Highlights
- ऑस्ट्रेलिया में BA.5-ओमिक्रॉन स्पेसिफिक वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है
- नवंबर-दिसंबर तक, हम यूएस एफडीए को आवेदन करने की स्थिति में होंगे: पूनावाला
- बूस्टर के रूप में ओमिक्रॉन-स्पेसिफिक वैक्सीन महत्वपूर्ण है: पूनावाला
नई दिल्ली: भारत में COVID-19 मामलों में बढ़ोतरी के चलते, विशेष रूप से ओमिक्रॉन वेरिएंट के, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने नोवावैक्स के सहयोग से BA.5 की स्पेसिफिक वैक्सीन पर काम कर रहा है, जो ओमिक्रॉन का एक सब-वैरिएंट है. 15 अगस्त को एनडीटीवी के साथ एक स्पेशल इंटरव्यू में, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा, “बीए.5 वैरिएंट वर्ल्ड लेवल पर काफी फैल रहा है. भारत में भी ऐसे कई मामले हैं. हम इस समय नोवोवैक्स के साथ BA.5 वैरिएंट स्पेसिफिक वैक्सीन पर काम कर रहे हैं.”
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पूनावाला ने आगे बताया कि वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में BA.5-Omicron स्पेसिफिक वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. उन्होंने कहा कि संभवत: नवंबर-दिसंबर तक, हम यूएस एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन), दवा नियामक को आवेदन करने की स्थिति में होंगे.
भारत में ओमिक्रॉन-स्पेसिफिक वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में बात करते हुए, पूनावाला ने कहा,
हमें भारत में अलग से क्लीनिकल ट्रायल करना है या नहीं, यह अभी तय नहीं हुआ है. हमारी टीमें सरकारी अधिकारियों से बात कर रही हैं. हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक या अगले साल के फर्स्ट क्वाटर में वैक्सीन आ जाएगी.
यह ध्यान रखना जरूरी है कि इंडियन मार्केट में टीके का प्रवेश भारतीय दवा नियामक द्वारा मंजूरी पर निर्भर करेगा. पूनावाला ने कहा,
मैं अनुमान लगा रहा हूं कि अगले छह महीने या उसके आसपास हमारे पास वैक्सीन होगी. यह भारतीय नियामकों पर आधारित है कि वे हमें कितनी जल्दी इसका प्रोडक्शन करने की इजाजत देते हैं.
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पूनावाला का मानना है कि “यह टीका एक बूस्टर के रूप में जरूरी है”. ओमिक्रॉन वैरिएंट की संक्रामकता के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा,
हालांकि नया वैरिएंट बहुत अधिक अस्पताल में भर्ती होने का कारण नहीं हो सकता है, लेकिन यदि आपको ये हो जाता है तो यह बहुत गंभीर हो सकता है. यह फ्लू के एक बुरे मामले की तरह है. मेरी राय में जब भी यह मंजूर और उपलब्ध हो, टीका लगवा लेना चाहिए.
दिल्ली सहित देश के कुछ हिस्सों में ओमिक्रॉन के कई सब-वैरिएंट के मामले बढ़ रहे हैं. पिछले हफ्ते, कोविड टास्क फोर्स के प्रमुख एनके अरोड़ा ने एनडीटीवी को बताया कि दिल्ली में घूम रहे ओमिक्रॉन के स्ट्रेन इस साल जनवरी में सामने आए बेस स्ट्रेन की तुलना में अधिक संक्रामक हैं. इसके साथ ही, संक्रमण को रोकने में टीकों की प्रभावशीलता में 20 से 30 प्रतिशत की गिरावट आई है.
उन्होंने कहा कि दिल्ली में मौजूद ओमिक्रॉन बी 5 और बी 2 की सब-लिनीइज ओमिक्रॉन वैरिएंट की तुलना में 20 से 30 प्रतिशत अधिक संक्रामक हैं.
डॉ. एनके अरोड़ा ने दोहराया कि वर्तमान में उपलब्ध कोई भी टीका संक्रमण को नहीं रोकता है. दूसरा, सिम्प्टमैटिक इंफेक्शन कुछ हद तक लाभ के साथ होते रहते हैं. उन्होंने कहा कि टीका लगवाने से हमें गंभीर बीमारी से सुरक्षा मिलती है.
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