोत्तर राज्यों में HIV मामलों की उच्च दर की सबसे बड़ी वजह मादक द्रव्यों का सेवन है. जाह्नबी ने कहा,
ऐसा इसलिए है क्योंकि यह क्षेत्र हेरोइन प्रोडक्शन (Heroin production) के ‘गोल्डन ट्रायंगल’ के करीब है, जिसमें म्यांमार, थाईलैंड और लाओस शामिल हैं.
इस क्षेत्र में HIV के मामले बढ़ने के लिए नशीली दवाओं के अलावा असुरक्षित यौन संबंध भी एक बड़ी वजह है.
असम सरकार की पहल
44 साल की जाह्नबी ने कहा कि असम सरकार ने HIV के लिए कई इनिशिएटिव शुरू किए हैं, जैसे 1992 में एड्स कंट्रोल प्रोग्राम की स्थापना के अलावा प्रोजेक्ट सनराइज (इस क्षेत्र में नशीली दवाएं लेने वालों में एड्स के मामले रोकने के लिए एक पहल), HIV + लोगों के लिए ब्लड बैंकों से फ्री ब्लड देना और ART सेंटर्स तक ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा, HIV + पीड़ित के पति या पत्नी को 1 लाख रुपये तक की अनुग्रह राशि, और अहाना परियोजना की स्थापना (National Aids Control Organization – NACO के प्रोग्रामों को मजबूत करने की दिशा में काम करता है), जैसी कई दूसरी पहलें भी शामिल हैं.
सेक्स एजुकेशन की अहम भूमिका
जाह्नबी गोस्वामी ने इस क्षेत्र में HIV के प्रसार को कम करने के लिए यौन शिक्षा (Sex education) पर खास जोर दिया. वह कई HIV + बच्चों से मिली हैं, जिनकी ब्लड ट्रांसफ्यूजन (Blood transfusion) की कोई हिस्ट्री नहीं रही है और उनके माता-पिता में से कोई भी HIV + नहीं है. जाह्नबी ने कहा,
इस बात की संभावना है कि ये बच्चे यौन शोषण की वजह से इस बीमारी की गिरफ्त में आ गए हैं.
यौन शोषण के ऐसे कई मामलों ने जाह्नबी को स्कूलों में व्यापक यौन शिक्षा के महत्व पर जोर देने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा,
भारत में HIV के एक तिहाई से ज्यादा नए मामले 15-24 साल के आयु वर्ग में देखे जाते हैं. जब स्टूडेंट्स को यौन शिक्षा (Sex education) देने की बात आती है तो एजुकेशन सिस्टम इसे लेकर पूरी मुस्तैदी से तैयार नजर नहीं आता है. सेक्स और सेक्सुएलिटी को लेकर स्कूलों में खुलकर बातचीत नहीं होती है. जबकि यह बार-बार साबित हुआ है कि इस विषय पर खुलकर की गई बातचीत अनचाही गर्भावस्था (unwanted pregnancy) को रोकने में, STI (Sexually transmitted infection) और STD (Sexually transmitted diseases) के रिस्क को कम करने में मदद करती है और यौन शिक्षा से जुड़ी कुछ गलतफहमियों को भी दूर करती है.
2008 में, UNAIDS ने विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) पर जाह्नबी की कहानी शेयर की. ANP+ की स्थापना के अलावा, जाह्नबी इंडियन नेटवर्क फॉर पीपल लिविंग विद HIV की पहली महिला अध्यक्ष भी हैं.
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