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बेहतर भविष्य के लिए रेकिट की प्रतिबद्धता

बेस्‍ट ऑफ 2023: दस साल का हुआ बनेगा स्वस्थ इंडिया अभियान

बीता वर्ष 2023 बनेगा स्वस्थ इंडिया अभियान के लिए महत्वपूर्ण और उपलब्धियों भरा रहा. अपने ‘एक विश्व स्वच्छता – एक स्वस्थ कल के लिए वैश्विक एकता को बढ़ावा देना (One World Hygiene – Fostering global unity for a healthier tomorrow)’ के उद्देश्य के मुताबिक, अभियान का मुख्य फोकस भविष्य पर है, जिसकी ओर बढ़ते हुए बीते वर्ष अभियान ने कई अहम पड़ाव पार किए

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Best Of 2023: Banega Swasth India Campaign Turns 10
2023 में बनेगा स्वस्थ इंडिया की मुख्‍य हाइलाइट्स

नई दिल्ली: वर्ष 2023 में एनडीटीवी-डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया अभियान एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार करते हुए 10 साल का हो गया. वर्ष 2014 में ‘स्वच्छ एक्सप्रेस’ बस से शुरू हुए अभियान ने शौचालय के बारे में जागरूकता पैदा करते हुए भारत के 30 शहरों और 75 गांवों को कवर किया. स्वच्छता का ज्ञान बांटने वाला यह अभियान आज देश के 100 जिलों तक अपनी पहुंच बना चुका है. अपने 10वें वर्ष में एनडीटीवी-डेटॉल अभियान, सबसे लंबे समय तक चलने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों में से एक के रूप में उभरा है, जो पूरे भारत में स्वास्थ्य और स्वच्छता को बढ़ावा दे रहा है. आज हम बीते वर्ष में अभियान के मुख्य पड़ावों एक नजर डालेंगे.

2023 में बनेगा स्वस्थ इंडिया की मुख्‍य हाइलाइट्स

1. स्वच्छता से सेहत का रास्ता : यूनिवर्सल हाइजीन की ओर भारत की यात्रा पर केंद्रित रेकिट की कॉफी टेबल बुक

इस साल जनवरी में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2023 के दौरान, रेकिट ने यूनिवर्सल हाइजीन की दिशा में भारत की यात्रा पर ध्यान केंद्रित एक कॉफी टेबल बुक लॉन्च की. इसने भारत में 24 मिलियन स्कूली बच्चों तक पहुंच कर सेहत और स्वच्छता से जुड़ी आदतों को बढ़ावा देने के लिए ‘डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया’ कार्यक्रम के वर्षों के प्रयासों पर भी प्रकाश डाला. इस पुस्तक को आउटलुक और रेकिट द्वारा सेहत और स्वच्छता के आपसी जुड़ाव के मुख्य एजेंडे पर फोकस कर तैयार किया गया. इसमें डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह, क्षेत्रीय निदेशक, दक्षिण-पूर्व एशिया, विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे प्रमुख विशेषज्ञों के मूल्यवान सबक भी शामिल हैं. इसके अलावा डॉ. रणदीप गुलेरिया, अध्यक्ष – आंतरिक चिकित्सा और श्वसन और नींद चिकित्सा संस्थान और निदेशक – चिकित्सा शिक्षा, डॉ. सौम्या स्वामीनाथन, मेदांता व पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, डब्ल्यूएचओ ने भी योगदान दिया.

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2. उत्तर प्रदेश में रेकिट का जीरो मलेरिया मिशन

2030 तक मलेरिया को खत्म करने के भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, रेकिट ने वर्ष 2023 में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य को लेकर समुदायों और सरकारी निकायों में व्यवहार परिवर्तन को अपनाने के लिए प्रेरित करने के एजेंडे के साथ उत्तर प्रदेश में मिशन जीरो मलेरिया भी लॉन्च किया.

3. स्वास्थ्य और स्वच्छता की जानकारी देने के लिए तमिल म्यूजिक एल्बम

भारत की आत्मा इसकी कला, संस्कृति, संगीत, नृत्य, त्योहारों और रीति-रिवाजों में बसी हुई है. डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया ने भारतीय लोक संगीत की समृद्ध विरासत का सहारा लेते हुए और रोचक ढंग से सेहत और स्वच्छता के बीच गहरे संबंध को दर्शाने के लिए 2023 में हिंदू तमिल थिसाई पहल के तहत स्वस्थ इंडिया के लिए तमिल लोक संगीत एल्बम लॉन्च किया. इसका उद्देश्य मधुर लोक गीतों के जरिये लोगों को हाथ धोने के महत्व, घर, स्कूल और आस-पड़ोस में स्वच्छता बनाए रखने जैसे विषयों से जुड़ी ऐसी बुनियादी बातें सिखाना था, जिन्हें अपनाया जाना चाहिए. इस पहल को तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी अपना सहयोग दिया.

4. भारत में बच्चों को स्वच्छता और अच्छी आदतें अपनाने की शिक्षा देने के लिए डेटॉल की DIY स्वच्छता वर्क बुक लॉन्च

2014 में 2,500 स्कूलों में डेटॉल स्कूल स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम के रूप में जो शुरुआत हुई, वह आज 840,000 स्कूलों और 500,000 मदरसों के करीब 24 मिलियन बच्चों तक पहुंच चुकी है. इस पहल में शामिल बच्चों को एक ऐसे इको सिस्‍टम से जोड़ा जाता है, जहां उनको स्वच्छता के ज्ञान को सांस्कृतिक प्रेरणाओं के साथ जोड़कर अवगत कराया जाता है, ताकि उनमें स्वच्छता की आदत और व्यवहार को बढ़ावा दिया जा सके.

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रचनात्मकता को बनाए रखते हुए इस कार्यक्रम के तहत वर्ष 2023 में डेटॉल ने ग्रेड 1 से ग्रेड 3 बच्चों में स्वच्छता की आदतों को बढ़ावा देने के लिए हाइजीन DIY वर्क बुक लॉन्च की. इन पुस्तकों के जरिये बच्चों को यह मूलभूत बात बताई गई है अच्‍छी सेहत और स्वच्छता ही जीवन में शारीरिक, मानसिक विकास की राह खोलती है और यह सुनिश्चित करती है कि हम स्वस्थ भारत के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ें. इन पुस्तकों में शामिल हैं –

  • स्वच्छता से संबंधित गतिविधियां और अभ्यास जो मजेदार और जानकारीपूर्ण हैं
  • बच्चे अपने संपूर्ण स्वास्थ्य की देखभाल के बारे में सीखेंगे
  • सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य पर चित्रकारी और रंग भरने की गतिविधियां होती हैं

कुल मिलाकर, इसका उद्देश्य बच्चों को उनके बुनियादी दैनिक कार्यों को ‘कैसे’ करना है की जानकारी देकर उनमें अच्छी आदतें विकसित करना और अच्छे व्यवहार को बढ़ावा देना है, जिसमें हाथ धोना, नहाना, ब्रश करना, साफ-सफाई, चोट लगने पर प्राथमिक उपचार जैसी चीजें शामिल हैं. छींकते या खांसते समय मुंह और नाक को ढकने जैसी अच्छी आदतों के साथ-साथ, ये कार्यपुस्तिकाएं बच्चों को सिखाती हैं कि अनहाइजेनिक व्यवहार से किस तरह वायरस, रोगाणु और बैक्टीरिया फैल सकते हैं, जो बीमारियों का कारण बन सकते हैं.

5. डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया ‘स्वास्थ्य मंत्र’ वीडियो पॉडकास्ट हुआ लॉन्च

‘स्वच्छता’ स्वस्थ और सुखी जीवन की नींव है. इस विचार के साथ अभियान ने अपने व्यापक आंदोलन ‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ के तहत अपने पहले पब्लिक हेल्थ एंड हाइजीन पॉडकास्ट ‘स्वास्थ्य मंत्र’ को लॉन्च किया. पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना ने 5 मई को विश्व हाथ स्वच्छता दिवस के अवसर पर इस वीडियो पॉडकास्ट को लॉन्च किया. बुनियादी स्वच्छता प्रथाओं पर ध्यान देने और अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने के एजेंडे के साथ पॉडकास्ट को Spotify, Apple और YouTube जैसे प्रमुख प्लेटफार्मों पर एक साथ लॉन्च किया गया.

6. विश्व पर्यावरण दिवस पर डेटॉल ने उत्तराखंड में भारत का पहला क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल लॉन्च किया

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर देश का पहला क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल उत्तराखंड के उत्तरकाशी में लॉन्च किया गया. क्लाइमेट रेजिलिएंट मॉडल स्कूल मूल रूप से एक ऐसी संस्था है, जो स्कूल के बुनियादी ढांचे के तहत जलवायु-अनुकूल प्रौद्योगिकियों को पेश करने पर फोकस करती है. स्कूल का बुनियादी ढांचा इस तरह का है कि इसमें बिजली और पानी के काफी कुशलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया है. इस स्कूलों में शामिल कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

  • वर्षा जल संचयन प्रणाली यानी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्‍टम
  • धूसर जल का पुनर्चक्रण यानी ग्रे वाटर रिसाइकलिंग
  • पैरों से संचालित (फुट ऑपरेटेड) या ड्रिप हैंड वाशिंग स्टेशन
  • सौर ऊर्जा निर्बाध बिजली की आपूर्ति
  • कक्षाओं में मानकों अनुरूप और जरूरत के मुताबिक रोशनी की व्यवस्था
  • इमारतों में क्लाइमेट फ्रेंडली कूलिंग या हीटिंग प्रणाली का इस्तेमाल
  • कचरे की छंटाई और प्रबंधन कर के जीरो वेस्‍ट कैंपस यानी शून्य अपशिष्ट परिसर का निर्माण
  • बायो यूरेनल्‍स यानी जैव-मूत्रालय
  • विद्यालय परिसर में हरियाली बढ़ाना
  • क्लाइमेट फ्रेंडली स्कूल बैग, पेंसिल, पेन, पेंसिल बॉक्स और अन्य उपभोग्य वस्तुएं
  • जीरो प्लास्टिक जोन
  • मान्यता प्राप्त प्रमाणन एजेंसियों द्वारा क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूलों का ग्रीन बिल्डिंग या नेट जीरो कार्बन सर्टिफिकेशन

कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तराखंड के सभी 13 जिलों के स्कूलों को कवर करना है.

7. रेकिट ने समुदायों की सहभागिता से एक लाख लोगों की जान बचाने के लक्ष्य के साथ उत्तर प्रदेश के 25 जिलों में ‘डेटॉल डायरिया नेट जीरो’ का विस्तार किया

5 साल से कम उम्र के बच्चों में डायरिया से संबंधित मौतों को रोकने और 100,000 लोगों की जान बचाने के लक्ष्य के साथ, रेकिट ने उत्तर प्रदेश के 25 जिलों को कवर करने के लिए अपने चल रहे कार्यक्रम डायरिया नेट जीरो का विस्तार किया. अपनी तरह का यह अनूठा कार्यक्रम डब्ल्यूएचओ की 7-सूत्री योजना पर आधारित है और डायरिया की रोकथाम, प्रचार और उपचार पर सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा बढ़ाने पर केंद्रित है.

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पारंपरिक जागरूकता अभियानों से अलग इस पहल में उत्तर प्रदेश के लोगों को साथ जोड़ने के लिए कई तरह की अनूठी गतिविधियों को शामिल किया गया है. इनमें से गतिविधियां ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) बनाने के तरीके को प्रदर्शित करने के लिए कैनोपी स्थापित करना और ओआरएस का नमूना दिखा कर हाइड्रेशन के लिए इसके उपयोग को बढ़ावा देना शामिल है. इसके अलावा इसमें मानसून के दौरान ओआरएस और जिंक का वितरण करना भी शामिल है, जब बच्चे डायरिया की चपेट में सबसे ज्यादा आते हैं. यह काम “दस्तक” और गहन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा जैसी सरकारी पहल की तर्ज पर किया जाता है. दिलचस्प बात यह है कि इस पहल ने 20,000 “गुलाबी दीदी वालंटियर” के कैडर को सशक्त बनाने में भी मदद की है, जिन्हें डायरिया प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर लोगों को सकारात्मक संदेश देने का काम सौंपा गया है. इसके अलावा, बच्चों में डायरिया की रोकथाम के तरीकों की जानकारी प्रभावी ढंग से देने के लिए 25 जिलों में हजारों “नुक्कड़ नाटक” आयोजित किए जाते हैं.

8. भारत के सबसे बड़े स्वच्छता ओलंपियाड का दूसरा संस्करण, 30 मिलियन से अधिक बच्चों तक पहुंचा

‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ अभियान का सबसे बड़ा आकर्षण ‘डेटॉल हाइजीन ओलंपियाड’ के दूसरे संस्करण की घोषणा थी, जिसे भारत का सबसे बड़ा हाइजीन ओलंपियाड भी माना जाता है. यह मूल रूप से एक परीक्षा है, जो ऐसे क्षेत्रों को सामने लाती है, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि दक्षता की कमी वाले इन क्षेत्रों में समुचित सुधार लाया जा सके. इससे भारत में स्वच्छता साक्षरता में अंतर का आकलन करने में भी मदद मिलती है और स्कूली छात्रों के बीच स्वच्छता भरे व्यवहार को बढ़ावा मिलता है. इस वर्ष के ओलंपियाड के माध्यम से यह अभियान भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 30 मिलियन बच्चों तक पहुंचा.

9. ‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ के 10 साल का होने पर अभियान के एंबेसडर आयुष्मान खुराना के साथ नया सीजन हुआ लॉन्च

वर्ष 2023 बनेगा स्वस्थ भारत के लिए समर्पण और परिवर्तन का दशक रहा है. वर्ष 2014 में शुरू हुए इस अभियान का एक नया सीजन अक्टूबर के महीने में एक नए कैंपेन एंबेसडर आयुष्मान खुराना के साथ सीजन 10 के रूप में लॉन्च किया गया. अभियान के लिए परिवर्तन की नई यात्रा शुरू करने के बारे में बात करते हुए आयुष्मान खुराना ने कहा,

अभियान के दसवें वर्ष में एजेंडा ‘एक विश्व स्वच्छता – एक स्वस्थ कल के लिए वैश्विक एकता को बढ़ावा देना’ है. हमने पिछले नौ वर्षों में कई लक्ष्य हासिल किए हैं. स्वच्छता पर काम किया, स्कूलों में स्वच्छता स्थापित की, अपने आसपास के दस गज क्षेत्र को साफ रखने की शपथ ली, स्वच्छता से स्वास्थ्य की ओर बढ़ गए. बीच में COVID जैसी चुनौती आई, जिसने पूरी दुनिया को पूरी तरह से रोक दिया था, लेकिन ‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ अभियान मजबूत होता गया. हमने उन डॉक्टरों का सम्मान किया, जो महामारी के दौरान लोगों की जान बचाने में लगे हुए थे. हमने तय किया कि आजादी के 100 साल पूरे होने तक हम किसी को भी पीछे नहीं रहने देंगे. हमने एक धरती, एक परिवार, एक स्वास्थ्य की बात की. मुझे यह कहते हुए गर्व है कि इतने वर्षों में की गई सारी मेहनत का लाभ 2 करोड़ 40 लाख बच्चों तक पहुंचा है. यह कोई छोटी संख्या नहीं है.

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10. महिलाओं, बच्चों में एनीमिया, कुपोषण और संक्रामक रोग को कम करने के उद्देश्य से ‘सेल्फ केयर किट’ लॉन्च की गई

सेल्फ केयर माताओं और बच्चों के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. केवल उनके पोषण संबंधी पहलू पर ध्यान देना जरूरी नहीं है, बल्कि आहार विविधता, शारीरिक गतिविधि और पर्सनल केयर और स्वच्छता जैसी चीजें भी उनके पूरी तरह से तंदुरुस्त रहने के लिए समान रूप से आवश्यक हैं, जिसकी अकसर महिलाओं और बच्चों में कमी रह जाती है. भारत के ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के पांच साल से कम उम्र के बच्चों और उनकी माताओं के लिए सेल्फ केयर में सुधार करने के उद्देश्य से रेकिट और प्लान इंडिया इस साल 2 अक्टूबर को अभियान के तहत एक ‘सेल्फ-केयर’ कार्यक्रम लेकर आए और सीजन 10 के लॉन्च के दौरान एक ‘सेल्फ-केयर किट’ का अनावरण किया.

रेकिट और पीएलएएन इंडिया द्वारा तैयार की गई इस किट का उद्देश्य देश भर में महिलाओं और बच्चों के बीच एनीमिया, कुपोषण और संक्रामक रोगों के प्रसार को कम करना है.

महिलाओं की प्रसव पूर्व देखभाल और जन्म के समय बच्‍चे के कम वजन और महिलाओं में एनीमिया के खतरे को कम करने के लिए आयरन, विटामिन सी और फोलिक एसिड की गोलियां जैसी चीजें इस किट में शामिल हैं. इसमें स्वच्छता को बढ़ावा देने और संक्रमण फैलने के जोखिम को कम करने के लिए डेटॉल सैनिटाइजर, लिक्विड सोप और साबुन की टिकिया भी दी गई है. इसके अलावा किट में महिलाओं और बच्चों को सांस संबंधी संक्रमण से बचाने और खून व शरीर के तरल पदार्थों (बॉडी फ्लूड्स) से हाथों को बचाए रखने के लिए दस्ताने भी दिए गए हैं.

बच्चों के लिए किट में जिंक सप्लीमेंट और ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ओआरएस) पाउच की स्ट्रिप्स हैं, ताकि डायरिया होने पर उन्‍हें अच्छी तरह से हाइड्रेटेड और तरोताजा रखने में मदद मिले. इसके अलावा सेल्फ केयर किट में एक बच्‍चे के लिए कंबल, एक थर्मामीटर और एक पल्स ऑक्सीमीटर भी होता है, जो बच्चे के रक्त में ऑक्सीजन की निगरानी करता है और शरीर का तापमान बताता है.

स्वच्छता से ही खुशहाल और स्वस्थ दुनिया की शुरुआत होती है – इस एजेंडे को ध्यान में रखते हुए 2014 में अपने व्यापक आंदोलन ‘डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया’ के तत्वावधान में, रेकिट ने परिवर्तनकारी डेटॉल स्कूल स्वच्छता शिक्षा कार्यक्रम शुरू किया. 2014 में केवल 2,500 स्कूलों में पहल की शुरुआत हुई, वह आज 840,000 स्कूलों और 500,000 मदरसों में 24 मिलियन बच्चों तक पहुंच गई है. पहल के अंतर्गत आने वाले बच्चों को एक ऐसे इको सिस्‍टम में पाला जा रहा है जहां स्वच्छता का ज्ञान सांस्कृतिक प्रेरणाओं से जुड़ा है जो साफ सफाई की अच्‍छी आदतों और व्यवहारों को बढ़ावा देता है. इस कार्यक्रम का असर यह हुआ कि इन स्कूलों में बच्चों की गैरहाजिरी 36 फीसदी से घटकर 23 फीसदी हो गई.

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इतना ही नहीं, पिछले कुछ वर्षों में, इस अभियान ने अपने कार्यक्रमों के माध्यम से न केवल स्कूली बच्चों को कवर किया है, बल्कि भारत में हाशिए पर रहने वाले समुदायों जैसे कि राजस्थान की कालबेलिया जनजाति और गुजरात की सिद्दी जनजाति के लोगों की भी मदद की है और तमिल और राजस्थानी में स्वच्छता संगीत एल्बमों के जरिये भारत की समृद्ध संस्कृति के सहारे लोगों के बीच स्वच्छता के संदेश को फैलाया है. इतना ही नहीं, यह अभियान त्योहारों का त्योहार कहे जाने वाले हॉर्नबिल उत्सव का भी हिस्सा रहा, जो सांस्कृतिक सीमाओं को पार कर नई पहलों के साथ मिश्रित नागा परंपराओं का शानदार प्रदर्शन करता है.

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