कल्पना कीजिए कि एक दिन ऐसा आए जब हम कहें कि हर भारतीय की औसत स्वस्थ जीवन प्रत्याशा 80 वर्ष हो. वर्तमान में एक भारतीय की औसतन जीवन प्रत्याशा 71 वर्ष है, लेकिन क्या हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हर भारतीय स्वस्थ जीवन जी पाए. हिंदी में इसे सहस्र पूर्ण चंद्रोदय कहा जाता है. हम ऐसा कर सकते हैं अगर सभी एक साथ फ्यूचर के बारे में सोचें. ये संभव है अगर हम नागरिक, व्यक्ति, समाज और सरकार के रूप में एक साथ काम करें. हम इस लक्ष्य संपूर्ण स्वास्थ्य का, जहां हम अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर काम कर रहे हैं, में सेल्फ केयर, अच्छी स्वच्छता, अच्छी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच, एक स्वच्छ वातावरण और सामाजिक समर्थन के जरिए अपने इस सपने को पूरा कर सकते हैं.
भारत आज दुनिया में सबसे अधिक आबादी और सबसे अधिक युवा लोगों वाला देश है. इसका मतलब है कि हम में से अधिकांश लोग अगर 80 वर्ष तक जीवित रहते हैं – यानी 4000 सप्ताह जिंदगी जीते हैं, तो हमें अभी लम्बा सफर तय करना है. आइए हर सेकेंड को काउंट करें. हम जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे हम उतने ही स्वस्थ होंगे.
बनेगा स्वस्थ भारत कैंपेन इसी पर केंद्रित है. एनडीटीवी-डेटॉल 2014 से स्वच्छ और स्वस्थ भारत की दिशा में काम कर रहा है. इस बार कैंपेन नौवें वर्ष में आगे बढ़ रहा है, हम सभी के लिए एक समग्र स्वस्थ भारत बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इसे शुरू करने के लिए, एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया 12 घंटे के टीवी टेलीथॉन – ‘लक्ष्य, संपूर्ण स्वास्थ्य का’ का आयोजन करेगा, जिसमें एक्सपर्ट, इनोवेटर्स, सोशल हेल्थ केयर वर्कर, डॉक्टर और आर्टिस्ट शामिल होंगे. ये हमसे स्वस्थ भारत के निर्माण पर बात करेंगे.
पिछला सीजन
सीजन 1 में, कैंपेन ने 7 राज्यों के 350 गांवों में लोगों को स्वच्छता, टॉयलेट और उचित हाथ धोने की तकनीक के महत्व पर शिक्षित किया. हमने भारत के गांवों में टॉयलेट के निर्माण और रखरखाव के लिए 280 करोड़ रुपये जुटाए.
सीज़न 2 में, कैंपेन के राजदूत अमिताभ बच्चन के साथ ‘स्वच्छता की पाठशाला’ की शुरुआत की गई और बच्चों को छोटी उम्र से ही उचित स्वच्छता का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक हेल्थ सिलेबस बनाया.
सीज़न 3 में, #Mere10Guz के साथ, कैंपेन ने व्यक्तिगत स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित किया, और प्रत्येक व्यक्ति को अपने आस-पास के वातावरण को साफ रखने के लिए जिम्मेदार होने का विचार दिया.
सीज़न 4 में, पिछले सीजन के ऐजेंडे के साथ अभियान ने व्यक्तिगत और नीतिगत स्तरों पर स्वच्छ, खाद और वेस्ट सेग्रीगेशन कैंपेन पर ध्यान केंद्रित किया गया.
सीजन 5 तक, हमारा फोकस वायु प्रदूषण पर चला गया. कैंपेन ने डॉक्टरों और विशेषज्ञों की मदद से स्वच्छ हवा का मुद्दा उठाया. एक अन्य मुद्दा हाथ से मैला ढोने की प्रथा और इसे मिटाने के प्रयासों पर बातचीत करना भी रहा.
सीजन 6 में, स्वच्छ स्वस्थ बन गया क्योंकि स्वच्छ भारत ही स्वस्थ भारत हो सकता है. इस सीजन में स्वस्थ माताओं, स्वस्थ बच्चों और सभी के लिए पोषण पर ध्यान दिया गया. कैंपेन ने महत्वपूर्ण 1,000 दिनों के दौरान माताओं और शिशुओं के लिए मेडिकली अप्रुप्ड ‘हेल्थ किट’ को भी क्यूरेट और डिस्ट्रीब्यूट किया.
सीजन 7 में, अभियान ने एक स्वस्थ राष्ट्र के तीन स्तंभों – हेल्थ, सेनिटेशन, हाइजीन के साथ पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित किय. COVID के प्रकोप के तत्काल बाद, नियमित रूप से हाथ धोने को कोरोनवायरस के खिलाफ सबसे अच्छा बचाव घोषित किया गया. वही बात सामने आई, जिसे बनेगा स्वच्छ भारत ने पहले वर्ष से ही शुरू कर दिया था.
सीजन 8 में, अभियान ने एक स्वास्थ्य, एक ग्रह, एक- किसी को पीछे नहीं छोड़ने के भविष्य के एजेंडे के साथ मनुष्यों और पर्यावरण, और मनुष्यों की एक-दूसरे पर निर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया. यह स्पष्ट है कि एक व्यक्ति के स्वस्थ रहने के लिए सभी को स्वस्थ रहने की आवश्यकता है. या तो हम सब स्वस्थ हैं या नहीं. यहां तक कि एक व्यक्ति की अस्वस्थता भी हम सभी को संवेदनशील और जोखिम में डाल देती है. सीजन 8 ने भारत में हर किसी विशेष रूप से कमजोर समुदायों – एलजीबीटीक्यू आबादी, स्वदेशी लोग, भारत की विभिन्न जनजातियां, जातीय और भाषाई अल्पसंख्यक, दिव्यांग लोग, प्रवासी, भौगोलिक रूप से दूरस्थ आबादी, लिंग और यौन अल्पसंख्यक के स्वास्थ्य की देखभाल करने और विचार करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. इसने कई प्रमुख क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया जैसे किसी को पीछे नहीं छोड़ना; भारत में स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण के 75 वर्ष; द न्यूट्रीशन स्टोरी पोस्ट COVID-19; महामारी और उसकी चुनौतियाो़ स्वच्छता और रोगाणु, सेल्फ केयर, मेंटल वेलबिंग, किशोर स्वास्थ्य और लिंग जागरूकता, साइंस और हेल्थ, पर्यावरण और स्वास्थ्य और बेहतर भविष्य के लिए रेकिट की प्रतिबद्धता सामने आई.