NDTV-Dettol Banega Swasth Swachh India NDTV-Dettol Banega Swasth Swachh India

ताज़ातरीन ख़बरें

विचार: जीरो हंगर का सतत विकास का लक्ष्य और भारत की वर्तमान स्थिति

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में दुनिया में 720 से 811 मिलियन लोग भूखे रह गए

Read In English
विचार: जीरो हंगर का सतत विकास का लक्ष्य और भारत की वर्तमान स्थिति

भूख को समझना मुश्किल है. इसके कई अर्थ हैं- खाना खाने की इच्छा न करना, दो टाइम का खाना न खाना, प्रतिदिन की तय कैलोरी न लेना और खाद्य असुरक्षा की व्यक्तिपरक भावना. मेट्रिक्स के दृष्टिकोण से, शून्य भूख के सतत विकास लक्ष्य 2.1 को जानने के लिए अल्पपोषण (पीओयू) की व्यापकता का उपयोग किया जाता है. यह उस जनसंख्या के अनुपात का एक अनुमान है, जिन्‍हें सामान्य, सक्रिय और स्वस्थ जीवन देने के लिए आवश्यक आहार और ऊर्जा स्तर हेतु तय भोजन नहीं मिल पाता है. इसकी गणना कैसे की जाती है यह आसान नहीं है और इसके लिए विस्तृत स्पष्टीकरण की आवश्यकता होगी.

इसे भी पढ़ें : एक्सपर्ट ब्लॉग: फूड सिस्टम में ये 8 सुधार, जनजातीय आबादी को दिला सकते हैं भरपूर पोषण

विश्व में खाद्य सुरक्षा और पोषण की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में दुनिया में 720 से 811 मिलियन लोग भूखे रहे. आनुपातिक रूप से, जनसंख्या वृद्धि को पीछे छोड़ते हुए, विश्व स्तर पर लगभग 9.9 प्रतिशत लोगों के कुपोषित होने का अनुमान है, जो 2019 के 8.4 प्रतिशत से अधिक है. इसी तरह की वृद्धि भारत के लिए 14 प्रतिशत से 15.3 प्रतिशत तक हुई है.

खाद्य सुरक्षा जलवायु परिवर्तनशीलता, आर्थिक मंदी, संघर्ष, गरीबी और असमानता जैसे कारकों के एक जटिल वेब से प्रभावित होती है. ये खाद्य प्रणालियों और खाद्य वातावरण को प्रभावित करके कई प्रभाव पैदा करते हैं. यह हमारी खाद्य सुरक्षा – उपलब्धता, पहुंच, उपयोग और स्थिरता को प्रभावित करते हैं. इनका आहार की विशेषताओं मात्रा, गुणवत्ता, विविधता, सुरक्षा और पर्याप्तता, पोषण और स्वास्थ्य परिणाम पर भी असर होता है. COVID-19 महामारी और इसे रोकने के उपायों के कारण अभूतपूर्व आर्थिक मंदी आई है. हेल्‍दी डाइट की उच्च लागत के साथ-साथ आय असमानता के लगातार उच्च स्तर से स्वस्थ आहार की पहुंच से.खाद्य असुरक्षा के प्रसार में जेंडर गैप COVID-19 महामारी के दौर में और भी बड़ा हो गया है, 2019 में 6 प्रतिशत की तुलना में 2020 में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में मध्यम या गंभीर खाद्य असुरक्षा का प्रसार 10 प्रतिशत अधिक हो गया है. ये सभी 2030 तक जीरों हंगर टारगेट को पाने की चुनौती को बढ़ाते हैं. रिपोर्ट का अनुमान है कि एसडीजी गोल 2 (2030 तक जीरो हंगर) लगभग 660 मिलियन लोगों के अंतर से पूरा नहीं हो पाएगा. इन 660 मिलियन में से कुछ 30 मिलियन को महामारी के स्थायी प्रभावों से जोड़ा जा सकता है.

वर्तमान हालात को देखते हुए, खाद्य उपलब्धता, उत्पादन और आपूर्ति को बनाए रखने और आवश्यक सेवाओं के रूप में वर्गीकृत करने की गारंटी के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए. नकद और खाद्य हस्तांतरण, स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार योजनाओं जैसे सामाजिक सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिए सरकारों, डोनर्स और एनजीओ को मिलकर काम करना होगा.

सुरक्षित भूमि का अभाव और परिणामस्वरूप खाद्य असुरक्षा, ग्रामीण समुदायों के कमजोर वर्ग के बीच मुद्दे हैं. कृषि और पोषण पर औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा को स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप पर्याप्त रूप से तैयार करने की आवश्यकता है. दुनिया की 55 प्रतिशत आबादी किसी भी सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम से जुड़ी नहीं है. हमें गुणवत्ता के साथ इसके कवरेज में सुधार करने की जरूरत है.

हमें वर्तमान संकट के लिए एक एकीकृत प्रतिक्रिया तैयार करनी चाहिए और उन तरीकों से आगे बढ़ना चाहिए, जो वर्तमान खाद्य प्रणाली को अधिक समावेशी, टिकाऊ और लचीला बनाने में मदद करते हैं. स्वास्थ्य दृष्टिकोण, मनुष्यों, जानवरों, पौधों और उनके साझा पर्यावरण के बीच अंतर्संबंधों के साथ-साथ निष्पक्ष व्यापार संबंधों की भूमिका के आधार पर, एक स्वस्थ ग्रह को बहाल करने और भूख को समाप्त करने में मदद करेगा.

इसे भी पढ़ें : महामारी से सीख: मिलिए मध्य प्रदेश की कृष्णा मवासी से, जिनके किचन गार्डन ने उनके गांव को भुखमरी से बचाया

(इस लेख में व्यक्त विचार और राय व्यक्तिगत हैं और यह जरूरी नहीं कि वे संगठन की आधिकारिक स्थिति को दर्शाते हों)

डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं. लेख में प्रदर्शित तथ्य और राय एनडीटीवी के विचारों को नहीं दर्शाते हैं और एनडीटीवी इसके लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व नहीं लेता है.

This website follows the DNPA Code of Ethics

© Copyright NDTV Convergence Limited 2024. All rights reserved.