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राष्ट्रीय युवा दिवस: ग्रामीण लड़कियों के मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए काम कर रहे कश्मीर के चार युवा

एक गैर-लाभकारी युवा संगठन ZOON कश्मीर में ग्रामीण लड़कियों को मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता प्रबंधन और साफ-सफाई के बारे में शिक्षित करने की दिशा में काम कर रहा है

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राष्ट्रीय युवा दिवस: ग्रामीण लड़कियों के मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के लिए काम कर रहे कश्मीर के चार युवा
सहर की बातचीत जब कश्मीर के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाली लड़कियों के साथ हुई तब उन्हें मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में उनके ज्ञान में भारी कमी का पता चला.

नई दिल्ली: सहर मीर महज 16 साल की थीं, जब उन्होंने कश्मीर के पुलावामा जिले के ग्रामीण इलाकों में मासिक धर्म के बारे में कई नैतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक मान्यताओं, मिथकों और गलत सूचनाओं के बारे में जाना. इसके बारे में उन्हें उस समय पता चला जब वो अपने लिबरल आर्ट्स की आगे की पढ़ाई के लिए टॉप यूनिवर्सिटीज की आवेदन प्रक्रिया के लिए अपने प्रोजेक्ट अंदलेब-ए-फिरदौस (स्वर्ग की कोकिला) के लिए अक्टूबर 2021 में जमीनी शोध कर रहीं थीं. प्रोजेक्ट के तहत, सहर ने उन लड़कियों की संख्या का पता लगाने के लिए सर्वे किया जो मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में शिक्षित थीं और जिनकी पहुंच मासिक धर्म स्वच्छता उत्पादों तक थी.

सहर की बातचीत जब कश्मीर के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाली लड़कियों के साथ हुई तब उन्हें मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में उनके ज्ञान में भारी कमी का पता चला.

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जिन मामलों ने उन्हें झकझोर कर रख दिया उनमें से एक पुलवामा जिले के पंपोर क्षेत्र के एक छोटे से गांव चंधरा की 15 वर्षीय लड़की मुस्कान का था. मुस्कान को पिछले दो महीने से मासिक धर्म हो रहा था. किशोरी महीने भर से भी ज्यादा समय से पीरियड साइकिल का अनुभव कर रही थी और इसे बिल्कुल सामान्य मानती थी. सहर ने कहा,

यह उसके लिए सामान्य था क्योंकि उसके परिवार में या उसके दोस्तों के समूह में कोई नहीं था जो उसे बता सके कि मासिक धर्म औसतन छह दिनों तक चलता है. मैंने उसके परिवार को डॉक्टर से मिलने का सुझाव दिया और बाद में पता चला कि वह पीसीओडी (पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज) से पीड़ित थी. एक लड़की जो लगभग मेरी ही उम्र की थी और मासिक धर्म के बारे में ज्यादा नहीं जानती थी, इस एहसास ने वास्तव में मुझे अंदर तक प्रभावित किया.

एक पोर्टफोलियो बनाने के रूप में शुरू की गई यह एक्टिविटी, जल्द ही सहर के लिए एक जुनूनी प्रोजेक्ट में बदल गई, जब उसे कश्मीर के ग्रामीण हिस्सों में मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता शिक्षा की गंभीर स्थिति का उचित विचार प्राप्त हुआ.

अपने पिता मुरावत मीर की मदद से सहर ने 2022 में एक गैर-लाभकारी संगठन अंदलेब-ए-फिरदौस की स्थापना की, जिसे अब आमतौर पर ZOON के रूप में जाना जाता है. यह मिशन उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली और सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली लड़कियों के बीच मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए शुरू किया था.

एक टीम बनाने के लिए सहर ने एक Google फॉर्म डॉक्यूमेंट बनाया और इसे अपने संस्थान, दोस्तों और परिवार के बीच वितरित किया. उनके इस जुनून का असर हुआ और एक व्यक्ति से शुरू हुआ. यह मिशन जल्द ही 100 से अधिक स्वयंसेवकों की एक टीम के साथ-साथ तीन अन्य समान विचारधारा वाले किशोरों नूहा मलिक, कंटेंट हेड, फैज रफीक डिजिटल हेड और जून में स्वयंसेवक प्रमुख अहमद वानी की एक कोर टीम में बदल गया.

टीम गांवों और सरकारी स्कूलों में मासिक धर्म स्वास्थ्य जागरूकता सत्र आयोजित करती है, जिसमें वो मासिक धर्म प्रक्रिया, अनियमित मासिक धर्म या मासिक चक्र में देरी के कारणों, उपयोग किए जाने वाले मासिक धर्म प्रोडक्टों, पहली बार मासिक धर्म आने पर लड़कियों द्वारा अनुभव किए जाने वाले परिवर्तनों और इससे संबंधित मिथक व मासिक धर्म के दर्द को कम करने के लिए उपलब्ध दवाओं आदि पर चर्चा करती हैं.

टीम के साथ 1-2 स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी हैं, जिनके साथ वन-टू-वन सत्र आयोजित किए जाते हैं, जिसमें छात्रों को मासिक धर्म के संबंध में अपने संदेह को दूर करने का अवसर मिलता है. वे सरकारी स्कूलों को मासिक धर्म स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य विशेषज्ञों और स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराते हैं.

ZOON खुद और क्राउडफंडिंग के जरिए सैनिटरी पैड खरीदता है और इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों और लड़कियों के बीच वितरित करता है.

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गांवों के अलावा सरकारी स्कूलों को टारगेट करने की योजना के बारे में बात करते हुए ZOON की कंटेंट हेड नुहा मलिक ने कहा,

यह एक दुखद स्थिति है कि स्कूलों में लड़कियों को मासिक धर्म के बारे में ठीक से नहीं सिखाया जाता है. शिक्षक उन्हें बुनियादी ज्ञान नहीं दे रहे हैं. लेकिन ऐसे कई स्कूल हैं जहां हमने दौरा किया, जहां के प्रधानाध्यापक चाहते थे कि हम न केवल लड़कियों को मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में पढ़ाएं, बल्कि लड़कों और लड़कियों को यौन शिक्षा के बारे में भी शिक्षित करें, लेकिन हमने अभी तक इस विषय पर चर्चा नहीं की है.

ZOON टीम की पहुंच कश्मीर क्षेत्र के चार जिलों – बारामूला, अनंतनाग, पुलवामा और श्रीनगर में लगभग छह से सात सरकारी स्कूलों तक हो गई है. समूह के स्वयंसेवक कश्मीर के दूरदराज के इलाकों और पिछड़े गांवों में अभियान चलाकर

1,000 से ज्यादा छात्रों तक पहुंचने और उनके बीच 15,000-20,000 से अधिक मुफ्त सैनिटरी नैपकिन वितरित करने में कामयाब रहे हैं.

उनके काम को सराहना मिली है और सोशल मीडिया पर उनकी मौजूदगी ने उन्हें अधिक पहचान हासिल करने और नेटवर्क को मजबूत करने में सहायता की है. अब ज्यादा से ज्यादा व्यक्ति आर्थिक मदद की पेशकश करने के साथ सैनिटरी पैड भी दान कर रहे हैं.

उनके उद्देश्य का एक और प्रभाव कश्मीर में एक स्थानीय पैड ब्रांड, सुविधा सारथी से स्पॉन्सरशिप है, जिसे ZOON ने हाल ही में प्राप्त किया है. यह टीम वंचित वर्ग की लड़कियों को मुफ्त सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने में मदद कर रही है.

ZOON की कंटेंट हेड नुहा मलिक ने कहा कि टीम की लड़कियों तक पहुंचने के बाद उन्होंने उनमें मासिक धर्म के बारे में जानने और इसको लेकर अपनी धारणा में सुधार करने के लिए एक प्रेरणादायक उत्सुकता देखी.

ZOON जैसे संगठनों के महत्व पर बात करते हुए, स्वयंसेवक प्रमुख अहमद वानी ने कहा,

इस क्षेत्र में छात्रों के नेतृत्व वाले बहुत कम संगठन हैं, ZOON उनमें से एक है. हम जो काम करते हैं उसकी सबसे अच्छी बात यह है कि हमें छात्रों से जो प्रतिक्रिया मिलती है, वह यह है कि मासिक धर्म के बारे में सही जानकारी प्राप्त करने के बाद उनका जीवन कैसे बदल गया है. जिससे हमें मासिक धर्म स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने और आगे संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है.

भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए, सहर का कहना है कि उनकी टीम पुरुष छात्रों को शामिल करने, उन्हें मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में शिक्षित करने और इस मुद्दे से जुड़े कलंक और शर्म को खत्म करने की योजना बना रही है. इसके अलावा बड़ा प्रभाव पैदा करने के लिए वे सरकारी अधिकारियों तक पहुंचने की योजना पर भी काम कर रहे हैं. ZOON इस बात का प्रमाण है कि युवाओं की अपने समाज में बदलाव लाने की इच्छा का सकारात्मक प्रभाव और पहुंच हो सकती है.

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