नई दिल्ली: दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बुधवार (5 जनवरी) को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “भारत में तीसरी कोविड-19 लहर चल रही है”, जिस दिन भारत ने कोविड-19 के 58,000 से ज्यादा नए मामले दर्ज किए. इसके साथ ही, देश में ओमिक्रोन के मामलों में उछाल देखा गया, SARS-CoV-2 का नया वेरिएंट, जिसे अत्यधिक संचरणीय यानी हाईली ट्रांसमिसबिल (Highly Transmissible) कहा जा रहा है. भारत में ओमिक्रोन वेरिएंट के 3,000 से अधिक मामले पाए गए हैं. हालांकि मामले बढ़ रहे हैं, मृत्यु दर 1.38 फीसदी पर बनी हुई है, जो एक महीने पहले 1.37 प्रतिशत थी. तो, क्या ओमिक्रोन डेल्टा के समान विषाणुजनित (virulent) है, जो अप्रैल-मई, 2021 में भारत में दूसरी लहर की वजह बना था?
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ओमिक्रोन वेरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती होने में हल्का उछाल
एनडीटीवी ने अस्पतालों पर कोविड मामलों में वृद्धि के प्रभाव को समझने के लिए मैक्स हेल्थकेयर के चिकित्सा निदेशक और अदालत द्वारा नियुक्त कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ संदीप बुद्धिराजा से बात की. उन्होंने कहा कि पिछले दो से तीन हफ्तों में, मैक्स हेल्थकेयर ने रोगियों की संख्या में नाटकीय वृद्धि देखी है – दोनों रोगियों के मामले में जो वीडियो परामर्श चाहते हैं और जो विभिन्न रूपों में आउट पेशेंट विभागों (ओपीडी) में आते हैं.
अस्पताल में भर्ती होने के मामले में निश्चित तौर पर दो से तीन सप्ताह में बढोतरी हुई है, लेकिन यह बहुत कम अनुपात है और इन मरीजों में किसी तरह की बीमारी नहीं देखी गई, जैसा कि पहली लहरों में देखा गया था. दिल्ली-एनसीआर के हमारे अस्पतालों में आईसीयू में दाखिले नहीं हुए हैं. अस्पताल में भर्ती बहुत कम रोगियों को ऑक्सीजन की जरूरत होती है. कोई वेंटिलेटर पर नहीं है.
डॉ बुद्धिराजा का मानना है कि केसलोड के आधार पर यह स्पष्ट है कि ओमिक्रोन बेहद संक्रामक है. उन्होंने यह भी कहा कि जिन रोगियों को उन्होंने देखा है उनमें से ज्यादातर को कोविड-19 वैक्सीन की दोनों खुराकें मिली हैं और एक बड़े हिस्से को अतीत में कोविड-19 संक्रमण हुआ है.
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इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी साइंसेज (आईएलबीएस) के कुलपति डॉ एसके सरीन ने डॉ बुद्धिराजा से सहमति व्यक्त की और कहा कि कोविड-19 का ओमिक्रोन वेरिएंट रेस्पिरेटरी ट्रेक के ऊपरी हिस्से में रहता है. उन्होंने कहा कि ओमिक्रोन किसी तरह फेफड़ों में नहीं जाता है, इसलिए ऑक्सीजन के लिए हड़बडी नहीं होती है. बीमारी के बारे में ज्यादा बात करते हुए डॉ सरीन ने कहा,
अब हम जिस तरह के रोगी देख रहे हैं, वे ऐसे हैं जिन्हें कोविड हुआ और डेल्टा वेरिएंट के कारण उन्हें कोविड एक फेफड़े की बीमारी के तौर पर था. अब जब वे ओमिक्रोन के साथ आए हैं, तो वे बहुत बीमार हैं. तो, केवल यह कहना कि ओमिक्रोन बीमारी का कारण नहीं बन सकता, सच नहीं हो सकता है. जिन लोगों को पहले किसी तरह की सह-रुग्णता या चोट के साथ संक्रमण हुआ हो, वे शायद बहुत बीमार हों. कोई भी व्यक्ति जो कोविड जैसी बीमारी के साथ आता है, भले ही उसका परीक्षण नकारात्मक हो, उसे संभावित कोविड माना जाना चाहिए.
अपने अनुभव को साझा करते हुए कर्नाटक कोविड टास्क फोर्स के सलाहकार, डॉ सुदर्शन बल्लाल ने कहा, अस्पताल में भर्ती होने में मामूली बढ़ोतरी हुई है और कुछ अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा,
सभी अंतरराष्ट्रीय यात्री जिन्होंने सकारात्मक परीक्षण किया, वे स्वचालित रूप से अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं. हम यह देखने के लिए सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं कि क्या इन रोगियों को घर पर ही प्रबंधित किया जा सकता है, जो उन्हें होना चाहिए. अभी, स्थिति काफी सहज है.
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कोविड-19 मृत्यु दर – सतह के नीचे क्या है?
मृत्यु दर के बारे में बात करते हुए जो अपरिवर्तित प्रतीत होती है डॉ सरीन ने कहा,
अगर आप संक्रमित लोगों की कुल संख्या लें, तो उनमें से 1.37 फीसदी भाग छोटा लग सकता है अगर बात डेल्टा वेरिएंट की हो. लेकिन अगर आपके पास कोई ऐसी चीज है, जो इतनी तेजी से फैल रही है, ज्यादा लोग संक्रमित हैं, तो 1.38 फीसदी बड़े पैमाने पर हो सकते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए हमें अस्पतालों में और ज्यादा भर्तियां देखने के लिए तैयार रहना चाहिए. अमेरिका और अन्य देशों के आंकड़े कहते हैं कि डेल्टा के लिए अस्पताल में भर्ती एक चरम पर 88 प्रतिशत था. ओमिक्रोन के लिए, यह कहीं न कहीं 57 प्रतिशत के करीब है. हो सकता है कि 30-40 फीसदी कम अस्पताल में भर्ती हो, लेकिन पश्चिम को देखते हुए, अस्पतालों में भर्ती ज्यादा होने की संभावना है, हो सकता है कि आईसीयू भर्ती न हरें, लेकिन अस्पताल में भर्तियां हो सकती हैं.
मृत्यु दर में बहुत कम या कोई बदलाव नहीं होने पर डॉ बल्लाल ने कहा,
हमें इस फेक्ट पर ध्यान देना चाहिए कि हम अभी भी ओमिक्रोन से पूरी तरह ट्रांसजिशन्ड नहीं हुए हैं. हमारे पास अभी भी कम से कम कुछ शहरों में डेल्टा मामलों की एक उचित संख्या है. मृत्यु दर ओमिक्रोन की वास्तविक मृत्यु दर नहीं हो सकती है.
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डॉ सरीन ने चेतावनी देते हुए कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जो पूर्ण टीकाकरण ले चुके हैं और जिन्हें अतीत में कोविड संक्रमण हुआ है, वे तेजी से बीमार हो रहे हैं. डॉ बल्लाल ने ऐसा ही एक अनुभव साझा किया और कहा,
हम बहुत ज्यादा केसिज देख रहे हैं और दुख की बात यह है कि कुछ स्वास्थ्य कार्यकर्ता, जिन्हें कोविड का टीका लगाया गया है और पहले कोविड-19 संक्रमण हो चुका है, वे भी संक्रमित हो रहे हैं. कर्मियों की कमी अस्पताल में भर्ती होने के बजाय एक गंभीर समस्या होगी.
कोविड की तीसरी लहर से लड़ने के लिए सरकार को विशेषज्ञों के सुझाव
डॉ बुद्धिराजा ने सरकार को उन यात्रियों के अनिवार्य संस्थागत संगरोध यानी मेंडेटरी इंस्टिट्यूशनल क्वारंटाइन पर फिर से सोचने की सलाह दी, जो जरूरी नहीं कि ओमिक्रोन के मामले हों, वे ओमिक्रोन संदिग्ध हों. ये यात्री अपनी जीनोम सिक्वेंसिंग रिपोर्ट आने तक अस्पताल में रहते हैं, जिसमें 5-7 दिन लगते थे, लेकिन अब 7-10 दिन लगते हैं- उन्होंने कहा और आगे बताया,
वे अस्पतालों में व्यावहारिक रूप से स्पर्शोन्मुख यानी एसिम्पटमेटिक रहते हैं, ओमिक्रोन की रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा करते हैं और एक बार सकारात्मक आने के बाद, उन्हें ओमिक्रोन पॉजिटिव वार्ड में अलग किया जाता है और अगर नकारात्मक होता है, तो उन्हें होम क्वारंटाइन के लिए भेजा जाता है. इस पर फिर से गौर करने की जरूरत है क्योंकि अस्पताल में भर्ती होने की संख्या बढ़ेगी.
ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार के बावजूद, चुनावी रैलियों जैसी भारी भीड़ के साथ भीड़ इकट्ठा हो रही है, जिसमें मास्किंग और सोशल डिस्टेंसिंग के कोविड प्रोटोकॉल का बहुत कम पालन किया जा रहा है. इस पर डॉ बल्लाल ने कहा,
ओमिक्रॉन बहुत लोकतांत्रिक है. यह सभी के साथ समान व्यवहार करता है. यही नियम सभी पर लागू होना चाहिए. निश्चित रूप से, लॉकडाउन अंतिम उपाय है क्योंकि यह हमें पाषाण युग में वापस धकेल देगा और हमारी अर्थव्यवस्था नीचे चली जाएगी. हमें लॉकडाउन को रोकने के लिए सभी उपाय करने चाहिए. कुछ उपाय जनता के लिए चेतावनी हैं कि कोरोना यहां बड़ी संख्या में है. इसलिए कृपया सावधान रहें.
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