नई दिल्ली: कोविड-19 के मामले एक बार फिर अचानक से बढ़ गए हैं. दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों में काफी तेजी देखी गई है. कोविड प्रोटोकॉल में ढील के संबंध में बहस और चर्चा के साथ, यह सवाल उठता है कि क्या भारत ने वायरस के खिलाफ अपनी सुरक्षा कम कर दी है? ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सीनियर वायरोलॉजिस्ट और फेलो डॉ शाहिद जमील ने एनडीटीवी को बताया कि नए मामलों में तेजी के बावजूद, स्थिति कुछ अप्रत्याशित नहीं है. उन्होंने आगे कहा,
यह कुछ अपेक्षित था, खासकर स्कूलों के खुलने के साथ. बच्चे देश में वो ग्रुप हैं, जिनका वर्तमान में सबसे कम टीकाकरण हुआ हैं. इसलिए मामले बढ़ेंने की उम्मीद थी, लेकिन हमें यह याद रखने की जरूरत है कि बच्चों को भी सबसे कम गंभीर बीमारी होती है. तो एक चीज जो हमने आगे बढ़ते हुए सीखी है, वह यह है कि, हां, मामले थोड़ी चिंता बढ़ा सकते हैं, लेकिन वो सिर्फ वास्तव में गंभीर मामले, अस्पताल में भर्ती होने की दर होगी, जिसके बारे में हमें वास्तव में चिंतित होने की जरूरत होगी. क्योंकि बार-बार हमने देखा है कि जिन लोगों को टीका लगा है वे भी संक्रमित हो जाते हैं और जो पहले संक्रमित हो चुके होते हैं वे भी पुन: संक्रमित हो जाते हैं. मुझे आश्चर्य नहीं है कि ऐसा हो रहा है.
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एनडीटीवी ने डॉ सुनीला गर्ग, लैंसेट कोविड टास्कफोर्स, सलाहकार आईसीएमआर से पूछा कि क्या नए मामले ओमिक्रोन या ईएक्स जैसे नए संस्करण के कारण हो रहे हैं.
डॉ गर्ग ने आश्वासन दिया कि संक्रमण एक नए संस्करण के कारण नहीं हो रहे हैं और यह ओमाइक्रोन है जो नए मामलों के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने कहा,
यह कोई नया वेरिएंट नहीं है, यह ओमिक्रोन है. रिपल्स को वेव नहीं कहा जा सकता. हमें यह समझना होगा कि जैसे ही हम कोविड प्रोटोकॉल को छोड़ते हैं, ऐसा हो सकता है. जब टीके उपलब्ध नहीं थे, तब मास्क एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक टीका था. यह वह जगह है, जहां हम मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हैं, यह स्मार्ट निगरानी और परीक्षण की कमी के कारण हो सकता है, क्योंकि हमें कोविड उपयुक्त व्यवहार के साथ इस रणनीति को नहीं छोड़ना चाहिए.
एक अन्य महत्वपूर्ण बात जिस पर डॉ गर्ग ने ध्यान खींचा, वह यह है कि हमें बुजुर्ग आबादी और इस वायरस के कारण प्रतिरक्षित लोगों के सामने आने वाले खतरे पर विचार करना होगा और इसलिए, कोविड के उचित व्यवहार को नहीं छोड़ना चाहिए. वह स्कूलों में होने वाले संक्रमणों के प्रबंधन के लिए एक रणनीति बनाने की जरूरत पर भी प्रकाश डालते हैं. वे कहते हैं,
हमें स्कूल की रणनीति के साथ-साथ एक स्मार्ट निगरानी रणनीति की जरूरत है. हम स्कूलों को बंद करना और फिर उन्हें फिर से खोलना जारी नहीं रख सकते. हम दुनिया के उन पांच देशों में शामिल हैं, जिन्होंने महामारी के दौरान स्कूल बंद कर दिए हैं. इस संदेश को जोर से और स्पष्ट रूप से प्राप्त करना बहुत अहम है कि माता-पिता और शिक्षक घबराएं नहीं.
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डॉ हेमंत पी ठाकर, सदस्य, कोविड टास्कफोर्स ने एनडीटीवी को बताया कि एक ऐसे चरण में मास्क कितना अहम है, जहां हम सभी जीवन के सामान्य तरीके से लौट रहे हैं. वो समझाते हैं,
याद रखें कि एक मास्क न सिर्फ आपको कोविड से बचाने वाला है, बल्कि यह आपको कई अन्य श्वसन और प्रदूषण रोगों से भी बचाएगा. इस तथ्य को छोड़कर कि जब घर के अंदर हों और दूरी संभव हो, तो आप अपना मास्क हटा सकते हैं, मुझे अभी भी लगता है कि हमारे पास भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों, मॉल, रेलवे स्टेशनों और ट्रेनों में मास्क के लिए जनादेश होना चाहिए. जब लोगों पर जुर्माना लगाने की बात आती है, तो मुझे लगता है कि भारत में, जब तक कोई सख्त दृष्टिकोण नहीं है, नियमों को अनिवार्य करना मुश्किल है. हमें यह सुनिश्चित करने के लिए ऊंगली को थोड़ा टोढा करने की जरूरत है कि कोविड संख्या कम रहे. हमें यह समझने की जरूरत है कि हमें कोविड के साथ रहना है, इन्फ्लूएंजा की तरह हमारे पास छोटी-छोटी लहरें हो सकती हैं, और वह लहर संख्या के रूप में एक बड़ी लहर बन सकती है. हो सकता है कि यह बीमारी के रूप में लहर न हो, लेकिन आपके पास उच्च संख्या हो सकती है.
डॉ ठाकर जोर देकर कहते हैं कि हम सभी ‘सामान्य ज्ञान को राज करने दें और कम से कम 3-4 और महीनों तक कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते रहें.’
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इस बीच, आईआईटी कानपुर की प्रोफेसर, प्रोफेसर मंदिरा अग्रवाल का कहना है कि निकट भविष्य में भारत में संक्रमण की एक और लहर का सामना करने की संभावना बहुत कम है. वे समझाती हैं,
हमने जिन आंकड़ों का विश्लेषण किया है और उनका विश्लेषण करना जारी रखा है, उसके आधार पर मुझे निकट भविष्य में कोई अन्य लहर नहीं दिख रही है. जब तक कोई नया म्यूटेशन न हो, जो मुझे सूचित किया गया है कि ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है. मौजूदा वेरिएंट के मुकाबले, हमारे पास पहले से ही लोगों में काफी मात्रा में प्रतिरोधक क्षमता है. इसलिए मुझे नहीं लगता कि आने वाले दिनों में हम कोई बड़ी लहर देख सकते हैं, ऐसा लगता है कि यह बहुत ही असंभव है.
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