• Home/
  • ताज़ातरीन ख़बरें/
  • जानिए एक्‍ट्रेस तापसी पन्नू और पोषण विशेषज्ञ मुनमुन गनेरीवाल से पेट को हेल्‍दी रखना क्यों है जरूरी?

ताज़ातरीन ख़बरें

जानिए एक्‍ट्रेस तापसी पन्नू और पोषण विशेषज्ञ मुनमुन गनेरीवाल से पेट को हेल्‍दी रखना क्यों है जरूरी?

तापसी पन्नू और पोषण विशेषज्ञ मुनमुन गनेरीवाल से जानिए गट हेल्‍थ के बारे में

Read In English
जानिए एक्‍ट्रेस तापसी पन्नू और पोषण विशेषज्ञ मुनमुन गनेरीवाल से पेट को हेल्‍दी रखना क्यों है जरूरी?
तापसी पन्नू और पोषण विशेषज्ञ मुनमुन गनेरीवाल ने की अच्छे आंत के स्वास्थ्य के बारे में.

नई दिल्ली: मानव आंत में हजारों प्रकार के जीवाणु होते हैं. इस बैक्टीरिया के कई प्रकार हैं जो आंत को शरीर द्वारा बेहतर अवशोषण के लिए भोजन को बांटने में मदद करते हैं. यह महत्वपूर्ण क्यों है? विशेषज्ञों का कहना है कि भोजन के बेहतर अवशोषण, बेहतर पोषण और समग्र स्वास्थ्य के लिए ये जरूरी होता है. यह बैक्टीरिया भी हैं जो संक्रमण और सूजन से लड़ने में मदद करते हैं.

तो, कोई स्वस्थ आंत कैसे सुनिश्चित कर सकता है? टीम बनेगा स्वस्थ इंडिया ने एक विशेष इंटरव्‍यू में एक्‍ट्रेस तापसी पन्नू और मुनमुन गनेरीवाल, न्यूट्रिशनिस्ट और गट माइक्रोबायोम स्पेशलिस्ट से बात की.

मुनमुन गनेरीवाल ने हाल ही में युक्ताहार: द बेली एंड ब्रेन डाइट नामक एक पुस्तक भी प्रकाशित की है, जो बताती है कि हमें अपना ध्यान ‘आप’ से ‘उन’-मानव-आंत माइक्रोबायोम पर स्थानांतरित करने की आवश्यकता क्यों है. किताब बताती है कि लगभग सभी पुराने मुद्दे असंतुलित माइक्रोबायोम में जुड़े हैं. आपके पेट-आधारित सूक्ष्म समुदाय के संतुलन में व्यवधान से न केवल वजन बढ़ता है और पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, बल्कि मूड, व्यवहार, खुशी की सामान्य भावना पर भी असर पड़ता है.

इसे भी पढ़ें: बजट 2022: टेली मेंटल हेल्थ सेंटर्स, नेशनल डिजिटल हेल्‍थ इकोसिस्‍टम की होगी स्‍थापना, 2 लाख आंगनबाड़ी केंद्रों का होगा विकास

NDTV: आंत का स्वास्थ्य हमारी हेल्‍थ और वेलबिंग को कैसे प्रभावित करता है? और स्वस्थ शरीर के निर्माण में अच्‍छी डाइट क्या भूमिका निभाती है?

तापसी पन्नू: एक अच्छी डाइट का मतलब सिर्फ आपके शरीर के लिए अच्छा स्वास्थ्य या तंदुरुस्ती नहीं है. इसका अर्थ उस आहार से भी है जिसे लंबे समय तक बनाए रखा जा सकता है ताकि आप पीछे की ओर न झुकें या हर रोज खुद को कुछ असंभव हासिल करने के लिए मजबूर न करें. हमें यह समझना चाहिए कि कुछ खाद्य पदार्थों या चीजों से खुद को वंचित करने का पूरा मिथक वास्तव में लंबे समय तक नहीं चल सकता है. आपके पास बहुत सीमित मात्रा में भोजन नहीं हो सकता है या आप वर्षों तक कुछ प्रकार के भोजन के बिना नहीं रह सकते हैं. यह व्यावहारिक रूप से असंभव है. मैं किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं जानती जो खुशी-खुशी इसका पालन कर रहा हो और अगर आप वास्तव में खाकर खुश नहीं हैं, तो मुझे नहीं पता कि वह भोजन आपके शरीर की मदद कैसे करेगा. आंत स्वास्थ्य वास्तव में आपको बेहतर मानसिक स्वास्थ्य पाने में मदद करता है. इसलिए, यदि आपका पेट खुश नहीं है, तो आपका मानसिक स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहेगा.

मैंने ऐसा कोई भी खाना नहीं छोड़ा जो मुझे खाना पसंद है. और मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जिसने मुझे अंदर और बाहर से भी वास्तव में खुश रखा है. मेरे साथ सब कुछ ठीक चल रहा है क्योंकि मैं अपनी इच्‍छा को मार नहीं रही हूं. पंजाबी होने के नाते, पराठा और दही मेरा मुख्य आहार है, पर कुछ समय के लिए मुझे यह सब छोड़ना पड़ा. जाहिर है, मुझे यह पसंद नहीं आया, मुझे इससे वंचित महसूस हुआ, जो स्पष्ट रूप से एक अच्छी भावना नहीं है. एक साल के भीतर मेरा शरीर ठीक हो गया और आज भी जब मैं अपने सबसे कठिन डाइट प्लान पर हूं, परांठे मेरी डाइट का हिस्सा हैं. आटा बदल सकता है, लेकिन मुख्य खाद्य पदार्थ वही रहते हैं.ा

NDTV: आप स्वास्थ्य या वास्तव में स्वस्थ होने को कैसे परिभाषित करेंगे?

मुनमुन गनेरीवाल: वास्तव में स्वस्थ होने का मतलब शरीर का एक निश्चित वजन या एक निश्चित आकार होना नहीं है. यह बीमारियों से दूर रहना भी नहीं है जैसा कि ज्यादातर लोग मानते हैं, बात यह है कि हमने अच्छे स्वास्थ्य को भौतिक पहलू तक सीमित कर दिया है, बल्कि हमें आईएस शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, शारीरिक पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. इन सभी जीवन शक्तियों को संतुलन में होना चाहिए. जब इन तीनों पहलुओं के बीच संतुलन होगा तब हम यह बता पाएंगे कि हम स्वस्थ हैं. उदाहरण के लिए, आइए किसी ऐसे व्यक्ति का उदाहरण लेते हैं, जो एक एक्टिव शेप में, वजन कंट्रोल में है, लेकिन अगर व्यक्ति सुबह नहीं उठ सकता है या वह व्यक्ति जो काम कर रहा है उससे खुश नहीं है तो क्या फायदा है – तो हम यह नहीं कह सकता कि व्यक्ति खुश है या स्वस्थ है.

NDTV: फिल्म ‘रश्मि रॉकेट’ के समय में योगिक लाइफस्‍टाइल का पालन करने से आपको अपने केरेक्‍टर को पर्दे पर जीवंत करने में कैसे मदद मिली?

तापसी पन्नू : फिल्म की एक साल की ट्रेनिंग के बाद मेरा लाइफस्‍टाइल पूरी तरह बदल गया है, मेरा शरीर पूरी तरह से बदल गया है. मैंने कभी खुद को अंदर से इतना फिट महसूस नहीं किया. एक बात जो वास्तव में ध्यान देने वाली है, वह यह है कि जब मेरे सभी ट्रेनर और पोषण विशेषज्ञ चर्चा करने के लिए एक साथ बैठे, तो उन्होंने कहा कि हम ऐसा कुछ भी नहीं लेंगे जो नेचुरल न हो. इससे मुझे रिजल्‍ट कम मिल सकता है, मेरे पास फिल्म के लिए कम मांसपेशी या शरीर हो सकता है, लेकिन मुझे इसके साथ रहना पड़ा, क्योंकि मेरे पास फिल्म के अलावा अपना महत्‍वपूर्ण जीवन भी था. लेकिन अच्छी बात यह थी कि मैं कुछ भी अस्वाभाविक नहीं ले रही थी, मैं मानसिक रूप से रूटिन में थी. मैं अपना 100 प्रतिशत देने में सक्षम थी. मैं किसी चीज से वंचित नहीं थी.

इसे भी पढ़ें:Union Budget 2022 Highlights: एक नजर स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई प्रमुख घोषणाओं पर

NDTV: गट माइक्रोबायोम क्या है और यह हमारे शरीर और समग्र स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है?

मुनमुन गनेरीवाल: माइक्रोबायोम खरबों सूक्ष्म जीवों का संग्रह है जो हमारी आंत के अंदर रहते हैं. शरीर होस्‍ट है और ये निवासी अतिथि हैं और ये वही हैं जो वास्तव में हमारे मेटाबॉलिज्‍म और हमारी इम्‍यूनिटी को कंट्रोल करते हैं. हम ही हैं जो उन्हें रहने के लिए जगह, खाने के लिए भोजन देते हैं, अगर ये निवासी पोषित महसूस करेंगे, तो वे बदले में हमें स्वस्थ रखकर और सक्रिय मेटाबॉलिज्‍म देकर हेल्‍दी रख सकते हैं.

NDTV: विशेषज्ञों का कहना है, आंत संतुलन का हमारे मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है. आंत और मस्तिष्क के स्वास्थ्य के बीच क्‍या संबंध है.

मुनमुन गनेरीवाल: आंत और आपके मस्तिष्क के स्वास्थ्य में सीधा संबंध है. डिप्रेशन एक दुखी आंत का परिणाम हो सकता है और एसिडिटी का संबंध उस तनाव से हो सकता है जिसका व्यक्ति दिन-प्रतिदिन सामना कर रहा होता है.

तापसी पन्नू : मुझे लगता है कि अगर आप अंदर से खुश हैं, तो यह आपके बाहर भी दिखेगा. यदि आप उस लक्ष्य तक नहीं पहुंचेंगे, जो आपने मानसिक रूप से अपने लिए निर्धारित किया है और आप अपने आप को उन चीजों से दूर रखेंगे जिन्हें आप प्यार करते हैं, तो यह सब आपको और आपके दिमाग को प्रभावित करेगा. अगर आप अंदर से खुश हैं, आप अच्छा खा रहे हैं, तो यह आपके दिमाग और स्वास्थ्य पर असर डालेगा.

इसे भी पढ़ें: राष्ट्रीय बालिका दिवस विशेष: मिलिए ऐसी वकील से, जो लड़कियों को उनके कानूनी अधिकार सिखाने में मदद कर रही हैं

NDTV: डाइट प्लान का पालन करने और स्वस्थ रहने के बारे में लोग किन मिथकों पर आंख मूंदकर विश्वास कर लेते हैं?

मुनमुन गनेरीवाल: एक मिथक जो बहुत से लोग मानते हैं कि हाई प्रोटीन और कम फैट वाली डाइट आपका वजन कम करने या आकार देने में मदद कर सकती है. कोई भी जो अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहा है या मसल्‍स बनाने की कोशिश कर रहा है, उसे लगता है कि उसे डाइट करनी चाहिए. यह सबसे बड़े मिथकों में से एक है. एक और बात जो लोग सोचते हैं वह यह है कि शाकाहारी होना ही एकमात्र तरीका है, जिससे वे इस ग्रह को बचा सकते हैं. मैं शाकाहारी होने के खिलाफ नहीं हूं. हर किसी की अपनी पसंद होती है लेकिन मुद्दा यह है कि अगर लोग सोचते हैं कि शाकाहारी होने से वे ग्रह को बचा लेंगे, तो ये गलत है. अंत में, मुझे लगता है, एक और मिथक है वह यह है कि यदि आप रुक-रुक कर व्रत करेंगे, तो आपका वजन कम होगा. बहुत से लोग मानते हैं कि यह वजन कम करने का एक प्राचीन तरीका है, लेकिन फिर भी इसके पीछे कोई विज्ञान नहीं है.

तापसी पन्नू: मुझे लगता है, आपका खाना उस जगह के अनुपात में होना चाहिए, जहां आप रह रहे हैं. उदाहरण के लिए, यदि आप एक उष्णकटिबंधीय क्षेत्र या एक ऐसे क्षेत्र में रह रहे हैं जो बहुत ठंडा है, तो आप अपनी डाइट को किसी ऐसी चीज़ में बदल नहीं सकते, जो आपने पहले ट्राई नहीं की है और आपको लगता है कि अगर आप उस डाइट को ट्राई करते हैं, तो आपका शरीर अच्छी प्रतिक्रिया देने वाला है. आप कभी नहीं जान पाएंगे कि आप अपने शरीर को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं और आप खुश नहीं हो पाएंगे.

एक और बात, मैं सभी को बताना चाहती हूं कि कृपया कार्ब्स से नफरत न करें, वे आपकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. सही प्रकार के कार्ब्स लें, ऐसी चीजें लें जो आप जिस क्षेत्र में रह रहे हैं, वहां ताजा उपलब्ध हों. सिर्फ इसलिए कि यह बहुत स्थानीय है इसका मतलब यह नहीं है कि यह आपके मानकों पर खरे नहीं उतरते. अचानक, अगर अन्य देश यह घोषणा करेंगे कि घी एक सुपरफूड है तो हम इसे लेना शुरू कर देंगे. हमें विदेश से मान्यता की जरूरत नहीं है, हमारे देश में यहां उगाए जाने वाले भोजन के साथ अच्छा विज्ञान है. हमें बस इसे अच्छे से अपनाने की जरूरत है.

NDTV: उन लोगों के लिए कुछ टिप्स बताएं, जो अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कर नहीं पा रहे हैं.

मुनमुन गनेरीवाल: अगर कोई व्यक्ति वास्तव में वजन कम करने के लिए बहुत कोशिश कर रहा है और नहीं कर पा रहा है, तो इसका कारण शरीर में सूजन हो सकता है. पहले व्यक्ति को इसे ठीक करने की जरूरत है, उसके बाद ही वे अपना वजन कम करना शुरू कर सकते हैं. तीन R बहुत महत्वपूर्ण हैं – सही गुणवत्ता, सही मात्रा, सही समय. हमें ऐसा भोजन करना चाहिए, जिसमें कोई केमिकल न हो और अल्‍ट्रा प्रोसेस्‍ड केमिकल हों.

NDTV: आज के दौर में इतनी बीमारियां क्‍यों फैल रही हैं?

मुनमुन गनेरीवाल: आज के समय में आप 12 साल के बच्चे को मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के साथ इनटोलरेंस देख रहे हैं. ये ऐसी चीजें हैं जिनके बारे में हमारे दादा-दादी ने कभी नहीं सुना होगा, उन्हें यह भी नहीं पता था कि ग्लूटेन एलर्जी क्या है, हम नई बीमारियां देख रहे हैं, यह सिर्फ इसलिए है क्योंकि आज हमें अपने माता-पिता से विरासत में मिले रोगाणु बहुत कम हैं. यही कारण है कि हम ऐसी बीमारियां देख रहे हैं जो हमने पहले कभी नहीं देखीं.

NDTV: आंतों के स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखते हुए आप क्या बदलाव महसूस कर रही हैं?

तापसी पन्नू: अभी तक, मुझे कोई COVID नहीं हुआ है. मैंने काम के दौरान COVID में कई देशों की यात्रा की है, जाहिर है, मैं सावधानियां बरत रही हूं. लेकिन इस दौरान मेरे स्‍वस्‍थ रहने का श्रेय मेरी गुड गट हेल्‍थ को भी जाता है.

इसे भी पढ़ें: राष्ट्रीय बालिका दिवस विशेष: मिलिए ऐसी वकील से, जो लड़कियों को उनके कानूनी अधिकार सिखाने में मदद कर रही हैं

अब आप बनेगा स्‍वस्‍थ इंडिया हिंदी पॉडकास्‍ट डिस्‍कशन सुन सकते हैं महज ऊपर एम्बेड किए गए स्‍पोट‍िफाई प्लेयर पर प्ले बटन दबाकर.

हमें एप्‍पल पॉडकास्‍ट और गूगल पॉडकास्‍ट पर फॉलो करें. साथ ही हमें रेट और रिव्‍यू करें.