हैदराबाद: भारत के स्वदेशी रूप से विकसित पहले कोविड-19 रोधी टीके ‘कॉर्बेवैक्स’ को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आपातकालीन उपयोग सूची में स्थान प्रदान करने की अनुमति दे दी है. विनिर्माता कंपनी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. कॉर्बेवैक्स एक ‘प्रोटीन सब-यूनिट’ टीका है और यह भारत की औषध फर्म ‘बायोलॉजिकल ई लिमिटेड’ द्वारा निर्मित है. बायोलॉजिकल ई लिमिटेड की प्रबंध निदेशक महिमा दतला ने कहा,
हम डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची (ईयूएल) में स्थान प्राप्त कर प्रसन्नता महसूस कर रहे हैं. हमें विश्वास है कि डब्ल्यूएचओ का यह समर्थन कोविड-19 के खिलाफ हमारी वैश्विक लड़ाई को मजबूत करेगा.
भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने दिसंबर 2021 से अप्रैल 2022 तक क्रमिक तरीके से वयस्कों, किशोरों और छोटे बच्चों के बीच आपातकालीन स्थिति में सीमित उपयोग के लिए ‘कॉर्बेवैक्स’ को पहले ही मंजूरी दे दी थी.
इसे जून 2022 में 18 वर्ष और इससे अधिक आयु के वयस्कों के लिए कोविड रोडी विषम बूस्टर खुराक के रूप में उपयोग के लिए भी मंजूरी दी गई थी. विज्ञप्ति में कहा गया कि कंपनी ने केंद्र सरकार को ‘कॉर्बेवैक्स’ की 10 करोड़ खुराक की आपूर्ति की थी, जिसका उपयोग अखिल भारतीय टीकाकरण अभियान में किया गया, मुख्य रूप से 12-14 वर्ष की आयु के बच्चों में.
दतला ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान टीके का विकास या निर्माण शुरू करने वाली कई कंपनियां बाद में धन की कमी या सफलता की कमी के कारण बाहर हो गईं.
उन्होंने कहा कि हालांकि उनकी कंपनी ने अपने कार्य को लगातार बढ़ाते हुए विश्व स्तर पर उच्च गुणवत्ता और किफायती टीकों के विकास एवं उन तक पहुंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रहना जारी रखा है.
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